
भारत के सबसे बड़े निजी बैंक HDFC बैंक की सहायक कंपनी, एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज (HDBFS) का बहुप्रतीक्षित आईपीओ (इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग) आज, बुधवार, 25 जून 2025 से सब्सक्रिप्शन के लिए खुल गया है। यह इस साल का अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ है और इसने वित्तीय बाजार में काफी हलचल मचा दी है।
HDBFS क्या करती है?
HDBFS एक बहुत बड़ी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) है। यह आम लोगों और छोटे व्यवसायों को कई तरह के कर्ज देती है, जैसे कि पर्सनल लोन, बिजनेस लोन, गाड़ी के लिए लोन और संपत्ति के बदले लोन। पूरे भारत में इसका एक बड़ा नेटवर्क है और इसे HDFC बैंक के मजबूत सपोर्ट का भी फायदा मिलता है।
आईपीओ क्यों आ रहा है?
यह आईपीओ रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के नए नियमों के कारण आ रहा है। RBI ने बड़ी NBFCs के लिए यह ज़रूरी कर दिया है कि उन्हें अगले तीन साल के अंदर शेयर बाजार में लिस्ट होना होगा। HDBFS भी इस नियम के दायरे में आती है, इसलिए उसे अपना आईपीओ लाना पड़ रहा है।
आईपीओ की खास बातें:
कितना पैसा जुटाएगी कंपनी? यह आईपीओ कुल ₹12,500 करोड़ का है। इसमें से ₹2,500 करोड़ के नए शेयर जारी किए जाएंगे, जिससे कंपनी को कारोबार बढ़ाने के लिए पैसा मिलेगा। बाकी ₹10,000 करोड़ के शेयर HDFC बैंक बेचेगा (इसे ऑफर फॉर सेल या OFS कहते हैं)।
एक शेयर की कीमत क्या होगी? कंपनी ने आईपीओ के लिए ₹700 से ₹740 प्रति शेयर का प्राइस बैंड तय किया है।
कब तक लगा सकते हैं बोली? आईपीओ 25 जून को खुला है और आप इसमें 27 जून 2025 तक बोली लगा सकते हैं।
कितने शेयरों का एक लॉट? एक लॉट में 20 शेयर होंगे, यानी कम से कम ₹14,800 का निवेश करना होगा। रिटेल निवेशक अधिकतम 13 लॉट तक के लिए बोली लगा सकते हैं।
शेयर कब लिस्ट होंगे? शेयरों का अलॉटमेंट 30 जून को होने की उम्मीद है, और इनकी लिस्टिंग 2 जुलाई 2025 को NSE और BSE पर हो सकती है।
प्री-आईपीओ निवेशकों को लगा झटका?
इस आईपीओ को लेकर सबसे बड़ी चर्चा उन निवेशकों के बीच है जिन्होंने आईपीओ से पहले एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज के गैर-सूचीबद्ध (unlisted) शेयर खरीदे थे।
पहले क्या था भाव? आईपीओ आने से पहले, HDBFS के गैर-सूचीबद्ध शेयर खुले बाजार में ₹1,000 से ₹1,300 प्रति शेयर के ऊंचे दामों पर बिक रहे थे। कई निवेशकों ने सोचा था कि आईपीओ आने पर उन्हें बड़ा मुनाफा होगा।
अब क्या हुआ? लेकिन, जब आईपीओ का प्राइस बैंड ₹700-₹740 तय हुआ, तो यह गैर-सूचीबद्ध बाजार की कीमतों से काफी कम निकला। इसका मतलब है कि जिन लोगों ने ऊंचे दामों पर ये शेयर खरीदे थे, उन्हें अब कागज़ पर नुकसान दिख रहा है। इसे ही ‘उल्टा असर’ या ‘एडवर्स इंपैक्ट’ कहा जा रहा है।
क्या गैर-सूचीबद्ध स्टॉक पर आंख मूंदकर भरोसा करना चाहिए?
HDBFS का यह मामला उन निवेशकों के लिए एक बड़ी सीख है जो गैर-सूचीबद्ध शेयरों में निवेश करते हैं। अक्सर, इन शेयरों का प्रचार बहुत बढ़ा-चढ़ाकर किया जाता है और उनकी कीमत कंपनी की असल वैल्यू से कहीं ज्यादा हो सकती है। निवेशकों को हमेशा कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन, जोखिमों और भविष्य की संभावनाओं को ध्यान से देखकर ही निवेश का फैसला करना चाहिए, न कि सिर्फ प्रचार या अनुमानों पर।
आज का अपडेट (26 जून 2025):
1) आईपीओ के पहले दिन यानी 25 जून को इसे 37% सब्सक्राइब किया गया था।
2) आज, 26 जून को, आईपीओ सब्सक्रिप्शन के दूसरे दिन, यह सुबह 10:35 बजे तक 45% सब्सक्राइब हो चुका है। नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (NII) का हिस्सा 95% भर चुका है, जो इसकी जबरदस्त मांग को दर्शाता है।
3) ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) में आज थोड़ी स्थिरता देखी गई है, जो लगभग ₹50-₹50.5 है (जो आईपीओ के प्राइस बैंड के ऊपरी सिरे से लगभग 6.8% ऊपर है)। यह लिस्टिंग पर एक ठीक-ठाक प्रीमियम का संकेत देता है, हालांकि आईपीओ खुलने से पहले यह ₹74 तक था।
4) कई ब्रोकरेज हाउस ने इस आईपीओ को ‘सब्सक्राइब’ करने की सलाह दी है, क्योंकि उनका मानना है कि कंपनी के फंडामेंटल मजबूत हैं और इसे HDFC बैंक के समर्थन का लाभ मिलेगा।
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