जयपुर. राजस्थान में राजस्थानी सिनेमा प्रेमियों के लिए साल में गिनी चुनी कुछ एक फिल्में रिलीज होती है, इसलिए लोग राजस्थानी फिल्मों को इंतजार करते हैं. हाल ही में राजस्थान के गैंगस्टर आंनद पाल के जीवन पर बनी फिल्म ”टाइगर ऑफ राजस्थान” रिलीज की गई है, जिसे देखने के लिए लोगों में उत्साह दिखने को मिल रहा है. आपको बता दें कि यह फिल्म सिर्फ जयपुर के सांगानेरी गेट के पास स्थित जैम सिनेमा में चल रही है. यहां रोजाना फिल्म के 4 शो चलते हैं. फिल्म रिलीज के बाद से इस फिल्म को दर्शकों ने खूब पंसद किया और लगातार लोग फिल्म को देखने के लिए पहुंच रहें हैं. लोकल 18 ने आंनद पाल के जीवन पर बनी फिल्म ”टाइगर ऑफ राजस्थान” को देखकर आए लोगों से फिल्म के बारे में बात की.
फिल्म देखने के बाद दर्शकों ने बताया कि इस मूवी में आनंद पाल के जीवन की कहानी को बिल्कुल अलग तरिके से दिखाई गया है. जिस तरह से खबरों में उनके बारे में पढ़ा है और जो चर्चाएं सुनी है, फिल्म उसके बिल्कुल विपरित है. फिल्म में आंनद पाल को बिल्कुल अच्छे इंसान के रूप में दिखाया गया है. कैसे विपरीत परिस्थितियों के कारण एक अच्छा इंसान गलत राह पर चला जाता है, इसको दिखाया गया है. लोकल 18 ने फिल्म को लेकर आंनद पाल के जीवन से जुड़ी आपराधिक घटनाओं के बारे में पुछा तो, लोगों का कहना था कि फिल्म में तो उन्हें बिल्कुल अच्छे रूप में दिखाया गया है. यूं कहें तो समाज सेवक के रूप में दिखाया गया है.
धमकी और विरोध के बावजूद रिलीज हुई फिल्म
आपको बता दें कि आंनद पाल के जीवन पर बनी फिल्म ”टाइगर ऑफ राजस्थान” को निर्देशक अरविंद कुमार, निर्माता हितेश, जैस्मिन, और सह निर्माता राज राठौड़ ने मिलकर बनाया है. साथ ही फिल्म में अरविंद कुमार ने आनंद पाल के रोल में मुख्य भूमिका भी निभाई हैं, जो लोगों को खूब पंसद आ रही है. अरविंद कुमार बताते हैं कि फिल्म 2 साल में राजस्थान के अलग-अलग इलाकों में शूट कर तैयार की गई. लम्बे समय से फिल्म को धमकियों और विरोध प्रदर्शनों का सामना भी करना पड़ा. लेकिन आखिरकार फिल्म सिनेमाघर में रिलीज हो गई है. आपको बता दें राजस्थानी भाषा में बनी यह फिल्म लोगों को खूब पंसद आ रही है. लोग फिल्म को देखने के लिए सिनेमाघर पहुंच रहें हैं.
आनंद पाल की जीवन यात्रा पर आधारित है फिल्म
फिल्म देखकर आए लोगों से लोकल 18 ने बात भी की. दर्शक बताते हैं कि आंनद पाल के जीवन की घटनाओं के अलावा फिल्म में उनके जीवन और परिवार की कहानी को भी बारिकी से दिखाया गया है. फिल्म में अन्य राजस्थानी कलाकारों ने भी काम किया है. आपको बता दें कि फिल्म को देखने के लिए राजस्थान पुलिस के कई अधिकारी तक पहुंचे थे. फिल्म ”टाइगर ऑफ राजस्थान” बनने के 18 महीने तक सेंसर बोर्ड में सेंसर प्रमाणन के लिए अटकी रही. दर्शकों के अनुसार पूरी फिल्म आंनद पाल की जीवन यात्रा के साहस और सामाजिक यथार्थ की कहानी बया करती है.
सबसे ज्यादा महिलाएं देख रही फिल्म
आपको बता दें कि फिल्म ”टाइगर ऑफ राजस्थान” के रिलीज के बाद से फिल्म को बच्चे, युवा, और बुजुर्ग देखने पहुंच रहें हैं, लेकिन सबसे ज्यादा फिल्म अब तक महिलाओं ने देखी है. इसका प्रमुख कारण फिल्म के लिए महिलाओं को विशेष ऑफ़र दिया जा रहा है. ऑफर के तहत कोई भी पुरुष या महिला दर्शक यदि एक टिकट खरीदते हैं, तो उन्हें एक महिला के लिए एक अतिरिक्त टिकट बिल्कुल मुफ्त मिलेगा. यह पहल महिलाओं को राजस्थानी सिनेमा में भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से की गई है. महिलाओं के लिए ख़ासतौर पर सरोज खान के कोरियोग्राफ घूमर गीत को फिल्म के आखिर में दिखाया गया है, जो सरोज खान के जीवन का अंतिम नृत्य निर्देशन रहा था. जिसे लोग आज तक पंसद करते हैं.