
स्थानीय जानकार महिला रेनू उपाध्याय ने लोकल 18 को बताया कि गांवों में लोग गंद्रायणी की सूखी पत्तियों या जड़ों को पानी में उबालकर उसका काढ़ा तैयार करते हैं.

गद्रायणी
बागेश्वर की स्थानीय जानकार महिला रेनू उपाध्याय ने लोकल 18 को बताया कि गांवों में लोग गंद्रायणी की सूखी पत्तियों या जड़ों को पानी में उबालकर उसका काढ़ा तैयार करते हैं. इस काढ़े का सेवन सुबह खाली पेट और रात में भोजन के बाद करने की सलाह दी जाती है. यह न केवल गैस को बाहर निकालने में मदद करता है, बल्कि पेट में जमा विषैले तत्वों को भी दूर करता है. गंद्रायणी पूरी तरह से प्राकृतिक है और इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता. इसलिए यह उन लोगों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है जो एलोपैथिक दवाओं से बचना चाहते हैं या जिन पर दवाएं असर नहीं कर रही होतीं.
पाचन तंत्र होता है मजबूत
यही कारण है कि उत्तराखंड के कई बुजुर्ग आज भी इस जड़ी-बूटी को अपनी दिनचर्या में शामिल करते हैं. आयुर्वेद में भी गंद्रायणी के कई गुणों का उल्लेख मिलता है. यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाती है, भोजन को जल्दी पचाने में सहायता करती है और शरीर को हल्का बनाए रखती है. हाल ही में कुछ शोधों में भी यह सामने आया है कि गंद्रायणी में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-स्पास्मोडिक गुण पाए जाते हैं, जो गैस, सूजन और ऐंठन से राहत दिलाने में मदद करते हैं.
कई बीमारियों से करोगा बचाव
गंद्रायणी मुख्य रूप से उत्तराखंड, हिमाचल और नेपाल के ऊंचाई वाले इलाकों में पाई जाती है. बागेश्वर जिले के कपकोट, गरुड़, और दुगनियां क्षेत्र में यह जड़ी-बूटी प्रचुर मात्रा में मिलती है. अगर आप भी रोज-रोज गैस, पेट दर्द या अपच से परेशान रहते हैं, तो एक बार गंद्रायणी का इस्तेमाल जरूर करें. यह न केवल आपकी पाचन शक्ति को बेहतर बनाएगी, बल्कि जीवनशैली से जुड़ी कई बीमारियों से भी बचाएगी. पहाड़ की इस विरासत को अपनाएं और हेल्दी जीवन की ओर कदम बढ़ाएं.

Prashant Rai is a seasoned journalist with over seven years of extensive experience in the media industry. Having honed his skills at some of the most respected news outlets, including ETV Bharat, Amar Ujala, a…और पढ़ें
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