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सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिेगेशन (CBI) को देशभर से सामने आए डिजिटल अरेस्ट के मामलों की पैन इंडिया जांच की जिम्मेदारी सौंपी है। सोमवार को सुनवाई के दौरान SC ने सभी राज्यों को डिजिटल अरेस्ट मामलों की जांच में CBI की मदद करने के भी निर्देश दिए।
CJI सूर्यकांत की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा- डिजिटल अरेस्ट तेजी से बढ़ता साइबर क्राइम है। इसमें ठग खुद को पुलिस, कोर्ट या सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताकर वीडियो/ऑडियो कॉल के जरिए पीड़ितों, खासकर सीनियर सिटिजन को धमकाते हैं और उनसे पैसे वसूलते हैं।
CJI सूर्यकांत की बेंच ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को नोटिस जारी कर पूछा कि साइबर ठगी में उपयोग हो रहे बैंक खातों को तुरंत ट्रैक और फ्रीज करने के लिए AI और मशीन लर्निंग तकनीक का उपयोग क्यों नहीं किया जा रहा।
इससे पहले 3 नवंबर की सुनवाई में SC ने कहा था कि डिजिटल अरेस्ट मामलों में लगभग ₹3 हजार करोड़ की ठगी का पता चला है। अदालत ने इसे ‘आयरन हैंड’ से निपटने लायक गंभीर ‘राष्ट्रीय समस्या’ बताया था।
दरअसल, हरियाणा के अंबाला जिले में बुजुर्ग दंपति से 3 से 16 सितंबर के बीच 1.05 करोड़ रुपए की ठगी हुई थी। दंपती को सुप्रीम कोर्ट के जजों के फर्जी साइन और जांच एजेंसियों के नकली आदेश दिखाकर डिजिटल अरेस्ट किया गया था। पीड़ित ने 21 सितंबर को CJI बीआर गवई (पूर्व सीजेआई) को चिट्ठी लिखकर पूरी बात बताई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले में खुद से एक्शन लिया था।

SC के CBI को दिए निर्देश
- IT इंटरमीडियरीज़ CBI को सभी आवश्यक डेटा और सहयोग दें।
- CBI विदेशी साइबर अपराधियों तक पहुंचने के लिए Interpol की मदद ले।
- बैंक अधिकारियों की भी जांच हो जो धोखाधड़ी में शामिल म्यूल अकाउंट्स को ऑपरेट करने में मदद करते हैं।
टेलिकॉम डिपार्टमेंट और राज्यों को SC के निर्देश
- एक व्यक्ति/संस्था को एकाधिक SIM जारी न हों।
- क्योंकि इन्हें साइबर अपराधी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करते हैं।
सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश
- क्षेत्रीय और राज्य स्तरीय साइबर क्राइम कोआर्डिनेशन सेंटर बनाएं, ताकि CBI और पुलिस के बीच बेहतर तालमेल हो सके।
मामले में SC की पहले की सुनवाई पढ़ें….
3 नवंबर: सुप्रीम कोर्ट बोला- 3 हजार करोड़ की साइबर ठगी चौंकाने वाली
सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में डिजिटल अरेस्ट और साइबर ठगी के बढ़ते मामलों पर नाराजगी जताई थी। सरकार ने कोर्ट में साइबर फ्रॉड से जुड़े आंकड़े पेश कर बताया था कि देशभर में पीड़ितों से करीब तीन हजार करोड़ रुपए की ठगी हुई है।
जस्टिस सूर्यकांत और जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा था- इस मामले में सख्ती से निपटाना होगा। यह बेहद चौंकाने वाला है कि देशभर में लोगों से 3 हजार करोड़ रुपए का साइबर फ्रॉड हुआ है। बेंच ने कहा कि मामले में जल्द दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे। पूरी खबर पढ़ें…
27 अक्टूबर: डिजिटल अरेस्ट मामले में CBI जांच पर विचार
सुप्रीम कोर्ट ने 27 अक्टूबर को हुई सुनवाई में सभी राज्यों से डिजिटल अरेस्ट से जुड़ी एफआईआर की जानकारी मांगी थी। साथ ही कोर्ट ने पूछा था कि क्या सीबीआई के पास इन मामलों की जांच के लिए पर्याप्त संसाधन हैं।
वहीं गृह मंत्रालय और सीबीआई ने इस पर सीलबंद रिपोर्ट पेश की थी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया था कि मंत्रालय में एक अलग यूनिट इस मुद्दे पर काम कर रही है। पूरी खबर पढ़ें…
17 अक्टूबर: SC ने केंद्र सरकार और CBI से जवाब मांगा
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लेकर केंद्र सरकार और CBI से जवाब मांगा था। कोर्ट ने कहा था कि यह कोई आम अपराध नहीं है। कोर्ट के नाम, मुहर और आदेशों की नकली कॉपी बनाना पूरी न्याय व्यवस्था पर सीधा हमला है।
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार व अंबाला साइबर क्राइम यूनिट को निर्देश दिया था कि अब तक की जांच की पूरी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें। कोर्ट ने कहा था कि ऐसे अपराधों का देशभर में फैलता नेटवर्क सामने आ रहा है। इसलिए सिर्फ एक मामले की जांच नहीं, बल्कि केंद्र और राज्य पुलिस को मिलकर राष्ट्रीय स्तर पर कार्रवाई करनी होगी। पूरी खबर पढ़ें…

