ईडी ने साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन, लुधियाना द्वारा बीएनएसएस, 2023 के विभिन्न प्रावधानों के तहत दर्ज एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की. इसके बाद, विभिन्न पुलिस अधिकारियों द्वारा उसी अपराधी समूह से संबंधित साइबर अपराध-डिजिटल अरेस्ट के संबंध में दर्ज नौ और एफआईआर को भी इसी जांच में शामिल किया गया.
ईडी की जांच में पता चला कि एसपी ओसवाल के डिजिटल अरेस्ट के दौरान धोखेबाजों ने खुद को सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन के अधिकारी बताकर और जाली आधिकारिक और न्यायिक दस्तावेजों का इस्तेमाल करके उन्हें विभिन्न खातों में 7 करोड़ रुपए ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया, जिसमें से 5.24 करोड़ रुपए खातों से बरामद कर लिए गए और वापस ट्रांसफर कर दिए गए. बाकी फंड विभिन्न संस्थाओं और मजदूरों/डिलीवरी बॉय के नाम पर बनाए गए विभिन्न म्यूल खातों में ट्रांसफर कर दिए गए, जिन्हें या तो आगे डायवर्ट कर दिया गया या तुरंत नकद निकाल लिया गया.
जांच में यह भी पाया गया कि पीड़ितों से ठगी गई रकम को लोगों के एक समूह द्वारा तुरंत विभिन्न म्यूल खातों में डायवर्ट कर दिया गया था और उन खातों के क्रेडेंशियल का इस्तेमाल रूमी कलिता द्वारा ठगी गई रकम का एक निश्चित प्रतिशत अपने हिस्से के रूप में लेने के बदले में किया जा रहा था. तलाशी के दौरान जुटाए गए विभिन्न आपत्तिजनक सबूतों से पता चलता है कि वह अपराध की कमाई को डायवर्ट करने और लेयरिंग करने में गहराई से शामिल थी.
तलाशी के दौरान, रूमी कलिता को 23 दिसंबर को पीएमएलए के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया और सीजेएम कोर्ट, कामरूप (एम), गुवाहाटी ने उन्हें 4 दिनों की ट्रांजिट रिमांड पर भेजा और बाद में उन्हें जालंधर में विशेष न्यायालय, पीएमएलए के समक्ष पेश किया गया, जिसने आरोपी को 2 जनवरी तक 10 दिनों की ईडी हिरासत में भेज दिया. इससे पहले, 31 जनवरी 2025 को इस मामले में तलाशी ली गई थी, जिसके परिणामस्वरूप आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद और जब्त किए गए थे.
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राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h…और पढ़ें
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