
यह चौंकाने वाली खोज यूनिवर्सिटी ऑफ साउथैम्पटन समेत 10 अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के वैज्ञानिकों की एक संयुक्त रिसर्च का नतीजा है. रिसर्च में पता चला है कि इथियोपिया के अफार क्षेत्र के नीचे पृथ्वी की सतह पर एक स्थिर और दोहरावदार धड़कन की तरह गतिविधि हो रही है. ये धड़कनें लावा के रूप में धरती की अंदरूनी परत यानी मैग्मा से आ रही हैं, जो लगातार टेक्टॉनिक प्लेट्स को अलग कर रही हैं.
यह इलाका, जिसे ‘East African Rift System’ कहा जाता है, वो जगह है जहां पृथ्वी की टेक्टॉनिक प्लेट्स खिंच रही हैं. जब प्लेट्स अलग होती हैं, तो धरती की सतह पतली होती जाती है और आखिरकार यह फटकर दो भागों में बंट सकती है. वैज्ञानिकों का मानना है कि अफार क्षेत्र में यही हो रहा है, और अगर यह प्रक्रिया जारी रही तो एक नया महासागर बन सकता है.
आने वाले लाखों सालों में बदल सकता है दुनिया का नक्शा (सांकेतिक तस्वीर)
रिसर्च में वैज्ञानिकों ने अफार और मेन इथियोपियन रिफ्ट से 130 से ज्यादा ज्वालामुखीय चट्टानों के नमूने लिए और उनके रासायनिक विश्लेषण किए. उन्हें पता चला कि धरती के अंदर एक ‘मैग्मा प्लम’ यानी लावे का एक स्थाई स्तंभ समय-समय पर धड़कनों की तरह सक्रिय होता है. इन धड़कनों की खास बात ये है कि ये भूगर्भीय रासायनिक बैंड बनाते हैं जो बार-बार दिखते हैं, ठीक किसी बारकोड की तरह.
तेज हो रही है टेक्टॉनिक एक्टिविटी?
उन्होंने चेतावनी दी थी कि अगर ये सिलसिला यूं ही चलता रहा, तो एक दिन हिंद महासागर की लहरें रिफ्ट वैली में घुसकर इसे समुद्र में तब्दील कर देंगी. हालांकि वैज्ञानिक मानते हैं कि पूरी तरह से अफ्रीका के दो हिस्सों में बंटने में अभी लाखों साल लगेंगे.
इस रिसर्च का पहला चरण पूरा हो चुका है और अब वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि अफार के नीचे लावे की धारा कितनी तेज़ी से बह रही है और धरती के ऊपर किस तरह का बदलाव लाने वाली है. इस स्टडी को Nature Geoscience जर्नल में 25 जून 2025 को प्रकाशित किया गया है.
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