
ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि अमेरिका में अस्थिरता के बीच वहां का सेंट्रल बैंक ब्याज दर कम करने पर जल्दबाजी नहीं कर रहा है, जिसकी वजह से वहां ब्याज दरें बढ़ी हुई हैं. विदेशी निवेशक अमेरिका की डेब मार्केट में पैसा रखना पसंद कर रहे हैं, ताकि ब्याज के रूप में अधिक रिटर्न मिल सके.
मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक, चार महीने लगातार निवेश करने के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने अब भारतीय डेट मार्केट से पैसा निकालना शुरू कर दिया है. अप्रैल महीने में उन्होंने अब तक 2.27 अरब डॉलर से ज्यादा की रकम निकाल ली है. यह मई 2020 के बाद सबसे बड़ी मासिक निकासी है और नवंबर 2024 के बाद पहली बार हुआ है.
बाजार से जुड़े एक्सपर्ट कहते हैं कि इस बिकवाली के पीछे कई वैश्विक और क्षेत्रीय कारण हैं. कई एशियाई बाजारों में मुनाफा वसूली हो रही है और वैश्विक हालात भी कमजोर हो रहे हैं. एक मुख्य कारण यह है कि अब भारत और अमेरिका के बॉन्ड्स पर मिलने वाले रिटर्न में अंतर काफी कम हो गया है.
अप्रैल की शुरुआत में भारत के 10 साल वाले सरकारी बॉन्ड का रिटर्न 6.6 प्रतिशत था, जो अब घटकर 6.33 प्रतिशत हो गया है. वहीं अमेरिका के 10 साल वाले बॉन्ड का रिटर्न 3.99 प्रतिशत से बढ़कर 4.35 प्रतिशत हो गया है. इसका मतलब यह है कि दोनों देशों के बॉन्ड के बीच का अंतर अब सिर्फ 200 बेसिस प्वाइंट (2 प्रतिशत) रह गया है, जोकि सितंबर 2004 के बाद सबसे कम है.
अमेरिकी बॉन्ड्स में अब ज्यादा फायदा
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के डायरेक्टर सौम्याजीत नियोगी कहते हैं कि अब विदेशी निवेशकों को अमेरिकी बॉन्ड्स में ज्यादा फायदा दिख रहा है, इसलिए वे भारत से पैसा निकालकर वहां लगा रहे हैं.
अमेरिकी बॉन्ड्स का रिटर्न इसलिए बढ़ रहा है, क्योंकि वहां बाजार में उतार-चढ़ाव ज्यादा है, महंगाई बनी हुई है और ट्रेड टैरिफ लगने की चिंता भी है. इसी कारण अमेरिका के केंद्रीय बैंक (फेडरल रिजर्व) से जल्दी ब्याज दर घटाने की उम्मीद कम हो गई है. हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप फेड पर ब्याज दरें घटाने को लेकर काफी दबाव डाल रहे हैं.
भारत में महंगाई हो रही कम, बाजार स्थिर
हालांकि, भारत में हालात अभी भी बॉन्ड मार्केट के पक्ष में हैं. महंगाई धीरे-धीरे कम हो रही है, आगे चलकर ब्याज दरें और घट सकती हैं, बाजार में कैश की कोई कमी नहीं है, और सरकार भी खुले बाजार में बॉन्ड खरीद रही है. ये सब मिलकर घरेलू बॉन्ड मार्केट को मजबूत बना रहे हैं.
जन स्मॉल फाइनेंस बैंक में ट्रेजरी हेड गोपाल त्रिपाठी कहते हैं कि अभी भारत का 10 साल वाला बॉन्ड लगभग 5.25 प्रतिशत से 5.50 प्रतिशत की रेपो रेट पर 100 बेसिस प्वाइंट (1 प्रतिशत) के अंतर पर ट्रेड कर रहा है, जो काफी अच्छा स्तर माना जा रहा है. साथ ही रुपया भी हाल के निचले स्तर से करीब 3 प्रतिशत तक मजबूत हुआ है.