राजस्थान पारंपरिक गहना: गोखरू राजस्थान का एक प्राचीन और प्रतिष्ठित आभूषण है, जो केवल कलाई का कड़ा नहीं बल्कि संस्कृति, शौर्य और सामाजिक पहचान का प्रतीक माना जाता है. इसका आकार गोखरू पौधे के फल जैसा होता है. दूल्हों को विवाह में गोखरू पहनाना शुभ माना जाता है, क्योंकि यह नए जीवन और समृद्धि का संकेत है. ग्रामीण समाज में यह प्रतिष्ठा और परिवार की पहचान से भी जुड़ा रहा है. समय बदलने के बावजूद इसकी लोकप्रियता कम नहीं हुई है.
राजस्थान की मिट्टी में बसे परंपराओं के रंगों को अगर किसी एक आभूषण में समेटना हो, तो गोखरू बेहतरीन उदाहरण है. यह सिर्फ कलाई पर पहना जाने वाला कड़ा नहीं, बल्कि राजस्थान की संस्कृति, शौर्य और सामाजिक पहचान का एक चमकदार प्रतीक है. इसका आकार गोखरू पौधे के फल जैसा होता है. मजबूत, गोल, ठोस और आकर्षक. यही कारण है कि इसे पहनने वाले की पहचान में शक्ति, सम्मान और गरिमा हमेशा जुड़ी रहती है.

गोखरू एक पारंपरिक राजस्थानी आभूषण है, जो मुख्य रूप से सोने या चांदी से बने कड़े के रूप में प्रसिद्ध है. इसकी बनावट इतनी मजबूत होती है कि देखने भर से पता चल जाता है कि यह बहुत ठोस है. राजस्थान में दूल्हों को विवाह के समय गोखरू पहनाना शुभ माना जाता है, क्योंकि यह नया जीवन शुरू करने का प्रतीक होता है.

राजस्थान की संस्कृति में गोखरू का स्थान बेहद खास है. यह वीरता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. गोखरू पहनने से नकारात्मक शक्तियां दूर रहती है. इसलिए इसे पहनना शुभ माना जाता है. ग्रामीण इलाकों में इसे सामाजिक प्रतिष्ठा से जोड़कर देखा जाता है. पहले समय में यह परिवार की पहचान भी हुआ करता था. जिस घर में जितने भारी और सुंदर गोखरू होते, उनकी सामाजिक स्थिति उसी से समझ ली जाती थी.
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भले ही तकनीक और फैशन बदल गए हों, लेकिन गोखरू की लोकप्रियता आज भी उतनी ही है बल्कि, आधुनिक ज्वेलरी डिज़ाइनर्स ने इसे नए रूप दिए हैं. अब हल्के वजन वाले गोखरू ,रोज पहनने लायक मिनिमल डिज़ाइन, एंटीक फिनिश वाले कड़े, फैंसी ड्रेस और फोटोशूट के लिए मॉडर्न पैटर्न के रूप में प्रचलित है.

आज गोखरू सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि फैशन स्टेटमेंट बन चुका है. यह ट्रेडिशनल और वेस्टर्न दोनों ड्रेसेस के साथ खूब जंचता है. गोखरू ने अपनी सुंदरता और लुक की वजह से अपने आप को युवाओं में बहुत प्रिय बना दिया है. इसकी बढ़ती मांग ने इसे एक बार फिर से इतिहास से जुड़ी कहानी को उजागर कर दिया है.

गोखरू उन दुर्लभ आभूषणों में से है जो पीढ़ियों के बदलने पर भी अपनी पहचान नहीं खोते. यह राजस्थान की संस्कृति, परिवार की परंपरा और लोक जीवन की असली कहानी को अपने भीतर समेटे हुए है. आज भी इस आभूषण की उतनी ही मांग है जितनी प्राचीन समय में हुआ करती थी.


