
काउंसलिंग कौन करता है? दोनों स्तरों को समझें
15% अखिल भारतीय कोटा (AIQ) – इसकी जिम्मेदारी MCC (Medical Counselling Committee) की होती है.
85% राज्य कोटा – यह हर राज्य का अपना काउंसलिंग प्राधिकरण करता है.
कई बार छात्र केवल एक ही स्तर की काउंसलिंग करते हैं और दूसरी के लिए आवेदन नहीं करते, जिससे सीट मिलने के अवसर कम हो जाते हैं. दोनों में पंजीकरण ज़रूरी होता है.
समय पर और सावधानी से करें पंजीकरण
NEET परिणाम के कुछ ही दिनों में काउंसलिंग रजिस्ट्रेशन शुरू हो जाता है. आपको MCC या राज्य काउंसलिंग की वेबसाइट पर जाकर पंजीकरण करना होता है. इसके लिए आपको नाम, रोल नंबर, मार्क्स, दस्तावेज़ आदि में एक भी गलती न करें. कुछ राज्यों में निवास प्रमाणपत्र, श्रेणी प्रमाणपत्र आदि की जरूरत होती है, इन्हें पहले से तैयार रखें.
मॉक अलॉटमेंट से सीखें और बदलाव करें
चॉइस फिलिंग सोच-समझकर करें, केवल भावनाओं से नहीं
कई छात्र केवल टॉप मेडिकल कॉलेज ही चुनते हैं, जो उनकी रैंक से बाहर होते हैं. ऐसा न करें. स्मार्ट रणनीति अपनाएं और टॉप, मिड और बैकअप कॉलेजों को प्राथमिकता के अनुसार भरें. जितने ज्यादा विकल्प भरेंगे, सीट मिलने की संभावना उतनी ही बढ़ेगी.
दस्तावेज़ वेरिफिकेशन को हल्के में न लें
NEET स्कोरकार्ड और एडमिट कार्ड
10वीं और 12वीं की मार्कशीट
पहचान पत्र (आधार, पैन आदि)
पासपोर्ट साइज़ फ़ोटो
कैटेगरी प्रमाणपत्र (अगर लागू हो)
डोमिसाइल प्रमाणपत्र (कुछ राज्यों में आवश्यक)
सभी डॉक्यूमेंट्स के ओरिजिनल और फोटोकॉपी तैयार रखें.
सीट अपग्रेडेशन और एग्जिट का विकल्प समझें
अगर आपको मिली सीट से संतुष्ट नहीं हैं, तो अगले राउंड में अपग्रेडेशन का विकल्प चुन सकते हैं. इसके लिए नीचे दिए गए बातों का ध्यान रखें.
राउंड 2 के बाद कुछ काउंसलिंग प्रक्रियाओं में एग्जिट की अनुमति नहीं होती.
अगर आप सीट को स्वीकार कर लेते हैं और आगे राउंड में भाग नहीं लेते, तो वही अंतिम सीट मानी जाएगी.
इसलिए सभी नियमों को पढ़ें और सोच-समझकर निर्णय लें.
Discover more from हिंदी न्यूज़ ब्लॉग
Subscribe to get the latest posts sent to your email.