Mumbai Underworld Don based Bollywood Movies : मुंबई अंडरवर्ल्ड पर बनी फिल्में हमेशा एक खास दर्शक वर्ग की पहली पसंद रही हैं. दयावान, परिंदा, अग्निपथ, अंगार, सत्या, कंपनी जैसी फिल्मों में मुंबई अंडरवर्ल्ड की एक अलग ही दुनिया देखने को मिली. इन फिल्मों को दर्शकों ने खूब प्यार दिया. कई फिल्में तो आज कल्ट मूवी का स्टेट्स पा चुकी हैं. यूट्यूब पर करोड़ों व्यूज इन फिल्मों को मिल चुके हैं. 23 साल ke के अंतराल में ऐसी ही तीन फिल्में सिनेमाघरों में रिलीज हुईं. तीनों फिल्मों में एक डॉन की कहानी देखने को मिली थी. एक फिल्म सुपरहिट रही तो दूसरी कल्ट मूवी बन गई. तीसरी की चर्चा बहुत ज्यादा हुई थी.
यह कहानी है मुंबई के पहले हिंदू डॉन मन्या सुर्वे की जिसकी लाइफ पर बनी हिंदी फिल्म को दर्शकों ने खूब सराहा था. दाऊद इब्राहिम के बड़े भाई का मर्डर भी मन्या सुर्वे ने ही किया था. 11 जनवरी 1981 को मुंबई के वडाला में मन्या सुर्वे का एनकाउंटर पुलिस अफसर ईशाक बागवान और उनकी टीम ने किया था. मन्या सुर्वे की लाइफ पर तीन फिल्में बन चुकी हैं. ये फिल्में थीं : अग्निपथ (1990), अग्निपथ (2012) और शूटआउट एट वडाला (2013). पहली दो फिल्मों धर्मा प्रोडक्शन के बैनर तले रिलीज हुई थीं, वहीं शूटआउट एट वडाला का डायरेक्शन संजय गुप्ता ने किया था. संजय गुप्ता ने ही शूटआउट एट लोखंडवाला फिल्म भी बनाई थी.

<br />शूटआउट एट वडाला फिल्म की स्टोरी संजय गुप्ता-हुसैन जैदी ने लिखी थी. खोजी पत्रकार हुसैन जैदी ने डोंगरी टू दुबई नाम से एक बुक लिखी है जिसका प्रकाशन 2012 में किया गया था. यह किताब मुंबई माफिया के इतिहास की तस्वीर पेश करती है. इसी किताब की कहानी को आधार बनाकर संजय गुप्ता, संजय भाटिया, अभिजीत देशपांडे ने स्क्रीनप्ले लिखा. डायलॉग मिलाप जावेरी ने लिखे थे. फिल्म को संजय गुप्ता, अनुराधा गुप्ता, एकता कपूर-शोभा कपूर ने प्रोड्यूस किया था.

शूटआउट एट वडाला फिल्म की स्टोरी संजय गुप्ता-हुसैन जैदी ने लिखी थी. खोजी पत्रकार हुसैन जैदी ने डोंगरी टू दुबई नाम से एक बुक लिखी है जिसका प्रकाशन 2012 में किया गया था. यह किताब मुंबई माफिया के इतिहास की तस्वीर पेश करती है. इसी किताब की कहानी को आधार बनाकर संजय गुप्ता, संजय भाटिया, अभिजीत देशपांडे ने स्क्रीनप्ले लिखा. डायलॉग मिलाप जावेरी ने लिखे थे. फिल्म को संजय गुप्ता, अनुराधा गुप्ता, एकता कपूर-शोभा कपूर ने प्रोड्यूस किया था. शूटआउट एट वडाला फिल्म में जॉन अब्राहम, अनिल कपूर, तुषार कपूर, कंगना रनौत, सोनू सूद, रॉनित रॉय और महेश मांजरेकर लीड रोल में थे. बालाजी मोशन पिक्चर्स के बैनर तले फिल्म का प्रोडक्शन किया गया था. म्यूजिक अनु मलिक, आनंद राज आनंद, मीत ब्रदर्स ने तैयार किया था. फिल्म में 49:26 मिनट की लेंग्थ के 12 गाने थे. फिल्म का ‘लैला’ सॉन्ग सबसे ज्यादा पॉप्युलर हुआ था. इस गाने को अश्लील करार दिया गया था.
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शूटआउट एट वडाला फिल्म 70-80 के मुंबई के अंडरवर्ल्ड की तस्वीर पेश करती है. मन्या सुर्वे कैसे अपराध की दुनिया में आया, कैसे उसने पठान गैंग से हाथ मिलाया और कैसे उसने दाऊद इब्राहिम के भाई इब्राहिम कासकर की हत्या की, फिल्म में इन सब घटनाओं को सिलसिलेवार ढंग से दिखाया गया है. फिल्म में कुछ सीन फिक्शनल भी हैं. दाऊद और उसके बड़े भाई का नाम बदला हुआ है. मन्या सुर्वे की गर्लफ्रेंड का रोल निभाने वाली कंगना रनौत का नाम विद्या दिखाया गया है. असल जिंदगी में भी उसका नाम विद्या जोशी ही था.

