
इजरायल-ईरान वॉर के बीच Goldman Sachs का कहना है कि अगर होर्मुज स्ट्रेट से तेल आपूर्ति एक महीने के लिए आधी हो जाती है और फिर अगले 11 महीनों तक 10 फीसदी कम बनी रहती है, तो ब्रेंट क्रूड की कीमत अस्थायी रूप से 110 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है. ऐसी स्थिति में 2025 की चौथी तिमाही में औसत तेल कीमत 95 डॉलर प्रति बैरल रह सकती है.
अभी क्या चल रहा है तेल बाजार में?
हाल ही में अमेरिका द्वारा ईरान पर एयरस्ट्राइक के बाद तेल की कीमतें अस्थिर हो गई हैं. ब्रेंट क्रूड की कीमत सोमवार को 5 महीने की ऊंचाई पर पहुंचकर 78 डॉलर तक गई, लेकिन बाद में 75.4 डॉलर पर आ गई. WTI क्रूड भी 74 डॉलर के करीब देखा गया. ईरान और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव के कारण होर्मुज स्ट्रेट को लेकर वैश्विक चिंता गहराई है, क्योंकि यही रास्ता दुनिया की 27 फीसदी तेल और 20 फीसदी LNG सप्लाई के लिए जरूरी है.
भारत पर कैसा होगा असर?
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बात करते हुए कहा कि अगर तेल की कीमत कुछ समय के लिए ही 10 फीसदी बढ़े तो अर्थव्यवस्था पर असर नहीं होगा, लेकिन अगर यह 100 डॉलर से ऊपर लंबे समय तक बनी रही तो यह महंगाई, खपत और GDP पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है. उन्होंने कहा कि साल की शुरुआत में सरकार ने कच्चे तेल का अनुमान 80 डॉलर प्रति बैरल के आधार पर रखा था, ऐसे में उससे ज्यादा की कीमतें रेड फ्लैग साबित हो सकती हैं.
क्या वाकई होर्मुज बंद हो सकता है?
Iran की संसद ने हाल ही में एक प्रस्ताव पारित किया है जिसमें आपात स्थिति में होर्मुज स्ट्रेट को बंद करने की मंजूरी दी गई है, हालांकि अंतिम निर्णय ईरान की सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के पास है. Goldman Sachs के अनुसार, 2025 में होर्मुज को बंद करने की संभावना 52 फीसदी तक मानी जा रही है. कई जहाजों ने पहले ही अपना रूट बदलना शुरू कर दिया है.
आगे क्या हो सकता है?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि OPEC+ देशों के पास 6 मिलियन बैरल प्रतिदिन का अतिरिक्त उत्पादन मौजूद है, इसलिए वे कीमतों को नियंत्रित कर सकते हैं. इसके अलावा, अमेरिका में शेल ऑयल उत्पादन भी बढ़ सकता है अगर कीमतें 70 डॉलर से ऊपर रहीं.
ईरान की तेल स्थिति कैसी है?
मार्च 2025 में ईरान के तेल निर्यात 1.7 से 1.8 मिलियन बैरल प्रतिदिन तक पहुंच गए थे. ईरान का मुख्य ग्राहक चीन है, जो ईरान के 80-90 फीसदी तेल निर्यात को खरीदता है. Bloomberg की रिपोर्ट के अनुसार, 13 जून के बाद से ईरान ने तेल को तेजी से खार्ग द्वीप पर इकट्ठा किया है, जो उसका प्रमुख निर्यात टर्मिनल है.
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