
हरिद्वार9 मिनट पहले
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जप, तप, नियम, उपवास, अनुष्ठान, शास्त्र पढ़ना, सद्गुरु का सत्संग, ये सभी साधन माने गए हैं। इन सभी से साधनों से श्रेष्ठ है दूसरों की सेवा करना। सेवा करने से हम निराभिमानी बनते हैं।
आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए हमारा सबसे बड़ा धर्म क्या है?
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