
मुर्शिदाबाद कांड के बाद एक बार फिर बंगाल के विभाजन पर बात होने लगी है. बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को घेरते हुए कहा कि वह सीएम रहीं तो बंगाल का विभाजन तय मानिए….और पढ़ें

हाइलाइट्स
- मुर्शिदाबाद हिंसा के बीच पश्चिम बंगाल के विभाजन का सुर क्यों गूंजा.
- केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने ममता बनर्जी के सिर मढ़ा आरोप.
- अलग नॉर्थ बंगाल की वर्षों पुरानी मांग, बीजेपी भी उठाती रही है आवाज.
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में जिस तरह हिंसा हुई, हिन्दुओं को पलायन करना पड़ा, उसके बाद से राज्य की राजनीति गर्म है. बंगाल बीजेपी अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने तो यहां तक कह दिया, ‘अगर ममता बनर्जी जैसी सीएम रहीं, तो पश्चिम बंगाल का विभाजन तय है. मुर्शिदाबाद में हिंसा और सरकार की निष्क्रियता नॉर्थ बंगाल को अलग करने की हवा दे रही है.’ सुकांत मजूमदार का यह बयान एक बार फिर बंगाल में विभाजन की ओर इशारा कर रहा है. आखिर इसके पीछे की कहानी क्या है, क्यों अक्सर यह मुद्दा चर्चा में आ जाता है?
पश्चिम बंगाल का एक तबका नॉर्थ बंगाल की वर्षों से डिमांड कर रहा है. वह चाहता है कि कूचबिहार, जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार, दार्जिलिंग, कालिमपोंग, उत्तर दिनाजपुर, दक्षिण दिनाजपुर और मालदा को मिलाकर नॉर्थ बंगाल बना दिया जाए. यह इलाका भूटान, नेपाल और बांग्लादेश की सीमाओं से सटा हुआ है और रणनीतिक रूप में काफी महत्वपूर्ण है. 1905 और 1947 के बंगाल विभाजन को इसकी वजह बताया जाता है. उधर, 1980 के दशक में गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट ने गोरखालैंड की मांग उठाई, जो नॉर्थ बंगाल से अलग राज्य चाहता था.
किसने उठाई मांग
हाल के वर्षों में कुछ राजनीतिक दलों और नेताओं ने उत्तर बंगाल को अलग राज्य बनाने की बात उठाई है. बीजेपी के कुछ सांसदों ने यह मुद्दा संसद और सार्वजनिक मंचों पर भी उठाया है. 2021 के विधानसभा चुनाव के बाद यह मुद्दा जोर पकड़ रहा है. 2024 में बीजेपी सांसद सुकांत मजूमदार और जॉन बारला ने नॉर्थ बंगाल को नॉर्थ ईस्ट क्षेत्र विकास मंत्रालय के तहत लाने का प्रस्ताव दिया. तब भी कहा गया कि वह अलगाव चाहते हैं. जबकि ममता बनर्जी सरकार इस मांग का पूरी तरह विरोध करती है. उनका कहना है कि बंगाल को बांटना किसी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा.