
राजस्थान के भीलवाड़ा में बबूल का पेड़ औषधीय गुणों से भरपूर है. यह घुटनों के दर्द और पशुधन के दूध की क्षमता बढ़ाने में कारगर है. मोतबीर नारायण गुर्जर ने इसके उपयोग के बारे में बताया.

देसी बबूल का पेड़
- बबूल का पेड़ घुटनों के दर्द में फायदेमंद है.
- बबूल की फली बकरियों के दूध की क्षमता बढ़ाती है.
- बबूल के पत्ते और छाल संक्रमण को नियंत्रित करते हैं.
भीलवाड़ा. प्राचीन समय से ही राजस्थान अपनी आर्युवेदिक क्रिया के लिए एक अहम स्थान रखता है. यहां कई ऐसे पेड़ पौधे हैं जिन्हें हीलिंग ट्री के नाम से भी जाना जाता है. वहीं, अगर मेवाड़ की बात की जाए तो यहां देसी बबूल का पेड़ हर कहीं देखने को मिलता है. यह एक ऐसा पेड़ है जिसे अगर हीलिंग ट्री कहे तो कोई एतराज नहीं होगा क्योंकि यह पेड़ न केवल मानव जीवन के लिए औषधि है बल्कि पशुधन के लिए भी यह बहुत कारगर साबित होता है जहां एक तरफ यह पेड़ घुटनों में दर्द के लिए रामबाण तो वहीं पशुधन के दूध की क्षमता बढ़ाने के लिए भी यह पेड़ काफी उपयोग दाई माना जाता है.
भीलवाड़ा जिले के आसींद विधानसभा क्षेत्र में स्थित केसरपुरा गांव के रहने वाले मोतबीर नारायण गुर्जर ने लोकल 18 से खास बात करते हुए कहा कि हम अपने दादा-परदादा के समय से ही बाबुल के पेड़ की फली छाल का इस्तेमाल करते हुए आ रहे हैं. यह घुटनों के दर्द के साथ बकरी के लिए भी फायदेमंद होती है. अगर बकरी इस पेड़ की फली खा ले तो बकरी के दूध की क्षमता बढ़ जाती है वहीं, इसके चल का पाउडर बनाकर इस्तेमाल करने से घुटनों का दर्द कम हो जाता है और यही नहीं इस पेड़ की फली की सब्जी भी बनाई जाती है. इसके पत्ते और छाल में रक्तस्राव व संक्रमण को नियंत्रित करने की क्षमता होती है. बबूल घावों व चोटों को ठीक करने में सहायक होता है. बबूल के पेड़ के औषधीय तत्व पाए जाते हैं. बबूल की गोंद में वजन कंट्रोल करने वाले पोषक तत्व पाए जाते हैं.
बबूल की फली जोड़ों के दर्द में रामबाण
नारायण गुर्जर का कहना है कि जोड़ों के दर्द में बबूल की फली का सेवन कई प्रकार से फायदेमंद है ये फली एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर है जो कि जोड़ों में सूजन और दर्द को कम करती है और आपको राहत दिलाती है. इसके अलावा ये फली वात बैलेंस करके जोड़ों के दर्द को कम करने में मदद कर सकती है. बबूल की फली, गठिया के दर्द में तेजी से कम करने में मदद कर सकती है. ये वात संतुलन के जरिए आंतरिक चोटों का उपचार करती है और फिर इसके टूटे हुए सिरों को जोड़ने में भी मदद करती है. इसके अलावा ये सूजन में कमी लाती है और इस दर्द को कम करने में मदद करती है.
इस तरह करें इस्तेमाल
नारायण गुर्जर का कहना है कि जोड़ों के दर्द में बबूल की फली को पीसकर पाउडर बना लें और फिर इसे 1 गिलास गर्म पानी में मिलाएं और थोड़ा सा नमक मिलाएं और फिर इसका सेवन करें। इसके अलावा आप बबूल की फली को पानी में डालकर उबाल लें और फिर इस पानी को पिएं.
पशुपालन में फायदेमंद बबूल का पेड़
नारायण ने बताया कि जब भी हम अपनी बकरियां चराने के लिए जाते हैं तब हम ज्यादा से ज्यादा कोशिश करते हैं कि हमारे पशुधन को हम बबूल की फली और पत्तियां खिलाते हैं इससे बकरियां स्वस्थ और तंदुरुस्त रहती है और इसके अलावा उनके दूध की क्षमता भी बढ़ जाती है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.