
Ahmedabad Air India Plane Crash: मां की भावुक आवाज, सड़क पर जाम और आखिरी समय में कागजी कार्रवाई में अड़चन… ऐसे ही कुछ छोटे-छोटे कारण थे, जिन्होंने 7 लोगों की अहमदाबाद प्लेन क्रैश में जिंदगी बचा दी. (12 जून, 2025) को इन लोगों को भी उसी एयर इंडिया के प्लेन से जाना था, जो हादसे का शिकार हुआ. इन सब कारणों के चलते ये लोग अहमदाबाद से बोइंग ड्रीमलाइनर की फ्लाइट लेने से चूक गए.
यमन व्यास का उस दिन सामान पैक था. बस घर से फ्लाइट पकड़ने के लिए वो निकल ही रहे थे. तभी भावुक मां ने बेटे से कहा कि कुछ दिन और रुक जाते बेटा. मां की ये बात सुनकर यमन ने यात्रा टाल दी. उनका 12 जून को एयर इंडिया की उस फ्लाइट का टिकट था, जो दुर्घटनाग्रस्त हुई. यमन ने बताया कि शाम को जब उन्होंने प्लेन क्रैश होने खबर सुनी तो वह दंग रह गए आखिरकार मां ने उन्हें बचा लिया.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक यमन कई सालों से लंदन स्थित वेयरहाउस में काम करते हैं. लगभग दो साल बाद यमन अपने घर वालों से मिलने वडोदरा आए थे. जिसके बाद वो वापस लंदन जाने वाले थे, लेकिन मां के कहने पर वो रुक गए और उनकी जान बच गई.
जैमिनी और प्रिया पटेल की जान कैसे बची ?
जैमिनी और प्रिया पटेल की भी साधारण सी दिक्कतों के चलते जान बच गई. अहमदाबाद के चांदलोडिया के रहने वाले 29 साल के जैमिन पटेल और 25 साल की प्रिया पटेल को उनके दोस्त ने छुट्टियां बिताने के लिए लंदन बुलाया था. ये दोनों भी गुरुवार को एयर इंडिया के बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान से लंदन जाने वाले थे. ये लोग लंदन विजिटर वीजा पर घूमने जा रहे थे, लेकिन कुछ कागज कम होने के चलते इन्हें फ्लाइट में बैठने नहीं दिया गया. एयरलाइंस के स्टाफ से लाख कहने के बाद भी इन्हें बोर्डिंग नहीं कराई गई और इन्हें निराश होकर घर लौटना पड़ा.
ट्रैफिक ने बचाई भूमि चौहान की जान
ब्रिटेन से भारत आई भूमि चौहान की कहानी भी कुछ इसी तरह की थी. वो एयर इंडिया की फ्लाइट छूटने के कारण बच गई. भूमि अहमदाबाद के भारी ट्रैफिक में फंस गईं और इस वजह से एयरपोर्ट पहुंचने में लेट हो गईं. सिर्फ 10 मिनट लेट होने के कारण उनकी फ्लाइट मिस हो गई और इस तरह उन्हें भी एक नई जिंदगी मिली.
सावजी टिंबाडिया ने आखिरी वक्त में कैंसिल की फ्लाइट
सूरत के रहने वाले सावजी टिंबाडिया अपने बेटे से मिलने के लिए लंदन जाने वाले थे और अपना बैग पैक कर लिया था. फ्लाइट पकड़ने के कुछ ही घंटे पहले उन्होंने अपने बेटे को फोन किया. उन्होंने कहा कि मैंने अपने बेटे से कहा कि मेरा उड़ान भरने का मन नहीं है और मैं सोमवार तक के लिए इसे टाल दूंगा उन्होंने कोई वजह नहीं बताई, बस उन्हें अजीब सी बेचैनी हो रही थी. कुछ घंटे बाद उनके एक दोस्त ने उन्हें खबर देखने को कहा, इसके बाद टिंबाडिया ने कहा कि मुझे जवाब मिल गया कि मुझे क्या बेचैन कर रहा था, भगवान स्वामीनारायण ने मेरी जान बचाई.
जयेश ठक्कर और रवजी पटेल की कहानी
गरबा के कार्यक्रम करने वाले वडोदरा के रहने वाले जयेश ठक्कर काम के सिलसिले में लंदन जाने वाले थे, वे भी बाकियों की तरह फ्लाइट 171 से जाने वाले थे, लेकिन कोलकाता में उनका काम अटक गया. उन्होंने बताया कि मुझे देर हो गई तो लगा कि मैं समय पर अहमदाबाद नहीं पहुंच पाऊंगा. इसलिए उन्होंने टिकट बदल लिया. बाद में उन्हें पता चला कि यह देरी उनकी जान बचाने वाली थी.
कुछ इसी तरह की कहानी रवजी पटेल भी की है. उनके दामाद अर्जुन ने उनसे लंदन चलने के लिए कहा था. अर्जुन अपनी बेटियों से मिलने जाने वाले थे. रवजी ने बताया कि मैंने उससे कहा कि मुझे कुछ काम खत्म करना है और मैं बाद में आऊंगा. इस तरह इन 7 लोगों की जान बच गई.
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