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कनाडा के वित्त मंत्रालय ने अपने बयान में प्रधानमंत्री मार्क कार्नी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के बीच बातचीत की संभावना जताई है।
कनाडा ने रविवार देर रात अमेरिकी टेक्नोलॉजी कंपनियों पर डिजिटल सर्विस टैक्स (DST) लगाने का अपना फैसला वापस ले लिया है। कनाडाई सरकार 30 जून से अमेरिकी कंपनियों पर डिजिटल सर्विस टैक्स लगाने वाली थी।
कनाडा के वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री मार्क कार्नी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच 21 जुलाई तक व्यापार समझौते पर फिर से बातचीत शुरू हो सकती है। ट्रम्प ने 27 जून को कनाडा के साथ व्यापार वार्ता रद्द करने का ऐलान किया था।
ट्रम्प ने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट कर कहा कि अमेरिकी कंपनियों पर डिजिटल टैक्स एक सीधा हमला है और वे जल्द ही कनाडा पर नए टैरिफ लगाने की घोषणा करेंगे। उन्होंने कहा कि अगले 7 दिनों में कनाडा को बता दिया जाएगा कि उसे अमेरिका के साथ बिजनेस करने के लिए कितना टैरिफ देना होगा।

कनाडा में पिछले साल पास हुआ था डिजिटल सर्विस टैक्स कनाडा की संसद में डिजिटल सर्विसेज टैक्स एक्ट पिछले साल 20 जून, 2024 को पास हुआ था। हालांकि, यह टैक्स एक साल बाद 30 जून, 2025 से लागू होना था। लागू होने से कुछ घंटे पहले ही कनाडा सरकार ने इस पर यू टर्न ले लिया।
ट्रम्प के टैरिफ को लेकर बातचीत से पीछे हटने के बाद कनाडा के PM मार्क कार्नी ने कहा था कि वह कनाडा की जनता के हित में अमेरिका के साथ बातचीत जारी रखना चाहते हैं।
वहीं, अमेरिका के ट्रेजरी सचिव यानी कि वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा कि उन्हें पहले से इस टैक्स के लगाए जाने की आशंका थी। हालांकि, अमेरिका और कनाडा के बीच टैरिफ को लेकर बातचीत चल रही थी, इसलिए उन्हें उम्मीद थी कि कार्नी प्रशासन इसे लागू नहीं करेगा।
क्या होता है डिजिटल सर्विस टैक्स? डिजिटल सर्विसेज टैक्स वह टैक्स होता है, जो ऑनलाइन सर्विस देने वाली कंपनियों से वसूला जाता है। बड़ी विदेशी और घरेलू कंपनियों को, जो कनाडा में ऑनलाइन यूजर्स से पैसा कमा रही हैं, उसे आय पर 3% टैक्स देना होगा। यह कानून 2022 से पुराने बिलों पर भी लगना था, यानी कंपनियों को पिछले कई सालों के टैक्स का पैसा देना होता।
यह टैक्स ऑनलाइन मार्केटप्लेस, सोशल मीडिया, ऑनलाइन विज्ञापन और यूजर डेटा बेचने से हुई कमाई पर लागू होने वाला था। यह टैक्स उन कंपनियों पर लागू होता, जिनकी सलाना कमाई 800 बिलियन डॉलर से ज्यादा है।
इससे खासकर अमेरिकी टेक कंपनियां जैसे मेटा, गूगल, एपल, अमेजन और माइक्रोसॉफ्ट ज्यादा प्रभावित होतीं। कारोबारियों का अनुमान है कि इस टैक्स से अमेरिकी कंपनियों को हर साल दो अरब डॉलर से ज्यादा का नुकसान होगा। इसके साथ ही अमेरिका में 3,000 नौकरियां भी जा सकती हैं।

टैरिफ वॉर से US-कनाडा दोनों को नुकसान आंकड़ों के मुताबिक, कनाडा, अमेरिका का सबसे बड़ा खरीदार है, जिसने पिछले साल 349 अरब डॉलर (29.14 लाख करोड़ रुपए) का अमेरिकी सामान खरीदा और 413 अरब डॉलर (34.49 लाख करोड़ रुपए) का सामान अमेरिका को बेचा।
अगर अमेरिका, कनाडा पर हाई टैरिफ लगाता है, तो कनाडा भी जवाबी टैरिफ लगा सकता है, जिससे दोनों देशों की इकोनॉमी को नुकसान होगा।
ट्रम्प ने कनाडा पर पहले भी टैरिफ लगाए ट्रम्प ने अपने पहले कार्यकाल में कनाडा पर कई टैरिफ लगाए थे। तब सभी कनाडाई निर्यातों पर 25% टैरिफ लगाने की धमकी दी थी, लेकिन ज्यादातर कनाडाई सामान को उस टैरिफ से छूट मिल गई थी, अगर वे USMCA (अमेरिका मेक्सिको कनाडा एग्रीमेंट) समझौते का पालन करते थे। USMCA एग्रीमेंट एक तरह का मुक्त व्यापार समझौता है जिसे साल 2020 में ट्रम्प सरकार लेकर आई थी।
इससे पहले साल की शुरुआत में ट्रम्प ने कनाडा को धमकी दी थी कि अगर उसने अमेरिका की शर्तें नहीं मानीं तो वह उस पर आर्थिक दबाव बनाएंगे। इसके बाद अप्रैल में ट्रम्प ने कनाडा के कई सामानों पर 25% टैरिफ लगा दिया था, जिसके जवाब में कनाडा ने भी कई अमेरिकी सामानों पर 25% टैरिफ लगा दिया। हालांकि बाद में बातचीत कर इसे कुछ समय के लिए टाल दिया गया था।
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