Indias Export : भारत का निर्यात टैरिफ लागू होने के बाद भी करीब 3 फीसदी बढ़ने का अनुमान है. जीटीआरआई ने बताया है कि भारतीय कारोबार के लिए यह साल ज्यादा चुनौती भरा रहने वाला है, लेकिन फिर भी निर्यात के मोर्चे पर तेजी कायम रहेगी.
जीटीआरआई ने कहा कि साल 2026 में देश के निर्यात को वैश्विक व्यापार का अब तक का सबसे कठिन माहौल झेलना पड़ सकता है. आर्थिक शोध संस्थान ने कहा कि ऐसे समय जब भारत निर्यात बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, विकसित अर्थव्यवस्थाओं में बढ़ता संरक्षणवाद, वैश्विक मांग में कमी और जलवायु से जुड़े नए व्यापार अवरोध एक साथ आ रहे हैं. जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि परिणामस्वरूप निर्यात में विस्तार से अधिक स्थिति बनाए रखने की चुनौती होगी.
सेवाओं के निर्यात में तेजी
जीटीआरआई का कहना है कि वित्तवर्ष 2025-26 में वस्तुओं का निर्यात लगभग स्थिर रहने की संभावना है, क्योंकि वैश्विक मांग कमजोर है और अमेरिका के नए शुल्क का दबाव है. वहीं, सेवाओं का निर्यात 400 अरब डॉलर से थोड़ा अधिक हो सकता है. इससे कुल निर्यात लगभग 850 अरब डॉलर तक हो सकता है. निर्यात के लिए बाहरी वातावरण तेजी से खराब हो रहा है. अजय श्रीवास्तव ने यूरोप को एक अलग लेकिन उतनी ही महंगी चुनौती बताया है.
1 जनवरी से लागू होगा यूरोप का नया नियम
यूरोपीय संघ एक जनवरी, 2026 से अपने कार्बन सीमा समायोजन प्रणाली (सीबीएएम) को लागू करेगा. इससे आयात पर प्रभावी रूप से कार्बन टैक्स लागू हो जाएगा. जीटीआरआई ने सुझाव दिया कि सरकार को अपने मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के प्रदर्शन की क्षेत्रवार समीक्षा तत्काल करनी चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे वास्तव में निर्यात को बढ़ावा दे रहे हैं और भारतीय कंपनियों को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में एकीकृत कर रहे हैं.
क्या है सीबीएएम
यूरोप ने 1 जनवरी से ऐसे उत्पादों पर टैक्स लगाने का फैसला किया है, जिन्हें बनाने में कार्बन का उत्सर्जन होता है. लिहाजा भारत को अपने ज्यादातर उत्पादों के निर्यात पर यह टैक्स चुकाना होगा. माना जा रहा है कि यह नियम भारत और यूरोप के बीच मुक्त व्यापार समझौते के बीच सबसे बड़ी बाधा है. इसी नियम की वजह से यूरोप ने अभी तक भारत के साथ एफटीए पर बातचीत पूरी नहीं की है. अब यह नियम लागू होने के बाद टैरिफ के साथ भारत के लिए एक और चुनौती बढ़ जाएगी.
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प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि…और पढ़ें
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