सिक्स पॉकेट सिंड्रोम एक ऐसी ही समस्या है. ये शब्द सबसे पहले चीन में वन चाइल्ड पॉलिसी के दौरान सुनने में आया था. इसके तहत परिवार को सिर्फ एक बच्चा पैदा करने लिए प्रेरित करना था. जिसके परिणामस्वरूप एक ऐसी पीढ़ी तैयार हुई जिसे इतना लाड़ प्यार और वेलिडेशन मिला कि वो अपनी मनमानी करने की आदी हो गई.
सिक्स पॉकेट सिंड्रोम एक ऐसी ही समस्या है. ये शब्द सबसे पहले चीन में वन चाइल्ड पॉलिसी के दौरान सुनने में आया था. इसके तहत परिवार को सिर्फ एक बच्चा पैदा करने लिए प्रेरित करना था. इसमें एक बच्चे पर 6 व्यस्क यानी दो पेरेंट्स और 4 ग्रैंड पेरेंट्स होते हैं. जिसके परिणामस्वरूप एक ऐसी पीढ़ी तैयार हुई जिसे इतना लाड़ प्यार और वेलिडेशन मिला कि वो अपनी मनमानी करने की आदी हो गई.
सिक्स पॉकेट सिंड्रोम क्या है?
ये बच्चे के अपब्रिंगिंग के एक दोषपूर्ण सेटअप को परिभाषित करता है. जब घर में एक ही बच्चा होता है, तो उसे सबसे केवल प्यार मिलता है. उसकी छोटी-छोटी और बड़ी से बड़ी जिद को पूरा की जाती है. जबकि गुड पेरेंटिंग इसके सख्त खिलाफ है. बच्चे को एक अच्छा और समझदार व्यक्ति बनाने के लिए इस बात का ध्यान रखना जरूर है, कि बच्चा छोटी उम्र से ही सही और गलत में फर्क करना सीखे. बच्चे में आत्मविश्वास हो लेकिन जरूरत से ज्यादा नहीं, बच्चा अपने साथ ही दूसरे व्यक्तियों के भी भावनाओं का आदर करे उसे समझें.
सिक्स पॉकेट सिंड्रोम के लक्षण
– इस सिंड्रोम से ग्रसित बच्चे अपने छोटे-छोटे कामों के लिए दूसरों पर निर्भर होते हैं. जैसे जूते की लेस बांधने से लेकर खाना तक.
– ऐसे बच्चों में सब्र नहीं होता है. इन्हें चाहिए होता है कि इनके डिमांड करते ही वो पूरी हो जाए.
– ये बच्चे शेयरिंग नहीं करते हैं. इन्हें सब कुछ पूरा चाहिए होता है. ये खुद को सबसे ज्यादा स्पेशल मानते हैं.
-अगर इन बच्चों की बातें न सुनी जाए तो एंग्जायटी से भर जाते हैं. इनका गुस्सा इतना खराब होता है कि ये सामान फेंक देते हैं, अपने से बड़े लोगों को अपशब्द बोल देते हैं.
– इन बच्चों को सबसे वेलिडेशन चाहिए होता है. इन्हें हमेशा ये प्रूफ करना होता है कि ये सबसे बेस्ट हैं.
पेरेंटस के लिए चेतावनी
यदि आपको अपने बच्चे में सिक्स पॉकेट सिंड्रोम के लक्षण नजर आ रहे हैं, तो बिना देरी इसे एड्रेस करें. ध्यान रखें कि बच्चे के जिद्द को नहीं पूरा करना यह साबित नहीं करता है कि आप उससे कम प्यार करते हैं. बच्चा सही और गलत में तभी फैसला कर पाएगा जब आप उसे सिखाएं. ऐसे में कैसे बिहेव करना है, रिजेक्शन को कैसे हैंडल करना है, दूसरों की भावनाओं को कैसे सम्मान देना है और कैसे नॉलेज के साथ हम्बल बने रहना है, इन सभी चीजों की प्रेक्टिस आपको आज से ही अपने बच्चे से करानी होगी. इस प्रोसेस में आपका गुस्सा करना, बच्चे का रुठना सब नॉर्मल है.
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शारदा सिंह बतौर सीनियर सब एडिटर News18 Hindi से जुड़ी हैं. वे हेल्थ, वेलनेस और लाइफस्टाइल से जुड़ी रिसर्च-बेस्ड और डॉक्टर्स के इंटरव्यू पर आधारित रिपोर्ट्स बनाने में एक्सपर्ट हैं. शारदा पिछले 5 सालों से मीडिया …और पढ़ें


