
CBI ने गुरुवार को की थी छापेमारी
CBI ने शनिवार को इस मामले के सिलसिले में नोएडा और गाजियाबाद में आरोपियों से जुड़े ठिकानों की तलाशी ली. छापेमारी के दौरान एजेंसी ने 28.5 लाख रुपये की नकदी जब्त की. IDBI बैंक की शिकायत के बाद इनके खिलाफ कार्रवाई की गई. बैंक ने आरोप लगाया है कि कंपनी और उसके डायरेक्टरों ने जाली दस्तावेज जमाकर बैंक से 200 करोड़ का लोन लिया और इसमें से कुल 126.07 करोड़ रुपये गलत तरीके से हड़प ली. बैंक ने इस अकाउंट को ‘विलफुल डिफॉल्टर’ करार देते हुए इसे फ्रॉड कैटेगरी में डाल दिया है. ‘विलफुल डिफॉल्टर’ उन्हें कहा जाता है, जो जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाते हैं.
2014 में मंजूर हुआ था 200 करोड़ का लोन
IANS की रिपोर्ट के मुताबिक, सीबीआई ने गुरुवार को अपनी बैंक सिक्योरिटीज एंड फ्रॉड ब्रांच के जरिए आईडीबीआई बैंक, नई दिल्ली के एनपीए मैनेजमेंट ग्रुप के डिप्टी जनरल मैनेजर हरि कुमार मीना द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर FIR दर्ज की थी. इसके मुताबिक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के साथ कंसोर्टियम बैंकिंग व्यवस्था के तहत बैंक ने 2014 में सुपरटेक को 200 करोड़ रुपये का टर्म लोन मंजूर किया था. हालांकि, मार्च 2017 से ये लोन अमाउंट का भुगतान करने से चूक रहे हैं. इसमें आईडीबीआई बैंक की 126.07 करोड़ रुपये की बकाया राशि भी है.
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