2024 में 1100 करोड़ की साइबर ठगी हुई
दिल्ली पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में 2025 में साइबर अपराधियों ने लोगों से करीब 1,000 करोड़ रुपए ठगे। इस साल इन्वेस्टमेंट स्कैम, डिजिटल अरेस्ट और बॉस स्कैम ठगी के सबसे ज्यादा आम तरीके बने।
साल 2024 में दिल्ली के लोगों से करीब 1,100 करोड़ रुपए की साइबर ठगी हुई थी। उस समय पुलिस और बैंक ठगे गए पैसों में से करीब 10% रकम को ही फ्रीज कर पाए थे, लेकिन 2025 में दिल्ली पुलिस ने बैंकों के साथ मिलकर लगभग 20% ठगे गए पैसे को रोकने में सफलता पाई है। यानी, पिछले साल की तुलना में यह उपलब्धि दोगुनी है।
धाराप्रवाह अंग्रेजी में बात, आईकार्ड-बैकग्राउंड लोगो भी दिखाते हैं
ठग धाराप्रवाह अंग्रेजी में बात करते हैं। वीडियो कॉलिंग के दौरान आईडी कार्ड दिखाते हैं। जिस भी एजेंसी के अफसर को कॉल ट्रांसफर करते हैं, उसके बैकड्रॉप पर एजेंसी का लोगो दिखता है। कथित सुनवाई में प्रदर्शित सेटअप भी कोर्ट रूम का होता है, इसलिए लोग विश्वास कर लेते हैं।
साइबर जांच से जुड़े एक अफसर बताते हैं कि बहुत पढ़े-लिखे, उच्च पदस्थ व रिटायर्ड लोग कानून का सम्मान ज्यादा करते हैं। वे इन साइबर अपराधियों को असली अफसर मान लेते हैं, जबकि देश में फोन पर ऐसी जांच और पैसे ट्रांसफर का कोई प्रावधान नहीं है।


पुलिस की अपील- फौरन शिकायत करें, पैसा बच सकता है
दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) यूनिट के डीसीपी विनीत कुमार ने कहा- जैसे ही किसी को साइबर फ्रॉड का पता चले, तुरंत 1930 हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करें। अगर आप जल्दी रिपोर्ट करते हैं, तो हम बैंक खातों में पैसा फ्रीज करवा सकते हैं।
उन्होंने बताया कि दिल्ली पुलिस ने 24 घंटे चालू रहने वाली 24 हेल्पलाइन लाइनों की व्यवस्था की है, ताकि लोग तुरंत अपनी शिकायत दर्ज करा सकें। ये मैसेज असली लगते हैं क्योंकि ये आधिकारिक आईडी या कंपनी नंबर जैसे दिखते हैं। इसलिए लोग धोखा खा जाते हैं।


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