धर्मेंद्र जब से इस दुनिया को अलविदा कह गए हैं, तब से उनके बारे में लगातार नए-नए किस्से सामने आ रहे हैं. धर्मेंद्र अपने काम के अलावा अपने परिवार और अपने दोस्तों से बहुत प्यार करते थे. अपने कई मरहूम दोस्तों के लिए तो वह मसीहा बने थे. वह मुंबई में भले ही रहते थे. लेकिन उनकी आत्मा उनके गांव में ही बसी रहती थीं.
नई दिल्ली. धर्मेंद्र सिर्फ पर्दे के हीरो नहीं थे, वह असल जिंदगी में भी दिल से हीरो ही थे. अपने गांव और बचपन के यारों से उन्हें जितना लगाव था, उतना शायद ही किसी स्टार ने दिखाया हो. सालों बाद जब वो अचानक एक रात गांव पहुंचे, तो वह सुनकर टूट गए थे कि उनके दोस्तों की मौत हो चुकी हैं. दोस्तों के दरवाजे पर दस्तक देने से लेकर मरहूम दोस्तों के परिवारों की मदद करने तक, जानें उनसे जुड़ी कुछ खास बातें.

धर्मेंद्र के यूं चले जाने से हिंदी सिनेमा का एक पूरा दौर खत्म हो गया. ‘ही-मैन’ कहलाने वाले इस सुपरस्टार का दिल दोस्तों के लिए भी धड़कता था. उन्होंने कई ऐसे काम किए हैं, जिनकी मिसाल आने वाली पीढ़ियां भी देंगी. बिना किसी गॉडफादर के उन्होंने एक्टिंग की दुनिया में अपनी पहचान बनाई. संघर्ष किया. अपमान झेला. कई बार काम भी नहीं मिला.लेकिन धर्मेंद्र टूटे नहीं.

धर्मेंद्र एक बार अचानक साल 2002 रात 9:30 बजे लालटन कलां अपने गांव पहुंच गए थे. क्योंकि वह अपने बचपन के दोस्तों से मिलना चाहते थे. लेकिन जब दरवाजा खटखटाया तो अंदर से जो जवाब आया उसने एक्टर को तोड़ दिया था. पता चला कि उनके कई दोस्त तो इस दुनिया से बहुत पहले जा चुके थे. धर्मेंद्र यह सुनकर खुद को संभाल नहीं पाए.
Add News18 as
Preferred Source on Google

धर्मेंद्र के दोस्त सुरजीत सिंह के जाने से भी उन्हें गहरा झटका लगा और वह भावुक हो गए थे. उन्होंने ये सुनते ही अपने मरहूम दोस्त के परिवार को कुछ रुपये दिए. वह दोस्त की पत्नी और बेटी से मिले और मदद का वास्ता देकर चले गए. फिर दूसरे दोस्त के बारे में पता चला की वह भी चल बसे. जिसका नाम रंजीत था. रंजीत के परिवार की भी उन्होंने आर्थिक मदद की थी.

धर्मेंद्र हमेशा कहते थे कि उनकी जड़ें पंजाब में हैं. उनके पिता भी हमेशा उनसे कहते थे कि पुर्खों की जमीन यहां है, उसे संभालकर रखना. मुंबई में रहते हुए भी उनकी आत्मा गांव में ही रहती है. उनकी दिलदारी इस बात में भी नजर आती है कि उन्होंने अपने गांव डांगो में उन्होंने अपनी पुश्तैनी जमीन अपने भतीजों को सौंप दी थी और कहा था कि इसे संभालकर रखना.

बंटवारे की यादें भी धर्मेंद्र आखिर तक नहीं भूल पाए थे. धर्मेंद्र जब 8 साल के थे, उस वक्त भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ था. अपनी करीबी दोस्त अब्दुल जब्बार और अकरम जैसे साथी का जाना भी उन्हें तोड़ चुका था. अपने मास्टर को विभाजन के वक्त जाते देख वह उनसे लिपटकर रो पड़े थे.

धर्मेंद्र ने अपने पुरखों की जमीन भी अपने भतीजों के नाम कर दी है,ये बड़ा कदम उन्होंने इसलिए उठाया कि उनकी पूर्वजो की जो धरोहर है, वो हमेशा संभाल कर रख सकें.ऐसा काम करके उन्होंने साबित कर दिया कि वह रियल लाइफ में भी उतने ही बड़े स्टार हैं, जैसा कि हम उन्हें फिल्मों में देखा करते थे.

धर्मेंद्र पूरी जिंदगी अपनी मिट्टी, अपने लोगों और अपने रिश्तों से जुड़े रहे. यही वजह है कि उनके चाहने वालों के दिलों में भी आज वो सिर्फ एक सुपरस्टार नहीं, बल्कि एक नेक इंसान के रूप में बसे हुए हैं.