महाराष्ट्र के रत्नागिरी शहर में 1944 में मन्या सुर्वे का जन्म हुआ था पूरा नाम मनोहर अर्जुन सुर्वे था. फिल्म अभिनेता नाना पाटेकर ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि मन्या उनके मामा का बेटा था. उनकी मां डॉन फैमिली से आती हैं. मन्या पढ़ाई में काफी होनहार था. मुंबई के कीर्ति कॉलेज में से 78% अंकों के साथ उसने साइंस में ग्रेजुएशन किया. यह बात 70 के दशक की है. मन्या सर्वे मुंबई की एक चॉल में अपनी मां-सौतेल पिता और सौतेल भाई भार्गव दादा के साथ रहता था. उसका सौतेले भाई चोरी-छीना झपटी में शामिल रहता था. कहा जाता है कि सौतेले भाई भार्गव दादा ने 1969 में अपने दोस्त मन्या पोधाकर के साथ मिलकर दांदेकर नाम के एक युवक की हत्या कर दी. पुलिस मन्या सुर्वे को भी पकड़कर थाने ले गई. केस दर्ज किया. मन्या सुर्वे को भी उम्रकैद की सजा हुई.

जेल में ही उसकी मुलाकात कई खूंखार अपराधियों से हुई. उम्र कैद की सजा के बाद मन्या सुर्वे को पुणे की यरवदा जेल भेजा गया. जेल के अंदर ही उसने अपना गैंग बना लिया. ऐसे में उसे रत्नागिरि जेल में शिफ्ट कर दिया गया. यहां पर उसने जेल में मिलने वाले खाने को लेकर भूख हड़ताल शुरू कर दी. क्राइम से जुड़े कई उपन्यास पढ़े. भूख हड़ताल के चलते वो बीमार हो गया. उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया. 14 नवंबर 1979 को मन्या सुर्वे अस्पताल से पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया.

मन्या ने मुंबई को अपना ठिकाना बनाया. धरावी के शेख मुनीर और डोंभीवली के विष्णु पाटिल उसके खास दोस्त थे. 1980 में एक और कुख्यात गैंगस्टर उदय भी मन्या सुर्वे के साथ आ गया. तीनों ने 5 अप्रैल 1980 को सबसे पहले एक एंबेस्डर कार चुराई. 30 अप्रैल को शेख मुनीर ने अपने दुश्मन शेख अजीज की हत्या की. फिर इस गैंग ने चोरी-डकैती की कई वारदातों को अंजाम दिया. मन्या का खौफ मुंबई में बढ़ गया.

