राजस्थान पारंपरिक आभूषण: नोगरी राजस्थान का पारंपरिक राजपूती कंगन है, जो शिल्पकला, परंपरा और सौंदर्य का अनमोल प्रतीक माना जाता है. इसे सोने या चांदी से बनाकर महीन नक्काशी और घुड़सवार जैसी धातु कड़ियों की संरचना दी जाती है, जिससे इसका लुक बेहद राजसी और भव्य होता है. दुल्हनों की पहली पसंद होने के साथ यह समृद्धि व शुभता का भी संकेत है. आज यह पारंपरिक होने के साथ-साथ आधुनिक डिजाइन में भी उपलब्ध है. हल्के वजन से लेकर हैवी कलेक्शन तक में इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है.
राजस्थान की संस्कृति अपने शिल्प, परंपराओं और आभूषणों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है. राजस्थान की संस्कृति को अगर आभूषणों की भाषा में पढ़ा जाए, तो हर गहना एक कहानी सुनाता है. इन्हीं पारंपरिक आभूषणों में एक नाम बड़ी शान से लिया जाता है, नोगरी सिर्फ एक गहना नहीं, बल्कि राजपूती रिवाज, सौंदर्य और विरासत का चमकता हुआ प्रतीक है.

नोगरी एक पारंपरिक राजपूती कंगन होता है, जिसे महिलाएं हाथों में कंगन की जोड़ी के रूप में पहनती हैं. इसे कई बार “राजस्थानी गजरा चूड़ी” भी कहा जाता है. इसका निर्माण सोने या चांदी से किया जाता है और इसकी खासियत है इसकी जटिल नक्काशी और घुड़सवार धातु की कड़ियों जैसी बनावट होती है.

यह आभूषण भारी और मजबूत डिज़ाइन वाला होता है. नोगरी का लुक काफी रॉयल और भव्य होता है. इसमें कई धातु के छोटे–छोटे टुकड़ों को एक साथ पिरोकर कंगन की तरह तैयार किया जाता है, जिससे यह कंगन गोल-मटोल और आकर्षक दिखाई देता है. इसे बनाने के लिए उच्च स्तर की नक्काशी और महीन शिल्पकला की आवश्यकता होती है. यही कारण है कि हर नोगरी अपने आप में अनोखी होती है.
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यह दुल्हनों की पहली पसंद होती है. यही कारण है कि राजस्थान में यह दुल्हनों का एक अनिवार्य आभूषण माना जाता है. इसका पहनना समृद्धि व शुभता का प्रतीक भी है. यह अब परंपरा और फैशन का एक अनमोल रत्न बन गया है. आज के दौर में नोगरी पारंपरिक होने के साथ-साथ ट्रेंडी भी बन चुकी है. इसे हल्के व आधुनिक डिज़ाइनों में भी तैयार किया जा रहा है, ताकि युवतियां भी इसे सहजता से कैरी कर सके. नोगरी सिर्फ आभूषण नहीं, बल्कि राजपूती आन-बान-शान का हिस्सा है. विवाह, तीज-त्योहार और खास अवसरों पर इसे पहनना शुभ माना जाता है. घर की बड़ी महिलाएं बेटियों को नोगरी उपहार में देती हैं, जो प्रेम व आशीर्वाद का प्रतीक है. इसे पहन कर महिलाएं रानी जैसा महसूस करती है.

वर्तमान समय में नोगरी के डिज़ाइनों में काफी विविधता आ चुकी है. इसी कारण इसकी मांग बढ रही है. इसमें हल्के वजन, 6 ग्राम तक के सोने में भी खूबसूरत पुंची डिज़ाइन तैयार किए जाने लगे हैं. इसके कारण यह अब सिर्फ भारी गहनों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि हर बजट में उपलब्ध है. सोशल मीडिया और ज्वेलरी शोकेस में इसके नए संग्रह खूब लोकप्रिय हो रहे है. फैशन में इसने एक अलग जगह बना ली है. महिलाएं इसे लहंगा, चुनरी, राजपूती पोशाक के साथ पहनती है. इसे पहनने के बाद महिलाएं अपनी सुंदरता में चार चांद लगा लेती है जो उन्हें सबसे अलग बना देता है.

नोगरी राजपूती विरासत का चमकता प्रतीक है. हर उम्र की महिलाओं पर आकर्षक रहता है. यह त्योहारों और विवाह में खास उपयोग किया जाता है. इसी के साथ यह मजबूत, टिकाऊ और सदाबहार डिज़ाइन सोना, चांदी दोनों में उपलब्ध होता है. नोगरी एक ऐसा आभूषण है जो सिर्फ हाथों को नहीं सजाता, बल्कि अपनी समृद्ध परंपरा और शिल्पकला से दिल को भी खुश कर देता है. यह राजस्थानी संस्कृति की उस अनमोल विरासत को दिखाता है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी और भी निखरती जाती है. यह परंपरावाद को आगे बढ़ाता है.


