
स्वाद की पहचान बना पोरवाल समोसा
इस समोसे की खास बात सिर्फ इसका छोटा आकार या कम दाम नहीं है. इसकी खास हरी चटनी और लाल मीठी- खट्टी चटनी है, जो हर बाइट को यादगार बना देती है. हरी धनिया- पुदीना की चटनी में ताजगी का एहसास है. लाल चटनी में मीठास और तीखापन है, जो समोसे के स्वाद को पूरा करता है. यहां बच्चे, युवा और बुजुर्ग हर कोई इस ठेले पर जरूर रुकता है. यहां कार से गुजरते लोग भी ब्रेक मारकर एक प्लेट समोसे का स्वाद जरूर लेते हैं.
इस शानदार समोसे की शुरुआत करने वाले अखिलेश पोरवाल मूल रूप से उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के रहने वाले हैं. करीब 10 साल पहले रोजगार की तलाश में गाजियाबाद आए थे. जेब में ज़्यादा पैसे नहीं थे, लेकिन मन में कुछ करने की चाह थी.
उन्होंने एक पुराना ठेला खरीदा, कुछ पैसे उधार लेकर कविनगर के सी-ब्लॉक में एक कोने में समोसे बेचना शुरू किया. पहले दिन 30-40 समोसे बिकते थे, लेकिन धीरे-धीरे स्वाद के दीवाने बढ़ते गए. आज आलम यह है कि 600 से 800 समोसे रोज बिकते हैं और उनका ठेला गाजियाबाद की पहचान बन चुका है.
अखिलेश कहते हैं, “कभी सोचा नहीं था कि 5 रुपये का समोसा मुझे पहचान दिलाएगा. लेकिन आज लोग सिर्फ समोसे नहीं, बल्कि मुझसे जुड़ाव लेकर आते हैं. कोई तारीफ करता है, कोई और लोगों को लाकर खिलाता है, बस यही असली कमाई है.”
उनकी मेहनत और ईमानदारी ने दिखा दिया है कि छोटा काम भी बड़ी इज़्ज़त दिला सकता है, अगर उसमें मेहनत और सच्चाई हो.
गाजियाबाद का पोरवाल समोसा आज सिर्फ एक स्ट्रीट फूड नहीं, बल्कि मेहनत, स्वाद और सादगी की मिसाल बन गया है.
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