Iran Israel Ceasefire: क्रूड ऑयल के तेजी से लगातार बढ़ते दाम ने अंतरराष्ट्रीय जगत में हलचल मचाकर रख दी थी. बाजार के जानकार इसके 110 से 120 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने की आशंका जाहिर करने लगे थे. लेकिन, मिडिल ईस्ट में भारी तनाव के इतर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जैसे ही ईरान और इजरायल के बीच सीजफायर का ऐलान किया, क्रूड ऑयल के दाम तेजी से नीचे गिर गए. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि अगले 12 घंटे में सीजफायर प्रभावी हो जाएगा और जो संघर्ष इस वक्त खाड़ी देश में चल रहा है, उसका अंत हो जाएगा.
इसकी पुष्टि करते हुए ईरान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इजरायल के साथ तेहरान सीजफायर पर सहमत हो गया है. इजरायल के चैनल 12 ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बातचीत के दौरान सीजफायर समझौते पर अपनी सहमति दे दी.
सीजफायर के बाद तेल के दाम में गिरावट
सीजफायर के ऐलान के बाद एशियाई बाजार में शुरुआती कारोबार के दौरान सोमवार को कच्चे तेल के दाम में जबरदस्त गिरावट आयी है. वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) अगस्त क्रूड फ्यचर्स के दाम 5.1 प्रतिशत लुढ़क कर 65.02 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया. ये 12 जून के बाद सबसे नीचे है. इसी दिन ईरान पर इजरायल की तरफ से मिसाइल से अटैक किया गया था.
कतर में अमेरिकी बेस पर ईरान की तरफ से किए गए जवाबी हमले में किसी भी तरह के जानमाल के नुकसान नहीं होने की खबर के बाद ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत पहले ही 8 प्रतिशत गिर चुकी है.
ट्रंप ने किया सीजफायर का ऐलान
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आधिकारिक तौर पर ट्रूथ सोशल पर पोस्ट करते हुए लिखा कि ये समय अब शांति का है. दोनों ही पार्टियों की तरफ से पूरी तरह से सीजयफायर पर सहमति बन चुकी है. गौरतलब है कि वीकेंड में ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर अमेरिका हमले के बाद सोमवार को ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत उछलकर 81 डॉलर प्रति बैरल हो गई थी. हालांकि, ये बढ़ोतरी बहुत ही सीमित रही. तेल उत्पादक देशों ने इसके उत्पादन में किसी तरह की कटौती नहीं की और न ही स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज को बंद करने की धमकी देनेवाले ईरान ने ऐसा कोई कदम उठाया.
ऐसे में भू-राजनीतिक तनाव के बावजूद तेल की कीमतों में उस तरह का उछाल नहीं देखा गया, जिसकी बाजार के जानकार उम्मीद कर रहे थे. इसकी एक वजह ये भी रही की तेल उत्पादक देशों के समूह OPEC+ इस बात पर सहमति बनाई थी कि अगर ईरान से तेल की सप्लाई में बाधा आती भी है तो बाकी सदस्य देश वैश्विक सप्लाई की आपूर्ति जारी रखेंगे.
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