
छतरपुर के रहने वाले हरगोविंद की कहानी रोचक है. 2017 में अपंगता आने के बाद भी वह पढ़ाई कर रहे हैं. खास यह कि परिवार भी चलाते हैं.
- हरगोविंद 2017 में अपंगता के बावजूद पढ़ाई कर रहे हैं.
- हरगोविंद का सपना पटवारी बनना है और वे इसके लिए मेहनत कर रहे हैं.
- हरगोविंद ई-रिक्शा चलाकर परिवार चलाते हैं और पढ़ाई भी करते हैं.
Hargovind Kushwaha Success Story. छतरपुर जिले के वार्ड क्रमांक 8 के रहने वाले हरगोविंद कुशवाहा जिन्हें साल 2017 में पैरों में अपंगता आ गई थी . इलाज के लिए बड़े-बड़े अस्पतालों में इलाज कराया. इसी बीच वह सरकारी नौकरी की तैयारी भी करते रहे. शादी भी हो गई लेकिन पढ़ाई नहीं छोड़ी. हरगोविंद का कहना है कि उनका पटवारी बनना सपना है. जिसके लिए वह मेहनत करते रहेंगे.
पढ़ाई के लिए पत्नी करती है मोटिवेट
हर दिन पढ़ते हैं 3 घंटे
पटवारी बनना है सपना
हरगोविंद बताते हैं कि मेरे दोस्त भी पटवारी हैं जिनके मार्गदर्शन में पटवारी की तैयारी करता रहता हूं. उनके साथ रहा तो पटवारी का काम भी सीख लिया. जमीन के सीमांकन से लेकर बहुत से काम सीख लिए.
हरगोविंद बताते हैं कि जब पिछली बार पटवारी की भर्ती आई थी तो मेरा 2 नंबर से पटवारी में रुक गया था. क्योंकि मुझे एक्स्ट्रा टाइम नहीं दिया गया था. लेकिन इस बार जब वैकेंसी आएगी तो 2 मार्क्स नहीं अधिक से अधिक नंबर लेकर आऊंगा.
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