
भारतीय वायु सेना के अधिकारी अभिनंदन वर्धमान आज यानी की 21 जून को अपना 42वां जन्मदिन मना रहे हैं। साल 2019 में अभिनंदन वर्धमान को पाकिस्तानी सेना ने युद्ध बंदी बनाया था। हालांकि कुछ समय बाद ही वह भारत सुरक्षित वापस लौट आए थे। न सिर्फ भारत के लोगों बल्कि पाकिस्तान के लोगों ने भी दुश्मनी होने के बाद भी अभिनंदन वर्धमान के मनोबल और साहस की तारीफ की थी। तो आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर अभिनंदन वर्धमान के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में…
जन्म और परिवार
तमिलनाडु के थिरुपनमूर में 21 जून 1983 को अभिनंदन वर्धमान का जन्म हुआ था। उनकी मां डॉक्टर और पिता भी वायुसेना एयर मार्शल से रिटायर्ड हैं। वहीं 19 जून 2004 को अभिनंदन की भारतीय वायुसेना में कमीशनिंग हुई और वह फ्लाइंग ऑफिसर बन गए। इससे पहले वह सुखोई-30 एमकेआई स्क्वाड्रन के पायलट थे। फिर उनको मिग-21 बाइसन स्क्वाड्रन में शामिल किया गया।
कश्मीर में घुसपैठ
बता दें कि 27 फरवरी 2019 को मिग 21 से उड़ान भर रहे अभिनंदन कश्मीर में पाकिस्तानी सेना के एयरक्राफ्ट के घुसपैठ की निगरानी का काम कर रहे थे। इसी दौरान उनको खबर मिली कि सीमापार से पाकिस्तान फाइटर प्लेन को कश्मीर में घुसपैठ कराने की तैयारी कर रहा है। वहीं कुछ समय बाद इस खबर की पुष्टि हो गई। तब विंग कमांडर अभिनंदन ने पाक फाइटर जेट को खदेड़ना शुरूकर दिया। इसी दौरान गलती से वह भी पाकिस्तानी सीमा में चले गए और उन्होंने पाकिस्तानी फाइटर जेट प्लेन को मार गिराया।
पाकिस्तान में गिए अभिनंदन
पाकिस्तानी फाइटर जेट को मार गिराने के दौरान अभिनंदन का विमान भी क्षतिग्रस्त हो गया था। जब वह विमान से निकले तो खुद को पीओके के होरान गांव में पाया। वहां के स्थानीय लोगों ने अभिनंदन को पकड़ लिया। इस दौरान उनकी स्थानीय लोगों के साथ झड़प हुए। बाद में पाकिस्तानी सेना उनको अपने साथ ले गई।
अभिनंदन की वीडियो
वहीं भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी इस बात की पुष्टि की और पाकिस्तानी सेना ने भी अभिनंदन की वीडियो जारी की। होरान गांव के लोगों ने उनके साथ मारपीट की थी, जिस कारण उनका चेहरा सूजा हुआ था और खून भी निकल रहा था। बाद में पाक सेना ने उनका इलाज कराया। जेनेवा संधि के तहत गलत बर्ताव होने के कारण पाक प्रशासन ने इन वीडियोज को नेट से हटा दिया था।
पाक ने अभिनंदन को सौंपा
भारत ने अभिनंदन की वापसी के लिए पाकिस्तान पर इतना ज्यादा दबाव डाला कि पाक सेना और सरकार को संभावित हमले का डर सताने लगा। पाक को लगता था भारत कभी भी हमला कर सकता है। वहीं दबाव के कारण 60 घंटे के अंदर पाकिस्तान ने अभिनंदन को भारत को सौंप दिया। जिसके बाद अटारी-वाघा बॉर्डर पर अभिनंदन का शानदार स्वागत हुआ।
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