80 के दशक में मुंबई में दाउद गैंग और करीम लाला की पठान गैंग के बीच गैंगवार शुरू हो गया था. दाऊद अपनी पकड़ पूरी मुंबई पर जमाना चाहता था. पठान गैंग 1950 से मुंबई में राज कर रही थी. करीम लाला इसके मुखिया था जो कि अफगानिस्तान से भारत आए थे. करीम लाला का पूरा नाम अब्दुल करीम शेर खान था. 7 फुट लंबे और हट्टे-कट्टे करीम लाला अपने साथ एक छड़ी भी रखते थे. उसी छड़ी के सहारे किसी जमीन या बिल्डिंग पर अवैध कब्जा करता था. करीम लाला ने ही मुंबई को डॉन शब्द का मतलब बताया. हाजी मस्तान ने दोनों गैंग के बीच सुलह करवाई थी. हालांकि यह सुलह मन से नहीं हुई थी. पठान गैंग ने मन्या सुर्वे से हाथ मिलाकर दाऊद इब्राहिम के बड़े भाई शब्बीर इब्राहिम कासकर की हत्या करवा दी. भाई की हत्या के बाद दाउद बौखला उठा था.

उस समय पठान गैंग को अमीरजादा, आलमजेब, समद खान, सईद बटला और अयूब लाला चलाते थे. 12 फरवरी 1981 को सिद्धि विनायक के पास प्रभादेवी पेट्रोल पंप पर रात एक बजे दाऊद के बड़े भाई शब्बीर की हत्या की गई थी. इस हत्याकांड के बाद दाऊद मान्या सुर्वे के पीछे पड़ गया. कहा जाता है कि दाऊद ने तत्कालीन सीएम अब्दुल रहमान अंतुले से भी मुलाकात की थी. सीएम ने मुंबई के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर जूलियो रिबेरो को एक स्पेशल सेल बनाने का निर्देश दिया था. इस सेल में यशवंत भिड़े, राजा तंबत, संजय परांडे और इसाक बागवान जैसे तेज-तराफ पुलिस अफसर शामिल थे. 11 जनवरी 1982 की बात है. पुलिस को खबर मिली कि मन्या सुर्वे वडाला के अंबेडकर कॉलेज के पास अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने आ रहा है. पुलिस टीम सादा कपड़ों में तैनात हो गई. सुबह करीब 10:45 पर एक टैक्सी आई और एक शख्स उतरा. पुलिस ने मौका दिए बिना उस पर गोली चला दी. पुलिस के एनकाउंटर में मान्या बुरी तरह घायल हो गया. पुलिस उसे लेकर सायन के लोकमान्य तिलक हॉस्पिटल पहुंची, जहां उसे मृत करार दिया गया.

फिल्म निर्माता यश जौहर ने मान्य सुर्वे की लाइफ पर पहली बार ‘अग्निपथ’ के नाम से फिल्म बनाई थी. 16 फरवरी 1990 को रिलीज हुई अग्निपथ में मिथुन चक्रवर्ती, माधवी, नीलम कोठारी और डैनी डेन्जोंगपा लीड रोल में थे. यह फिल्म उस समय फ्लॉप हो गई थी. आज यह फिल्म कल्ट मूवी में शामिल है. इसकी गिनती महान फिल्मों में होती है. यह अपने समय से बहुत आगे की थी. 2 करोड़ के बजट में बनी इस फिल्म ने करीब 5.75 करोड़ की कमाई की थी. फिर भी फिल्म फ्लॉप रही थी. हालांकि यह फिल्म साल 1990 चौथी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली मूवी बनी थी. अमिताभ बच्चन ने इस फिल्म में मान्य सुर्वे जैसे हाव-भाव रखे थे.

आगे चलकर 2012 में करण जौहर ने धर्मा प्रोड्क्शन के बैनर तले अपने पिता की फिल्म’अग्निपथ’ का रीमेक बनाया. नए अंदाज में स्क्रिप्ट लिखी. विजय चौहान का किरदार ऋतिक रोशन ने निभाया. कांचा चीना के रोल में संजय दत्त पर्दे पर छा गए थे. ऋषि कपूर और प्रियंका चोपड़ा ने भी अपने अभिनय को बखूबी निभाया. अग्निपथ 2012 में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों की लिस्ट में पांचवें नंबर पर रही. इस फिल्म को करण मल्होत्रा ने डायरेक्ट किया था. इस फिल्म में मान्या सुर्वे की लाइफ की झलक देखने को मिलती है.


