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एअर इंडिया की फ्लाइट AI 171 ने 12 जून को दोपहर 1.38 बजे उड़ान भरी थी और 1.40 बजे हादसा हो गया। उस समय प्लेन 200 फीट की ऊंचाई पर था।
अहमदाबाद विमान हादसे के कारणों का सही ब्योरा आने में अभी कुछ समय लगेगा। इस बीच, न्यूयॉर्क टाइम्स (NYT) ने हादसे के फोटो, वीडियो और ऑडियो का विश्लेषण किया है। एविएशन सिक्योरिटी स्पेशलिस्ट, पूर्व पायलटों, जांचकर्ताओं और ऑडियो एक्सपर्ट की मदद से किया एनालिसिस संकेत देता है कि टेकऑफ नॉर्मल था।
NYT के मुताबिक, तबाही हवा में शुरू हुई। टेकऑफ से पहले विमान ने विंग फ्लैप और स्लैट्स को खोला गया, रनवे की पूरी लंबाई का उपयोग कर जनरल पॉइंट से उड़ान भरी। उड़ान के कुछ सेकेंड बाद लैंडिंग गियर पूरी तरह बंद नहीं हो पाया।
12 जून को अहमदाबाद से लंदन जा रही फ्लाइट AI 171 टेकऑफ के कुछ ही देर बाद एक मेडिकल हॉस्टल की इमारत से टकरा गई थी। इसमें 270 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें 241 यात्री और क्रू मेंबर शामिल थे। सिर्फ एक यात्री इस हादसे में जिंदा बचा है।

चार पहलुओं पर NYT की इन्वेस्टिगेशन में क्या संकेत मिले…
1. टेकऑफ: AI 171 ने रनवे के जिस पॉइंट से उड़ान भरी थी, पिछले सात टेकऑफ भी लगभग उसी जगह से हुए थे

- हादसे के बाद AI 171 का टेकऑफ जांच के दायरे में था। सवाल था- क्या टेकऑफ के समय कोई पूर्व चेतावनी के संकेत दिखे थे।
- पैनल में शामिल कई विशेषज्ञों ने कहा- टेकऑफ सामान्य था। ऐसा नहीं लगा कि जमीन पर विमान को इंजन से आवश्यक थ्रस्ट नहीं मिल रहा था।
- सीसीटीवी फुटेज और फ्लाइट डेटा विश्लेषण बताता है कि विमान ने जिस पॉइंट से रनवे छोड़ा, वहां से पहले भी सात बार उड़ान भर चुका था।
- NYT ने CCTV की संभावित स्थिति तय की और इससे टेकऑफ बिंदु का अनुमान लगाया।

- फ्लाइट ट्रैकिंग डेटा के अनुसार दोपहर 1:34 बजे विमान रनवे के बगल में टैक्सी कर रहा था। 5 मिनट बाद 1:39 बजे विमान रनवे के छोर के पास हवा में था। विमान 1:38 बजे जब फ्रेम में आता है तो जो स्थिति थी, वह तभी संभव है, जब उसने बैकट्रैक किया हो।
- विमान की हवा में शुरुआती दिशा कुछ हद तक सामान्य है। उड़ान डेटा दिखाता है कि यह AI 171 की पिछली 7 उड़ानों से अलग नहीं थी। पूर्व पायलट जॉन कॉक्स कहते हैं, ‘जब विमान हवा में आया तो प्रारंभिक चढ़ाई की दर काफी सामान्य दिखी’।
2. स्लैट्स,फ्लैप्सः दोनों फैली हुई स्थिति में थे, यानी टेकऑफ की शुरुआत में पायलटों ने कुछ मानक प्रक्रियाएं अपनाईं

- टेकऑफ के तुरंत बाद विमान गिरने से चिंता बढ़ी कि क्या उसके पंखों पर स्लैट्स और फ्लैप्स टेकऑफ के लिए विस्तारित (एक्सटेंडेड) थे। ये अमूमन उड़ान से पहले खोले जाते हैं, ताकि लिफ्ट के लिए सतह क्षेत्र बढ़ जाए।
- मलबे की एक तस्वीर में दाहिने पंख पर स्लैट्स विस्तारित स्थिति में दिख रहे हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि टेकऑफ से पहले वे शायद सक्रिय किए गए थे।
- छत से शूट किए गए क्रैश के वीडियो में विमान के दाहिने पंख के अगले भाग पर हल्की छाया दिख रही है। यह संकेत देता है स्लैट्स संभवतः विस्तारित थे।
- कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि वीडियो की गुणवत्ता के आधार पर स्लैट्स की स्थिति पर निश्चित रूप से कुछ भी कहना कठिन है। फिर भी यह इस बात का एक और प्रमाण है कि टेकऑफ की शुरुआत में पायलटों ने कुछ मानक प्रक्रियाएं पूरी की थीं।

एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन में दुर्घटना जांचकर्ता रहे शॉन प्रुचनिकी कहते हैं, जलने के निशान दिखाते हैं कि स्लैट्स या तो इम्पैक्ट से पहले या जमीन पर विस्फोट के समय विस्तारित थे। पंखों के पिछले किनारों पर स्थित फ्लैप्स भी तैनात थे, भले वीडियो में स्पष्ट नहीं दिख रहे। बोइंग 787-8 विमानों में जब पायलट फ्लैप्स सक्रिय करते हैं, तो स्लैट्स अपने आप विस्तारित हो जाते हैं।
3. लैंडिंग गियर (यही दिक्कत का पहला संकेत): कॉकपिट से इन्हें समेटने की प्रक्रिया शुरू तो हुई, लेकिन यह पूरी नहीं हो सकी…

