नई दिल्ली. हेमा मालिनी की भतीजी और एक्ट्रेस मधु शाह, जिन्होंने ‘फूल और कांटे’, ‘रोजा’ और ‘अल्लरी प्रियुडु’ जैसी फिल्में की. कुछ ही फिल्मों से उन्होंने फैंस के दिलों में खास जगह बनाई, लेकिन काम के लिए उन्होंने हमेशा अपनी सीमाएं बाए रखीं. मधु हमेशा ‘घरेलू’ छवि बनाए रखने में विश्वास करती थीं वो मानती हैं कि ये उनकी परवरिश ही थी कि जिसने उन्हें बोल्ड फिल्मों से दूर रखा.
हाल ही में अपने करियर के एक अजीब अनुभव के बारे में खुलकर बात की. मधु ने बताया कि कैसे एक फिल्म में अनचाहे तरीके से किसिंग सीन शूट करने पर वह बुरी तरह आहत हुईं.
‘मैंने हर चीज के लिए हां कहा… लेकिन यह नहीं’
मधु शाह ने हाल ही में न्यूज18 शोशा को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘मैंने हमेशा अपनी ‘घरेलू’ छवि बनाए रखने पर जोर दिया. मेरी परवरिश ने मुझे बोल्ड भूमिकाओं से दूर रखा. मैंने हर भूमिका के लिए हां कहा, सिवाय एक चीज- एक्सप्लिसिट सीन्स.’
सेट पर पता चला कि किस करना होगा
एक्ट्रेस ने उस सीन को याद किया, जब उन्हें सेट पर जाकर पता चला कि उन्हें KISS सीन करना है. मधु ने बताया, ‘यह आजकल के फिल्मी KISS जैसा नहीं था, बस होंठों पर एक पेक था, लेकिन इससे मुझे बहुत बुरा लगा. मुझे शूटिंग से पहले इसके बारे में नहीं बताया गया था. सेट पर जाकर पता चला कि यह सीन है. निर्माताओं ने समझाया कि यह जरूरी है, इसलिए मैंने कर दिया, लेकिन यह मेरे लिए ये बहुत बुरा एक्सपीरियंस था.’
मधु ने फिल्म फूल और कांटे में अजय देवगन के साथ नजर आई थीं, जिसमें उनकी जोड़ी को काफी पसंद किया गया था.
‘किस का कोई मतलब नहीं था’
मधु ने सीन को किया, लेकिन यह उन्हें अच्छा नहीं लगा. बातचीत में उन्होंने आगे कहा कि उस KISS का कोई मतलब नहीं था. मैंने निर्देशक से उस सीन को फिल्म में शामिल न करने के बारे में बात भी नहीं की. मैंने इसे जाने दिया. मैं हर तरह से बहुत छोटी थी, नादान थी. आज के 22-24 साल के बच्चे ज्यादा समझदार हैं, लेकिन मैं उम्र और समझ दोनों में बहुत छोटी थी.’
‘फायर’ ने बदला नजरिया
सालों बाद, दीपा मेहता की 1996 की फिल्म ‘फायर’ ने मधु के ऑन-स्क्रीन इंटिमेसी के बारे में सोच में बदलाव लाने में मदद की. इस फिल्म में शबाना आज़मी और नंदिता दास ने लेस्बियन प्रेमियों की भूमिका निभाई थी. उस समय के लिए एक साहसी कदम. उन्होंने कहा. ‘मेरा मतलब यह नहीं है कि ऑन-स्क्रीन किसिंग बुरी चीज है. जब मैंने ‘फायर’ में शबाना जी को देखा, तो मैंने सोचा कि उन्होंने अपनी खुद की सीमाओं को तोड़ा, जो मैं तब नहीं कर पाई थी. मुझे नहीं लगता कि मैं अब भी वह कर सकती हूं जो उन्होंने किया. मैं उन अभिनेताओं की सराहना करती हूं जो अपने सिर मुंडवा सकते हैं या फिल्मों में लेस्बियन की भूमिका निभा सकते हैं’.
धीरे-धीरे अपनी सीमाओं से बाहर निकलना
मधु अब अपने पिछले डर को दूर करने और खुद को एक अभिनेत्री के रूप में नई चुनौतियां देना चाहती हैं. अपने पुराने दिनों को याद करते हुए, उन्होंने कहा कि वह एक समय सिर्फ एक फिल्म स्टार बनना चाहती थीं, लेकिन अब वह एक एक्ट्रेस हैं जो विभिन्न प्रकार की भूमिकाएं निभाना चाहती हैं. ‘मैं देखना चाहती हूं कि मैं अपनी खुद की सीमाओं को कितना तोड़ सकती हूं और खुद को कितना बदल सकती हूं और क्या मैं शबाना जी की तरह ‘फायर’ में एक भूमिका को उतनी ही विश्वसनीयता से निभा सकती हूं.’