
मतदाता सूचियों को लगातार अपडेट करने की आवश्यकता विभिन्न कारणों से उत्पन्न होती है, जैसे कि:
1. मतदाताओं का प्रवास/स्थानांतरण: देश में लगातार अंतर-राज्य, intra-state, अंतर-जिला और intra-district प्रवास होता रहता है, जिसका कारण विवाह, नौकरी के अवसर, शिक्षा, पारिवारिक आवश्यकताएं आदि होते हैं. उदाहरण के लिए, वर्ष 2024 के दौरान चुनाव आयोग को प्राप्त फॉर्मों के अनुसार, 46.26 लाख लोगों ने अपना निवास स्थान बदला, 2.32 करोड़ ने सुधारों के लिए आवेदन किया और 33.16 लाख ने प्रतिस्थापन (replacement) का अनुरोध किया. इस प्रकार, केवल एक वर्ष में लगभग 3.15 करोड़ बदलाव पूरे देश में किए गए.
3. नवयुवक मतदाताओं के नाम जोड़ना: वे युवा जिन्होंने 18 वर्ष की आयु पूरी कर ली है.
4. मतदाता विवरणों में सुधार: जैसे नाम/फोटो/पते में सुधार.
5. मतदान केंद्रों का युक्तिकरण (Rationalisation): विभिन्न कारणों से, विशेषकर चुनाव आयोग द्वारा प्रति मतदान केंद्र अधिकतम 1200 मतदाताओं की नई सीमा तय करने के मद्देनज़र. पहले यह सीमा 1500 थी. चुनाव आयोग का उद्देश्य यह है कि किसी भी मतदाता को वोट डालने के लिए 2 किलोमीटर से अधिक की यात्रा न करनी पड़े.
6. विदेशी अवैध प्रवासियों की पहचान एवं उनके नाम हटाना: मतदाता सूची से.
मतदाता सूचियों को अद्यतन करने की पूरी प्रक्रिया चुनाव आयोग के नियमों/निर्देशों के अनुसार की जाती है और राजनीतिक दलों को अंतिम सूची प्रकाशित होने से पहले दावे, आपत्तियाँ और अपील दायर करने का पर्याप्त अवसर प्रदान किया जाता है. फिर भी, विस्तृत प्रक्रिया का पालन करने के बावजूद, चुनाव आयोग पर अक्सर यह आरोप लगाया जाता है कि वह मनमाने ढंग से मतदाता सूची में नाम जोड़ता है, जबकि यह कार्य पूरी पारदर्शिता और राजनीतिक दलों की निरंतर निगरानी में किया जाता है.
इसलिए, प्रणाली को पूरी तरह से मज़बूत और किसी भी तरह की त्रुटियों से मुक्त बनाने के लिए, चुनाव आयोग आगामी बिहार विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची को शुद्ध करने हेतु एक गहन घर-घर सत्यापन प्रक्रिया करने पर विचार कर रहा है. ऐसी गहन और कठोर समीक्षा पहले भी की जा चुकी है. पिछली बार यह अभ्यास वर्ष 2004 में किया गया.
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