
शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2024 में 28.1 लाख लड़कियां 12वीं साइंस स्ट्रीम से पास हुईं, जबकि 27.2 लाख लड़कियों ने आर्ट्स से परीक्षा पास की. ये आंकड़े एक बड़ा बदलाव दर्शाते हैं. पिछले वर्षों की तुलना करें तो, 2022 में 28.2 लाख लड़कियां आर्ट्स से और सिर्फ 23.3 लाख लड़कियां साइंस से पास हुई थीं. 2023 में भी आर्ट्स (29.6 लाख) के मुकाबले साइंस (25.6 लाख) पीछे रही थी.
11 साल में लगातार बढ़ी साइंस स्ट्रीम की लोकप्रियता
2013 से 2024 तक के आंकड़े बताते हैं कि साइंस स्ट्रीम से 12वीं पास करने वाले छात्रों की संख्या में निरंतर वृद्धि हुई है. 2013 में जहां 36.3 लाख छात्रों ने साइंस से 12वीं पास की थी, वहीं 2024 में यह संख्या 61 लाख तक पहुंच गई. लड़कियों की संख्या भी 13.4 लाख से बढ़कर 28.1 लाख हो गई है.
सरकार की योजनाएं और सुविधाएं बनीं सहायक
शिक्षा मंत्रालय ने इस बदलाव का श्रेय स्कूलों में अटल टिंकरिंग लैब्स (ATLs), स्मार्ट क्लासरूम, विषय आधारित प्रयोगशालाएं और योग्य शिक्षकों की उपलब्धता को दिया है. साथ ही, समग्र शिक्षा योजना के तहत लड़कियों को पढ़ाई में आगे बढ़ाने के लिए कई उपाय किए गए हैं.
वंचित तबकों की बेटियां भी आगे
रिपोर्ट में बताया गया कि अब पिछड़े वर्गों और अनुसूचित जनजातियों से आने वाली लड़कियां भी साइंस स्ट्रीम का विकल्प ज्यादा ले रही हैं. 2013 में जहां इन तबकों से 1.7 लाख लड़कियां साइंस स्ट्रीम से पास हुई थीं, वहीं 2024 में यह संख्या बढ़कर 4.1 लाख हो गई है. ST समुदाय की 60,000 छात्राएं 2013 में साइंस पास कर रही थीं, जो अब 1.4 लाख हो गई हैं.
कॉमर्स स्ट्रीम में गिरावट
हालांकि, इसी दौरान कॉमर्स स्ट्रीम में छात्रों की संख्या घटी है. 2022 में जहां 18 लाख छात्रों ने कॉमर्स से 12वीं पास की थी, वहीं 2024 में यह आंकड़ा 16.8 लाख पर आ गया है.
पास प्रतिशत में सुधार, लेकिन कुछ राज्यों में चुनौतियां बरकरार
मंत्रालय का कहना है कि देश के लगभग सभी राज्यों में 10वीं और 12वीं के पास प्रतिशत में सुधार हुआ है. लेकिन कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में पिछड़ापन देखा गया है.
आगे की पढ़ाई के लिए और सीटों की मांग
स्कूल शिक्षा सचिव संजय कुमार ने कहा कि अब जब छात्रों में खासकर लड़कियों में साइंस स्ट्रीम को लेकर रुचि बढ़ रही है, तो यह जरूरी है कि उच्च शिक्षा में STEM कोर्सेस के लिए सीटों की संख्या भी बढ़ाई जाए. राज्यों से मिलकर यह सुनिश्चित किया जाएगा कि छात्रों को आगे की पढ़ाई में कोई दिक्कत न हो.
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