
अमरनाथ यात्रा दो रास्तों से होती है-पहलगाम और बालटाल. दोनों ही रूट पर अलग-अलग अनुभव और दूरी होती है. अगर आप हवाई सफर से जाना चाहते हैं, तो श्रीनगर तक सीधी फ्लाइट मिल जाती है. वहीं, ट्रेन से यात्रा करने वालों के लिए जम्मू तक देश के लगभग हर बड़े शहर से ट्रेन उपलब्ध है.
ठहरने की व्यवस्था
बालटाल में ठहरने के लिए शेयरिंग टेंट का विकल्प मिलता है, जिसकी कीमत लगभग 500 रुपये होती है. कुछ जगहों पर मुफ्त ठहरने की सुविधा भी है, लेकिन वहां पहले पहुंचना जरूरी होता है क्योंकि भीड़ ज्यादा रहती है.
बालटाल से गुफा की दूरी करीब 14 किलोमीटर है और एंट्री दोमेल गेट से होती है. वहीं, पहलगाम से यह दूरी करीब 32 किलोमीटर है और यहां चंदनवाड़ी से एंट्री होती है. यात्रा शुरू करने से पहले आपको RFID कार्ड लेना होता है, जिसकी फीस 250 रुपये है. इस कार्ड के बिना यात्रा की अनुमति नहीं मिलती.
दोमेल गेट से एंट्री सुबह 4 बजे से 10 बजे तक होती है. इसके बाद आप यात्रा शुरू कर सकते हैं. रास्ते में कई जगह भंडारा लगे होते हैं, जहां मुफ्त में खाना मिलता है. अगर आप पैदल नहीं जाना चाहते, तो घोड़े या पालकी का विकल्प है. घोड़े का किराया एक तरफ का 2000 से 2500 रुपये और दोनों तरफ का 4 से 5 हजार रुपये होता है. पालकी का खर्चा आने-जाने का लगभग 8 हजार रुपये तक आता है. हालांकि, घोड़े या पालकी से जाने पर भी अंतिम 1 किलोमीटर पैदल ही तय करना पड़ता है.
अगर आप चाहते हैं कि बिना भीड़ के दर्शन हो जाएं, तो सुबह जल्दी निकलें. दोमेल से शुरुआती 2 किलोमीटर की दूरी बैटरी रिक्शा या छोटी बस से तय की जा सकती है, जिससे पैदल सफर थोड़ा आसान हो जाता है.
नोट
यात्रा शुरू करने से पहले रजिस्ट्रेशन जरूर कराएं और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें. अगर आप पहली बार जा रहे हैं, तो किसी अनुभवी व्यक्ति या टूर ऑपरेटर से सलाह लेना बेहतर रहेगा. बाबा बर्फानी का दर्शन करने के लिए यह यात्रा कठिन जरूर है, लेकिन मन से की जाए तो बेहद खास अनुभव देती है.
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