नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 6 जून को जो
मौद्रिक नीति घोषित की, वह कई मायनों में चौंकाने वाली रही. सबसे बड़ी बात यह रही कि RBI ने रेपो रेट को सीधे 50 बेसिस पॉइंट्स घटाकर 5.5 फीसदी कर दिया. इसके साथ ही बैंकों के लिए अनिवार्य नकद आरक्षित अनुपात यानी CRR को भी 100 बेसिस पॉइंट्स घटाकर 3 फीसदी कर दिया गया है, जो चार किस्तों में सितंबर से नवंबर के बीच लागू होगा. हालांकि, पॉलिसी स्टांस को “अकोमोडेटिव” से “न्यूट्रल” में बदल दिया गया है, जिससे संकेत मिलता है कि भविष्य में ब्याज दरों में और कटौती अब आंकड़ों पर निर्भर करेगी.
RBI जब अपनी मौद्रिक नीति का स्टांस “अकोमोडेटिव” रखता है, तो इसका मतलब होता है कि वह ब्याज दरों को घटाने या कम बनाए रखने के लिए तैयार है, ताकि आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल सके. लेकिन जब RBI इस स्टांस को बदलकर “न्यूट्रल” कर देता है, तो इसका मतलब होता है कि अब वह न तो दरें घटाने की ओर झुका है और न ही बढ़ाने की ओर. वह अब स्थिति को देखकर फैसला करेगा. यानी आगे की नीतियां पूरी तरह डेटा पर निर्भर होंगी. अगर महंगाई बढ़ी तो दरें बढ़ सकती हैं, और अगर गिरावट रही तो घट भी सकती हैं.
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के चीफ इकनॉमिस्ट सुवदीप रक्षित ने कहा, “RBI ने तीन मोर्चों पर चौंकाया- 50 बेसिस पॉइंट की कटौती, CRR में 100 बेसिस पॉइंट की कटौती और स्टांस को दोबारा न्यूट्रल करना. इसका मतलब है कि अब रेट कट साइकिल पर ब्रेक लग गया है. अब ध्यान इस बात पर है कि पहले से हुई 100 बेसिस पॉइंट की कटौती का ट्रांसमिशन तेजी से और प्रभावी ढंग से हो.”
फ्रैंकलिन टेम्पलटन के CIO राहुल गोस्वामी ने कहा, “रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती ने यह स्पष्ट कर दिया है कि RBI अब धीमी पड़ती अर्थव्यवस्था और घटती महंगाई को सहारा देने की दिशा में आगे बढ़ चुका है. लेकिन स्टांस को न्यूट्रल करना यह संकेत देता है कि अब RBI रुककर इस फैसले के प्रभाव को आंकना चाहेगा.”
RBI ने उठाया आत्मविश्वास के साथ कदम
कोटक महिंद्रा AMC के फिक्स्ड इनकम हेड अभिषेक बिसेन ने RBI के फैसले को “Whatever it takes” पल बताया. उन्होंने कहा, “RBI ने आत्मविश्वास के साथ ये कदम उठाया है कि वह महंगाई को नियंत्रण में रखते हुए विकास को गति दे सकता है. हालांकि अब आगे के फैसले डेटा पर आधारित होंगे, फिर भी हमें लगता है कि 25 बेसिस पॉइंट की और कटौती की गुंजाइश इस चक्र में बनी हुई है.”
एंजल वन के रिसर्च प्रमुख अमर सिंह देव ने इस कदम को शेयर बाजार के लिए बड़ा पॉजिटिव बताया. उन्होंने कहा, “बाजार इससे खुश हैं क्योंकि यह लगातार दूसरी दर कटौती है और कुल 100 बेसिस पॉइंट की राहत इस साल मिल चुकी है. बैंकिंग, ऑटो और रियल एस्टेट जैसे रेट सेंसिटिव सेक्टर को इससे बड़ा फायदा मिलेगा.”
कर्ज लेने की लागत घटेगी, लिक्विडिटी बढ़ेगी
एलएंडटी फाइनेंस के एमडी और सीईओ सुदीप्त रॉय ने कहा, “यह एक बड़ा भरोसा दिलाने वाला कदम है जो यह दर्शाता है कि RBI घरेलू मांग और क्रेडिट ग्रोथ को तेज़ करने के लिए पूरी ताकत झोंक रहा है. इससे कर्ज लेने की लागत कम होगी और सिस्टम में लंबी अवधि की तरलता बनी रहेगी.”
ASK प्रॉपर्टी फंड के सीईओ अमित भगत ने बताया कि
रियल एस्टेट में मांग हाल के महीनों में कुछ धीमी हुई है, ऐसे में यह दर कटौती ग्राहकों के विश्वास को बढ़ाएगी और सस्ते होम लोन की संभावना से घर खरीदने वाले लोगों को राहत मिलेगी. उन्होंने कहा, “विशेष रूप से अफोर्डेबल सेगमेंट में यह राहत बहुत जरूरी थी.”
प्रोफेक्टस कैपिटल के सीईओ के वी श्रीनिवासन ने इस फैसले को MSME सेक्टर के लिए शुभ संकेत बताया. उन्होंने कहा, “कम ब्याज दर और अधिक तरलता से छोटे उद्योगों को अपने व्यवसाय को विस्तार देने, नई मशीनरी खरीदने और पूंजी चक्र को कम करने में मदद मिलेगी.”
इक्विरस सिक्योरिटीज की अर्थशास्त्री अनीता रंगन ने RBI की रणनीति पर टिप्पणी करते हुए कहा, “पिछली नीति में RBI ने स्टांस को नरम किया था, लेकिन इस बार वापस न्यूट्रल कर दिया गया. CRR में चार किस्तों में 100 बेसिस पॉइंट की कटौती से 2.5 लाख करोड़ रुपये की तरलता सिस्टम में आएगी, जिससे दर कटौती का असर तेज़ी से दिखेगा.” उन्होंने यह भी जोड़ा कि अब RBI के लिए आंतरिक और बाहरी स्थितियों के बीच संतुलन बनाना एक चुनौती बन चुका है.
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