अगर आपने ITR फाइल करते समय आय छुपाई, टैक्स बचत वाले निवेश का प्रमाण नहीं लगाया, क्रेडिट कार्ड पर खूब खर्च किया या कोई ऐसा फाइनेंशियल काम किया है जो विभाग के रिकॉर्ड से मैच नहीं हुआ तो इनकम टैक्स नोटिस पक्का आपके घर तक पहुंच जाएगा. लेकिन कई लोग यही नहीं जानते हैं कि इनकम टैक्स नोटिस उन्हें किस लिए भेजा गया है क्योंकि हर इनकम टैक्स नोटिस का अलग-अलग मतलब होता है.
अगर आपकी सालाना कमाई टैक्स के दायरे में आती है तो ITR भरना जरूरी है, वरना इनकम टैक्स विभाग से नोटिस आ सकता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ज्यादातर नोटिस सिर्फ आपकी रिटर्न में कुछ कमी या स्पष्टीकरण मांगने के लिए होते हैं. अगर आपने आय छुपाई, टैक्स बचत वाले निवेश का प्रमाण नहीं लगाया, बैंक में बड़ा लेन-देन किया, क्रेडिट कार्ड पर खूब खर्च किया या कोई अन्य फाइनेंशियल काम किया है जो विभाग के रिकॉर्ड से मैच नहीं हुआ तो नोटिस पक्का आएगा. इसलिए आपको ये जरूर पता होना चाहिए कि इनकम टैक्स नोटिस कितने तरह का होता है.

धारा 139(9) नोटिस- मान लीजिए आपके द्वारा फाइल किए गए आईटीआर में कोई गलती आ जाती है या कोई कमी निकलती है तो इसे डिफेक्टिव रिटर्न कहा जाएगा. इसके लिए इनकम टैक्स विभाग आपको धारा 139(9) नोटिस भी भेजता है.

धारा 133 (6) नोटिस- धारा 133 (6) नोटिस आपको इनकम टैक्स डिपार्टमेंट तब भेजता है जब आपकी इनकम बेसिक एग्जेंप्शन लिमिट से अधिक हो या फिर आपने भी आईटीआर न भरा हो. इसके अलावा ITR में इनकम सही तरीके से रिपोर्ट नहीं होने पर या फिर आपकी आय के मुकाबले खर्चे अधिक निकलने पर इनकम टैक्स विभाग आपको ये नोटिस भेज सकती है.
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इनकम टैक्स धारा 142(1) नोटिस- ये नोटिस विभाग आपको तब भेजाता है, जब इनकम टैक्स रिटर्न में किए गए क्लेम को सपोर्ट करने के लिए आपके भरे हुए रिटर्न से संबंधित विभाग को अधिक जानकारी चाहिए होती है. इसके अलावा आईटीआर फाइल न करने पर भी ये नोटिस भेजा जाता है.

धारा 143 (1) नोटिस – अगर आपका आईटीआर सीपीसी के द्वारा इलेक्ट्रॉनिक तरीके से प्रोसेस हो जाता है तब ये नोटिस भेजा जाता है. इसमें जानकारी दी जाती है कि विभाग की इनकम कैलकुलेशन आपके रिटर्न से मैच करती है या नहीं. ये नोटिस आपको तभी भेजी जाती है जब विभाग की इनकम कैलकुलेशन आपकी रिटर्न से मैच करती है. इसे समरी असेसमेंट भी कहते हैं.

धारा 143 (2) नोटिस – धारा 143 (1) नोटिस के बाद इनकम टैक्स धारा 143(2) की नोटिस भेजी जाती है. इसे तब भेजा जाता है जब कोई व्यक्ति धारा 143(1) का कोई जवाब नहीं देता है. आपका जवाब संतोषजनक नहीं लगता है तो इस नोटिस को इनकम टैक्स डिटेल्स मांगने के लिए टैक्सपेयर को भेजता है.

धारा 148 नोटिस – इनकम टैक्स धारा 148 नोटिस तब भेजते है जब इनकम टैक्स विभाग को लगता है कि आपकी आय का कुछ हिस्सा आपने छुपाया है. इसके अलावा विभाग को ये भी लग सकता है कि आय से संबंधित कोई गलत जानकारी आपने उन्हें दी हुई है.

धारा 148 नोटिस – इनकम टैक्स धारा 148 नोटिस तब भेजते है जब इनकम टैक्स विभाग को लगता है कि आपकी आय का कुछ हिस्सा आपने छुपाया है. इसके अलावा विभाग को ये भी लग सकता है कि आय से संबंधित कोई गलत जानकारी आपने उन्हें दी हुई है.

इनकम टैक्स धारा 156 नोटिस – असेसमेंट ईयर पूरा होने पर अगर टैक्स, ब्याज या पेनल्टी की रकम निकलती है, तो आपको एक डिमांड नोटिस को विभाग भेजाता है. यह नोटिस इनकम टैक्स धारा 156 नोटिस के अंदर आता है.

धारा 245 नोटिस- धारा 245 नोटिस तब भेजा जाता है जब आपका किसी साल का रिफंड बनता है और किसी दूसरे साल आपका टैक्स बकाया रहता है. विभाग आपका रिफंड उस पेंडिंग टैक्स में एडजस्ट कर सकता है. ये नोटिस उसी जानकारी के लिए भेजा जाता है.


