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अहमदाबाद में 12 जून को क्रैश हुए एअर इंडिया के ड्रीमलाइनर प्लेन हादसे की जांच में संयुक्त राष्ट्र शामिल होगा। संयुक्त राष्ट्र की विमानन संस्था ICAO (इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन) के एक विशेषज्ञ को ऑब्जर्वर के तौर पर शामिल होने की इजाजत भारत सरकार ने दे दी है। यह जानकारी न्यूज एजेंसी PTI ने एक वरिष्ठ सरकारी सूत्र के हवाले से दी है।
सूत्र ने बताया कि ICAO ने जांच में शामिल होने की इजाजत मांगी थी। भारत ने पारदर्शिता के साथ जांच करने के इरादे से संयुक्त राष्ट्र को इसमें शामिल करने का फैसला लिया है।
एअर इंडिया की अहमदाबाद से लंदन जा रही फ्लाइट AI 171 टेकऑफ के कुछ ही देर बाद एक मेडिकल हॉस्टल की इमारत से टकरा गई थी। इसमें 270 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें 241 यात्री और क्रू मेंबर शामिल थे। एक यात्री इस हादसे में जिंदा बचा है।
हादसे की जांच 13 जून से ही एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) की टीम कर रही है। इसमें विमानन चिकित्सा विशेषज्ञ, एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) अफसर और अमेरिका की नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड (NTSB) के प्रतिनिधि भी शामिल हैं। अमेरिका के प्रतिनिधि प्लाइट के ब्लैक बॉक्स का डेटा रिकवर कर रहे हैं।

फ्लाइट नंबर AI-171 ने 12 जून को दोपहर 1.38 बजे उड़ान भरी और 1.40 बजे हादसा हो गया। उस समय प्लेन 200 फीट की ऊंचाई पर था।
अब जानिए ब्लैक बॉक्स क्या होता है, यह क्यों जरूरी है?
ब्लैक बॉक्स प्लेन में लगा एक छोटा उपकरण होता है। यह फ्लाइट के दौरान एयरक्राफ्ट की तकनीकी और वॉइस संबंधी जानकारियां रिकॉर्ड करता है। ब्लैक बॉक्स दो मुख्य रिकॉर्डर से मिलकर बना होता है। कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) पायलटों की बातचीत रिकॉर्ड करता है। वहीं, फ्लाइट डाटा रिकवर (FDR) विमान की तकनीकी जानकारी जैसे स्पीड, अल्टीट्यूड, इंजन परफॉर्मेंस को रिकॉर्ड करता है।
‘ब्लैक बॉक्स’ नाम को लेकर कई बातें कही जाती हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसके अंदर का हिस्सा काला होता था, इसलिए इसे यह नाम मिला। दूसरी राय यह है कि हादसे के बाद आग से जलकर इसका रंग काला हो जाता है, इसलिए लोग इसे “ब्लैक बॉक्स” कहने लगे।



ब्लैक बॉक्स से संबंधित 6 जरूरी सवाल-जवाब
- इसे ब्लैक बॉक्स क्यों कहते हैं?
- “ब्लैक बॉक्स” नाम को लेकर कई बातें कही जाती हैं। एक मान्यता है कि पहले इसके अंदर का हिस्सा काला होता था, इसलिए इसे यह नाम मिला। दूसरी राय यह है कि हादसे के बाद आग से जलकर इसका रंग काला हो जाता है, इसलिए लोग इसे “ब्लैक बॉक्स” कहने लगे।
- ब्लैक बॉक्स दिखता कैसा है? ब्लैक बॉक्स असल में ओरेंज रंग का होता है और बॉक्स जैसा नहीं दिखता। यह अलग-अलग आकार का हो सकता है—जैसे गोल, बेलनाकार या गुंबद जैसा। इसका आकार इतना बड़ा होता है कि प्लेन के मलबे में आसानी से मिल सके।
- ब्लैक बॉक्स को हादसे के बाद कैसे खोजते हैं? अगर विमान पानी में गिरता है तो ब्लैक बॉक्स का अंडरवाटर बीकन पानी छूते ही सिग्नल भेजना शुरू कर देता है। अगर हादसा जमीन पर होता है तो इसका चमकीला नारंगी रंग इसे ढूंढने में मदद करता है।
- कैसे बचाता है डेटा? ब्लैक बॉक्स को विमान के सबसे सुरक्षित हिस्से, आमतौर पर टेल सेक्शन में रखा जाता है। यह टाइटेनियम या स्टेनलेस स्टील से बना होता है। 1100 डिग्री सेल्सियस तापमान व समुद्र की गहराई में दबाव को झेल सकता है। पानी में गिरने पर यह 14,000 फीट गहराई तक से सिग्नल भेज सकता है।
- ब्लैक बॉक्स मिलने में समय लग सकता है? कुछ हादसों में ब्लैक बॉक्स ढूंढने में बहुत समय लगता है। कई बार ऐसा भी हो सकता है कि नहीं मिले। उदाहरण: – श्रीविजया एयर जेट (9 जनवरी 2021): करीब 3 दिन में मिल गया। – एयर फ्रांस 447 (1 जून 2009): 699 दिन बाद मिला। – मलेशिया एयरलाइंस 370 (8 मार्च 2014): अब तक नहीं मिला।
- भारत में जांच कहां होती है? दिल्ली में हाल ही में DFDR & CVR लैब की शुरुआत हुई है, जहां ब्लैक बॉक्स से डाटा निकाला और एनालिसिस किया जा सकता है। यहीं पर इस ब्लैक बॉक्स की जांच भी की जाएगी।
अहमदाबाद प्लेन हादसा- 251 DNA मैच, 245 शव सौंपे गए

अहमदाबाद प्लेन हादसा में जान गंवाने वाले 251 मृतकों की डीएनए से पहचान हो चुकी है। 245 मृतकों के शव उनके परिजनों को सौंप दिए गए हैं। यह जानकारी 22 जून को अहमदाबाद सिविल अस्पताल के अधीक्षक डॉ. राकेश जोशी ने दी।
उन्होंने बताया कि 6 शव ऐसे परिवारों के हैं, जो ब्रिटेन के निवासी हैं। ये शव जल्द ही उनके परिवारों को सौंपे जाएंगे।
12 जून को हुआ था हादसा, प्लेन सवार 241 की मौत हुई

12 जून को एअर इंडिया की अहमदाबाद से लंदन जाने वाली फ्लाइट AI-171 (787-8 बोइंग ड्रीमलाइनर) उड़ान के कुछ देर बाद ही क्रैश हुई थी। विमान बीजे मेडिकल कॉलेज ऐंड सिविल हॉस्पिटल के हॉस्टल की बिल्डिंग से टकरा गया था।
इस हादसे में प्लेन में सवार 241 लोग (229 यात्री (एक जीवित) और 10 केबिन क्रू, 2 पायलट), हॉस्टल बिल्डिंग और बाकी 34 लोगों को मिलाकर 275 की मौत हुई है। अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक, कुल मौत का अंतिम आंकड़ा सभी DNA टेस्ट होने के बाद साफ होगा।
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