- कॉपी लिंक
अडाणी ग्रुप ने पर्यावरण एक्टिविस्ट बेन पेनिंग्स के खिलाफ अपना करीब 5 साल से चला आ रहा लीगल बैटल खत्म कर दिया। क्वींसलैंड सुप्रीम कोर्ट ने 26 नवंबर को ऑर्डर साइन ऑफ किए। इसमें पेनिंग्स को अडाणी ग्रुप की गोपनीय जानकारी हासिल करने से भी रोका गया है।
यह केस जून 2020 में शुरू हुआ था। अडाणी ग्रुप की ऑस्ट्रेलियन सब्सिडियरी ब्रावस माइनिंग ने पेनिंग्स पर सिविल क्लेम दायर किया। कंपनी का आरोप था कि पेनिंग्स ने कारमाइकल माइन के ऑपरेशंस, सप्लायर्स और कॉन्ट्रैक्टर्स को डिस्टर्ब करने के लिए गोपनीय जानकारी लीक करवाई।
अडाणी ग्रुप ने पेनिंग्स से डैमेज पेमेंट के तौर पर 600 मिलियन डॉलर यानी, करीब 5,000 करोड़ रुपए मांगे थे। आखिरकार, पेनिंग्स ने गोपनीय डेटा न हासिल करने का एग्रीमेंट किया। बदले में कंपनी ने डैमेज क्लेम ड्रॉप कर दिया। पेनिंग्स ने इसे ‘मैसिव विक्टरी’ बताया।
पेनिंग्स गलीली ब्लॉकेड के नेशनल स्पोक्सपर्सन हैं। वे कारमाइकल माइन के खिलाफ प्रोटेस्ट, कैंपेन और डायरेक्ट एक्शन में सक्रिय रहे हैं। उनका कहना है कि यह SLAPP सूट (स्ट्रैटेजिक लॉसूट अगेंस्ट पब्लिक पार्टिसिपेशन) सिर्फ उन्हें चुप कराने और डराने के लिए था।

बेन पेनिंग्स ने सुप्रीम कोर्ट के बाहर भीड़ को संबोधित किया।
कंपनी बोली- ये मुकदमा कभी भी पैसों के लिए नहीं था
ब्रावस माइनिंग एंड रिसोर्सेज के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर मिक क्रो ने कहा, “हमने सुप्रीम कोर्ट में यह लीगल एक्शन शुरू किया था ताकि मिस्टर पेनिंग्स हमारे एम्प्लॉयी और कॉन्ट्रैक्टर्स को हैरास न करें और इंटिमिडेट न करें। यह डैमेज क्लेम कभी पैसे के बारे में नहीं था।
हम सिर्फ चाहते थे कि पेनिंग्स हमारी गोपनीय जानकारी हासिल करने की कोशिश बंद करें और उसे कॉन्ट्रैक्टर्स व सप्लायर्स को प्रेशर डालने के लिए इस्तेमाल न करें।”
क्वींसलैंड के गलीली बेसिन में है कारमाइकल माइन
कारमाइकल कोल माइन क्वींसलैंड के गलीली बेसिन में है। यह एक बड़ा कोल प्रोजेक्ट है, जो सालाना लाखों टन कोल प्रोड्यूस करता है। यह ब्रावस माइनिंग द्वारा ऑपरेट किया जाता है, जो अडाणी ग्रुप का हिस्सा है। माइन सालाना करीब 10 मिलियन टन कोल प्रोड्यूस करता है।
प्रोजेक्ट के साथ कारमाइकल रेल नेटवर्क भी जुड़ा है। यह चार साल से ज्यादा समय से चल रहा है और हजारों क्वींसलैंडर्स को जॉब्स देता है। लेकिन पर्यावरण एक्टिविस्ट्स इसे क्लाइमेट चेंज का बड़ा खतरा मानते हैं। अडाणी का यह प्रोजेक्ट ऑस्ट्रेलिया में कोल इंडस्ट्री का सिंबल बन गया है।
कई सालों से प्रोटेस्ट, ब्लॉकेड्स, ऑफिस इनवेजन्स और सप्लायर्स पर प्रेशर से इसका कंस्ट्रक्शन डिले हुआ। अडाणी का कहना है कि स्ट्रिक्ट एनवायरनमेंटल नॉर्म्स फॉलो किए जाते हैं, लेकिन एक्टिविस्ट्स का आरोप है कि यह फॉसिल फ्यूल प्रोजेक्ट ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ाएगा।

कारमाइकल कोल माइन क्वींसलैंड के गलीली बेसिन में है। यहां का ज्यादातर कोल एक्सपोर्ट होता है।
अडाणी ग्रुप पर क्या असर?
यह फैसला अडाणी के लिए राहत भरा है। खासकर जब कंपनी विदेश में एनर्जी सेक्टर में काम कर रही है, जहां एक्टिविज्म स्ट्रॉन्ग है। ब्रावस के वर्कर्स, कॉन्ट्रैक्टर्स और लीगल ऑपरेशंस को प्रोटेक्ट करने में यह अहम कदम है।
कंपनी का मानना है कि एक्टिविज्म वेलकम है, बशर्ते वह अनलॉफुल डिसरप्शन, इंटिमिडेशन या गोपनीय जानकारी के मिसयूज में न पड़े। ऑस्ट्रेलिया में यह पर्यावरण एक्टिविज्म और बड़े रिसोर्स प्रोजेक्ट्स के बीच सबसे लंबे लीगल बैटल्स में से एक था।
आगे क्या होगा?
फिलहाल कोई स्पेसिफिक फ्यूचर एक्शन का जिक्र नहीं है। लेकिन ब्रावस का कहना है कि यह रूलिंग उनके ऑपरेशंस को सेफगार्ड करेगी। पेनिंग्स जैसे एक्टिविस्ट्स अब लीगल तरीकों से ही विरोध कर सकेंगे। कारमाइकल माइन की प्रोडक्शन चेन पर अब कम प्रेशर रहेगा।


