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अमरनाथ यात्रा के छठे दिन 18,633 श्रद्धालुओं ने पवित्र गुफा में हिम शिवलिंग के दर्शन किए। पहले छह दिनों में 1.11 लाख से अधिक तीर्थयात्री पवित्र गुफा मंदिर में दर्शन कर चुके हैं। पवित्र अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई को शुरू हुई थी।
यात्रा के पहले दिन गुरुवार को 12,348 , शुक्रवार को 14,515, शनिवार को 21,109, रविवार को 21,512 तीर्थयात्री, सोमवार को 23,857 तीर्थयात्री दर्शन के लिए पहुंचे थे।
अब तक चार लाख से अधिक लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। मंगलवार सुबह कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच 5,516 पुरुषों और 1,765 महिलाओं सहित 7,541 तीर्थयात्रियों का सातवां जत्था 309 गाड़ियों में जम्मू के भगवती नगर आधार शिविर से कश्मीर के दो आधार शिविरों के लिए रवाना हुआ।
अमरनाथ यात्रा से जुड़ी तस्वीरें…

3 जुलाई से अमरनाथ यात्रा शुरू हुई। पहली आरती की तस्वीर।

पवित्र गुफा में हिम शिवलिंग।

मध्य प्रदेश के जबलपुर से एक श्रद्धालु कांवड़ में गंगाजल लेकर अमरनाथ यात्रा पर आया।

अमरनाथ यात्रा पर आई एक श्रद्धालु को तुरंत ऑक्सीजन मुहैया कराती हुई टीम।

तस्वीर अमरनाथ यात्रा गुफा के रास्ते की है। दर्शनार्थियों के लिए खास व्यवस्था की गई हैं।
अमरनाथ यात्रा मार्ग पर क्या-क्या
- यात्रा पर आए श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए 581 अलग-अलग सुरक्षा कंपनियों का चाक-चौबंद बंदोबस्त किया गया है। इसमें सीआरपीएफ, बीएसएफ, एसएसबी, आईबीटीपी और सीआईएसएफ समेत सुरक्षा बलों के जवान तैनात किए गए हैं।
- बालटाल से लेकर गुफा तक के मार्ग पर हर दो किलोमीटर पर मेडिकल कैंप लगाए हैं। बीच में कई जगहों पर गोदाम भी चालू कर दिए गए हैं। इस साल गुफा की ओर जाने वाले रास्ते पर चार स्टैंड बनाए गए हैं, जबकि पैदल, घोड़े पर और पालकी में जाने वाले श्रद्धालुओं के रास्ते भी अलग-अलग बनाए गए हैं।
- श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए हर 50 मीटर पर एक जवान तैनात है। मुंबई से आए तीर्थयात्री प्रसाद ठाकुर ने कहा कि जिनका रजिस्ट्रेशन नहीं था उनका भी बहुत जल्दी रजिस्ट्रेशन हो गया है। आज 70 से 80 हजार तीर्थयात्रियों ने दर्शन किए होंगे। भंडारे में खाने का अच्छा इंतजाम है। शौचालय से लेकर रहने तक की सारी व्यवस्था बढ़िया हैं।
प्राकृतिक सौंदर्य के लिए पहलगाम रूट बेहतर यदि आप अमरनाथ सिर्फ धार्मिक यात्रा के रूप में आ रहे हैं तो बालटाल रूट बेहतर है। यदि कश्मीर के प्राकृतिक सौंदर्य को करीब से जीना चाहते हैं तो पहलगाम रूट बेहतर है। हालांकि इसकी हालत बालटाल रूट के विपरीत है।
गुफा से चंदनबाड़ी तक सफर थकान, धूलभरा है। रास्ता पत्थरों वाला और कहीं-कहीं बहुत संकरा है। 48 किमी लंबे जर्जर रूट पर कई जगह रेलिंग गायब है तो कहीं घोड़ों के लिए अलग रास्ता है।
भास्कर टीम ने दूसरे दिन का सफर पहलगाम रूट से किया। जैसे ही आप गुफा से इस रूट पर बढ़ते हैं, जवान डॉग स्क्वॉड के साथ मिल जाएंगे। पंचतरणी से आगे बुग्यालों (पहाड़ों पर हरी घास के मैदान) में बैठे जवान दिखेंगे।
ये नजारा 14,800 फीट ऊपर गणेश टॉप, पिस्सू टॉप पर भी दिखा। पिछली बार इतनी सुरक्षा नहीं थी।
कैसे पहुंचें: यात्रा के लिए दो रूट

1. पहलगाम रूट: इस रूट से गुफा तक पहुंचने में 3 दिन लगते हैं, लेकिन ये रास्ता आसान है। यात्रा में खड़ी चढ़ाई नहीं है। पहलगाम से पहला पड़ाव चंदनवाड़ी है। ये बेस कैंप से 16 किमी दूर है। यहां से चढ़ाई शुरू होती है।
तीन किमी चढ़ाई के बाद यात्रा पिस्सू टॉप पहुंचती है। यहां से पैदल चलते हुए शाम तक यात्रा शेषनाग पहुंचती है। ये सफर करीब 9 किमी का है। अगले दिन शेषनाग से यात्री पंचतरणी जाते हैं। ये शेषनाग से करीब 14 किमी है। पंचतरणी से गुफा सिर्फ 6 किमी रह जाती है।
2. बालटाल रूट: वक्त कम हो, तो बाबा अमरनाथ दर्शन के लिए बालटाल रूट से जा सकते हैं। इसमें सिर्फ 14 किमी की चढ़ाई चढ़नी होती है, लेकिन एकदम खड़ी चढ़ाई है, इसलिए बुजुर्गों को इस रास्ते पर दिक्कत होती है। इस रूट पर संकरे रास्ते और खतरनाक मोड़ हैं।
यात्रा के दौरान किन बातों का ध्यान रखें… यात्रा के दौरान मेडिकल सर्टिफिकेट, 4 पासपोर्ट साइज फोटो, आधार कार्ड, RFID कार्ड, ट्रैवल एप्लिकेशन फॉर्म अपने साथ रखें। फिजिकल फिटनेस के लिहाज से हर रोज 4 से 5 किलोमीटर पैदल चलने की प्रैक्टिस करें। सांस वाला योग जैसे प्राणायाम और एक्सरसाइज करें। यात्रा में ऊनी कपड़े, रेनकोट, ट्रैकिंग स्टिक, पानी बॉटल और जरूरी दवाओं का बैग अपने साथ रखें।

3888 मीटर की ऊंचाई पर है अमरनाथ गुफा

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