झारखंड के गांवों में दही-आलू एक फेमस और परंपरागत व्यंजन है. जिसे हर घर में बड़े चाव से बनाया और खाया जाता है. यह डिश बनाने में बेहद आसान है और सिर्फ पांच मिनट में तैयार हो जाती है. काम से लौटने वाले लोग अक्सर इसे खाना पसंद करते हैं, क्योंकि यह स्वादिष्ट होने के साथ-साथ जल्दी पेट भरने वाला भी है.
झारखंड के गांवों की रसोई में परंपरागत व्यंजनों का अलग ही स्वाद होता है. इन्हीं में से एक है दही-आलू, जो ग्रामीण इलाकों में लगभग हर घर में बड़े चाव से बनाई जाती है. यह डिश न सिर्फ स्वादिष्ट होती है, बल्कि बेहद आसान और जल्दी बनने वाली भी है.

रेसिपी साझा करते हुए आदिवासी महिला रवीना कच्छप बताती हैं कि दही-आलू गांव की रसोई का एक जरूरी हिस्सा है. काम से लौटे लोग अक्सर यही खाना पसंद करते हैं, क्योंकि इसे तैयार करने में मुश्किल से पांच मिनट लगते हैं और यह पेट भी भर देती है.

वह आगे बताती हैं कि इस डिश को बनाने के लिए सबसे पहले आलू को उबालकर छील लिया जाता है और छोटे टुकड़ों में काटा जाता है. इसके बाद ताजी दही को फेंटकर उसमें हल्दी, लाल मिर्च और धनिया पाउडर मिलाया जाता है.
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उन्होंने आगे बताया कि फिर इस दही-मसाले के मिश्रण में आलू को डालकर अच्छी तरह मिक्स किया जाता है. इसे 5 से 10 मिनट तक रेस्ट करने के लिए भी रखा जा सकता है, हालांकि चाहें तो तुरंत भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

उन्होंने आगे बताया कि इसके बाद एक बर्तन में सरसों का तेल या घी गरम किया जाता है और उसमें जीरा, हरी मिर्च और अदरक का तड़का लगाया जाता है.

जैसे ही मसाले महकने लगते हैं, यह तड़का दही और आलू वाले मिश्रण में डाल दिया जाता है. कुछ ही मिनटों में यह स्वादिष्ट आलू दही तैयार हो जाती है.

रवीना आगे बताती हैं कि अंत में थोड़ा गरम मसाला और हरी धनिया डाल देने से इसका स्वाद और बढ़ जाता है. इसे चावल, रोटी या पराठे किसी भी चीज़ के साथ परोसा जा सकता है.


