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HAL को स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल बनाने का कॉन्ट्रैक्ट ISRO और IN-SPACe ने दिया।
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने भारत के स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV) को बनाने का कॉन्ट्रैक्ट हासिल कर लिया है। HAL को यह कॉन्ट्रैक्ट इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) और इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर (IN-SPACe) ने दिया है।
इस कॉन्ट्रैक्ट के मिलने के साथ ही HAL भारत की तीसरी रॉकेट बनाने वाली कंपनी बन गई है। इससे पहले सिर्फ स्काईरूट एयरोस्पेस (हैदराबाद) और अग्निकुल कॉसमॉस (चेन्नई) जैसे स्टार्टअप्स ही रॉकेट बनाने का काम कर रहे हैं।
HAL को कैसे मिला कॉन्ट्रैक्ट?
बेंगलुरु की कंपनी HAL ने 511 करोड़ रुपए की बोली लगाकर यह कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया है। इस कॉन्ट्रैक्ट को हासिल करने की रेस में बेंगलुरु की अल्फा डिजाइन और हैदराबाद की भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL) भी शामिल थी। HAL कॉन्ट्रैक्ट पर साइन करने के समय 511 करोड़ रुपए का एक हिस्सा देगी, बाकी पेमेंट दो साल में करेगी।
कॉन्ट्रैक्ट के लिए पहले फेज में 9 कंपनियों में से छह को चुना गया और फिर दूसरे फेज में HAL, अल्फा डिजाइन और BDL को फाइनल किया गया था। इसके बाद एक्सपर्ट की एक कमेटी ने HAL को विजेता चुना। इस कमेटी में पूर्व प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर विजय राघवन भी शामिल थे।
अब आगे क्या करेगी HAL?
अगले दो साल तक ISRO, HAL को SSLV की टेक्निक ट्रांसफर करेगा। इस दौरान HAL को दो प्रोटोटाइप रॉकेट बनाने होंगे और ISRO की सप्लाई चेन का इस्तेमाल करना होगा। हालांकि, HAL इसकी डिजाइन में कोई बदलाव नहीं कर सकता है।
हालांकि, दो साल बाद HAL अपनी खुद की सप्लाई चेन चुन सकता है और डिजाइन को बेहतर करने में ISRO की सलाह ले सकता है। कंपनी का टारगेट हर साल 6 से 12 SSLV रॉकेट बनाने का है, जो बाजार की मांग पर निर्भर करेगा।

HAL को स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल बनाने का कॉन्ट्रैक्ट देने की अनाउंसमेंट IN-SPACe के चेयरमैन पवन गोयनका ने की।
SSLV क्या है?
स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल यानी SSLV एक छोटा रॉकेट है, जो 500 किलो तक के सैटेलाइट को 400-500 किलोमीटर ऊंची लो-अर्थ ऑर्बिट में ले जा सकता है। यह रॉकेट कम लागत वाला है और जल्दी लॉन्च करने की सुविधा देता है, जो छोटे सैटेलाइट्स के लिए बहुत उपयोगी है।
भारत के लिए क्यों खास?
यह कॉन्ट्रैक्ट भारत के स्पेस सेक्टर में निजी कंपनियों की भागीदारी बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। भारत अभी ग्लोबल स्पेस इकोनॉमी में सिर्फ 2% हिस्सा रखता है, लेकिन अगले दशक तक इसे 44 बिलियन डॉलर यानी 3.81 लाख करोड़ रुपए तक ले जाने का टारगेट है। HAL का यह कदम भारत को छोटे सैटेलाइट लॉन्च में ग्लोबल लेवल पर मजबूत बनाने में मदद करेगा।
HAL की उपलब्धि
HAL पहले से ही फाइटर जेट और हेलिकॉप्टर जैसे डिफेंस प्रोडक्ट्स बनाती है। अब SSLV के साथ कंपनी स्पेस सेक्टर में भी अपनी जगह बना रही है। यह कदम न सिर्फ HAL के लिए, बल्कि भारत के स्पेस सेक्टर के लिए भी एक नई शुरुआत है, जो प्राइवेट और सरकारी सहयोग को और मजबूत करेगा।
HAL के शेयरों में 1.18% की तेजी
इस खबर के बाद HAL के शेयरों में 1.18% की तेजी आई और यह 4,960 रुपए पर बंद हुआ। एक महीने में कंपनी का शेयर 2.24% चढ़ा है। बीते छह महीने में कंपनी के शेयर ने 18% रिटर्न दिया है। एक साल में कंपनी का शेयर 6.21% गिरा है। कंपनी का मार्केट कैप 3.32 लाख करोड़ रुपए है।
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