- वीडियो विश्लेषण में टेकऑफ के तुरंत बाद दिक्कत का पहला संकेत मिला। यह था- लैंडिंग गियर का विमान के अंदर पूरी तरह वापस न जाना।
- टेकऑफ के बाद पायलट लैंडिंग गियर खींचते हैं। विमान खुले लैंडिंग गियर के साथ भी उड़ सकता है, पर ड्रैग घटाने पायलट इसे खींच लेते हैं।
- वीडियो में टेकऑफ के बाद लैंडिंग गियर ट्रक फ्रंट व्हील डाउन स्थिति में दिखता है। यह संकेत है कि कॉकपिट से लैंडिंग गियर समेटने की प्रक्रिया शुरू तो हुई, लेकिन यह बीच में ही रुक गई।
- नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड के पूर्व सदस्य जॉन गोगलिया कहते हैं, गियर सही स्थिति में होना जरूरी है, ताकि वह विमान में ठीक से समा सके। लगता है कि पायलटों ने लैंडिंग गियर बंद करने की प्रक्रिया शुरू की, लेकिन पूरा नहीं कर सके। शायद बिजली फेल हाेने के कारण। इससे हाइड्रॉलिक पावर प्रभावित हुई।
आपातकालीन पावर जेनरेटर सक्रिय हो गया था
- बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर में बिजली, हाइड्रॉलिक या इंजन पावर फेल होने पर ऑप्शनल पावर स्रोत विमान के निचले हिस्से से बाहर आता है। इसे रैम एयर टरबाइन कहते हैं। यह आपात लैंडिंग में मदद लायक पावर देता है।
- उड्डयन विशेषज्ञों ने क्रैश के वीडियो में सुनी विशिष्ट ध्वनि को आपातकालीन पावर जेनरेटर एक्टिव होने का प्रमाण बताया। फॉरेंसिक ऑडियो विश्लेषण के अनुसार दुर्घटनाग्रस्त विमान की आवाज उस उदाहरण से 97% से अधिक मेल खाती है, जिसमें आपातकालीन टरबाइन सक्रिय था।
4. झटका (यह बेहद असामान्य बात): विमान में झटका या साइड मूवमेंट नहीं दिखा, यानी दोनों इंजन एक साथ खराब हुए…
- संकेत हैं कि टेकऑफ के बाद इंजन फेल हो गए। अक्सर एक इंजन फेल होने पर विमान झुकता है या साइड मूवमेंट करता है। पायलट या विमान का सिस्टम इसे ठीक करता है। दोनों वीडियो में ऐसा कुछ नहीं दिखा।
- एफएए के पूर्व जांचकर्ता जेफ गजेट्टी कहते हैं, ‘एसिमेट्रिक थ्रस्ट का कोई संकेत नहीं। यॉइंग, राडार डिफ्लेक्शन नहीं। इंजन से धुआं या आग नहीं। यानी पावर का सिमेट्रिकल लॉस था।’ यह संकेत है कि दोनों इंजन एक साथ खराब हुए। यह बेहद असामान्य स्थिति है।
- इंजन फेल होने की वजहों में दूषित ईंधन स्रोत, टेकऑफ से पहले उड़ान पैरामीटर्स के गलत इनपुट जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

प्लेन क्रैश में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का भी निधन हुआ था
एअर इंडिया की उड़ान संख्या AI 171 अहमदाबाद से लंदन जा रही थी। इसमें 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, 7 पुर्तगाली और एक कनाडाई नागरिक समेत कुल 230 यात्री सवार थे। इनमें 103 पुरुष, 114 महिलाएं, 11 बच्चे और 2 नवजात शामिल हैं। बाकी 12 क्रू मेंबर्स थे। हादसे में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का भी निधन हो गया।

अहमदाबाद प्लेन हादसे में जान गंवाने वाले 251 मृतकों की डीएनए से पहचान हो चुकी है। 245 मृतकों के शव उनके परिजनों को सौंप दिए गए हैं।
पायलट ने मेडे कॉल किया था
फ्लाइटरडार24 के मुताबिक, विमान का आखिरी सिग्नल 190 मीटर (625 फीट) की ऊंचाई पर मिला, जो उड़ान भरने के तुरंत बाद आया था। भारत के सिविल एविएशन रेगुलेटर DGCA ने बताया कि विमान ने 12 जून की दोपहर 1:39 बजे रनवे 23 से उड़ान भरी थी। उड़ान भरने के बाद विमान के पायलट ने एयर ट्रैफिक कंट्रोलर को मेडे कॉल (इमरजेंसी मैसेज) भेजा, लेकिन इसके बाद कोई जवाब नहीं मिला।
DGCA के अनुसार, विमान में दो पायलट और 10 केबिन क्रू सहित कुल 242 लोग सवार थे। पायलट के पास 8,200 घंटे और को-पायलट के पास 1,100 घंटे की उड़ान का अनुभव था।
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