भरतपुर पहाड़ी और शुष्क इलाकों में बड़ी आसानी से दिखाई देने वाली नागफनी को लोग भले ही एक साधारण सा कांटेदार पौधा समझते हों लेकिन आयुर्वेद में इसे एक प्रभावी औषधि माना गया है. दिखने में बेहद खतरनाक और नुकीले कांटों वाली यह वनस्पति शरीर के कई प्रकार के दर्द को दूर करने में अहम भूमिका निभाती है.
भरतपुर पहाड़ी और शुष्क इलाकों में बड़ी आसानी से दिखाई देने वाली नागफनी को लोग भले ही एक साधारण सा कांटेदार पौधा समझते हों लेकिन आयुर्वेद में इसे एक प्रभावी औषधि माना गया है. दिखने में बेहद खतरनाक और नुकीले कांटों वाली यह वनस्पति शरीर के कई प्रकार के दर्द को दूर करने में अहम भूमिका निभाती है. भरतपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लोग पारंपरिक तरीके से नागफनी का उपयोग करते आ रहे हैं.

इसके परिणाम काफी प्रभावी बताए जाते हैं वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य डॉ.चंद्रप्रकाश दीक्षित के अनुसार नागफनी में प्राकृतिक रूप से दर्दनाशक तत्व मौजूद होते हैं. जो शरीर में होने वाले वातजनित दर्द मांसपेशियों की जकड़न और जोड़ों की सूजन को कम करने में मदद करते हैं. उन्होंने बताया कि पुराने समय में जब दवाइयों का इतना चलन नहीं था.

तब लोग नागफनी को ही घरेलू उपचार के रूप में अपनाते थे और इसका असर इतना अच्छा होता था कि आज भी ग्रामीण समुदाय इसे भरोसे के साथ इस्तेमाल करता है. नागफनी का इस्तेमाल करने का तरीका भी बेहद आसान है. बस थोड़ी सावधानी जरूरी होती है. सबसे पहले पौधे से नागफनी को सावधानीपूर्वक तोड़ा जाता है. ताकि कांटे हाथ में न चुभें इसके बाद इसके सभी कांटों को चाकू की मदद से अच्छी तरह निकाल दिया जाता है.
Add News18 as
Preferred Source on Google

जब नागफनी साफ हो जाए तो इसे गर्म तवे पर हल्का सा तेल लगाकर गर्म किया जाता है. गर्म करने से इसके भीतर मौजूद औषधीय रस सक्रिय हो जाते हैं.और त्वचा पर लगाने पर दर्द को तेजी से शांत करने में मदद मिलती है. डॉ.दीक्षित बताते हैं.कि गर्म की हुई नागफनी को कमर दर्द, घुटनों के दर्द, पीठ दर्द, कंधे के दर्द या किसी अन्य जगह जहां दर्द हो रहा हो वहां बांधकर लगाना चाहिए यह कुछ ही देर में दर्द को खींच लेती है.

सूजन भी कम करती है, ग्रामीण इसे अक्सर रात में लगाकर सोते हैं.जिससे सुबह तक काफी राहत मिल जाती है. भरतपुर के कई गांवों में बुजुर्ग आज भी इस देसी दर्द निवारण विधि पर भरोसा करते हैं. उनका कहना है कि नागफनी का यह पारंपरिक नुस्खा ना केवल किफायती है बल्कि पूरी तरह प्राकृतिक होने के कारण इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता.

हालांकि जिन लोगों की त्वचा अत्यधिक संवेदनशील हो या जिन्हें एलर्जी की समस्या हो उन्हें इसके उपयोग से पहले विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए प्राकृतिक औषधियों की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए नागफनी आज भी ग्रामीण जीवन में दर्द से राहत देने वाली एक महत्वपूर्ण औषधि बनी हुई है.


