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Patna Universit Student Union Election: पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव के बहाने क्या बिहार में युवाओं के मिजाज से क्लियर होगी 2025 चुनाव की लड़ाई की लाइन लेंथ? ये सवाल विधानसभा चुनाव के ठीक पहले तेजी से उठन…और पढ़ें

पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव के नतीजों से बिहार विधानसभा चुनाव की दिशा पता लगेगी.
हाइलाइट्स
- पटना यूनिवर्सिटी चुनाव में जेडीयू को छोड़ सभी दलों ने ताकत झोंकी.
- प्रशांत किशोर की पार्टी भी पीयू चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रही है.
- पीयू के युवा वोटर 2025 विधानसभा चुनाव की दिशा तय कर सकते हैं.
पटना. बिहार में पटना यूनिवर्सिटी छात्र संघ चुनाव को बिहार के सियासत के लिहाज से भी बृहद महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसी यूनिवर्सिटी से नीतीश कुमार, लालू यादव और दिवंगत सुशील मोदी से लेकर कई दिग्गज राजनेता निकले हैं, जिन्होंने न सिर्फ बिहार, बल्कि देश के सियासत में भी अपना झंडा गाड़ा है. यही वजह है कि राजनीतिक दल पटना यूनिवर्सिटी इलेक्शन के बहाने ना सिर्फ युवा नेताओं पर नजरें गड़ाए हुए हैं. साथ ही पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में युवा वोटरों के मिजाज को भी परखने का मौका विधानसभा चुनाव के पहले पता चलेगा कि आखिर युवा वोटर राजनीतिक दलों के प्रति और बिहार की राजनीतिक दिशा को लेकर कैसा रूख रखते हैं.
पटना यूनिवर्सिटी में इस बार मुकाबला महागठबंधन के दल कांग्रेस, आरजेडी और वामदल के बैनर तले उतरे उम्मीदवार हैं. वहीं, एनडीए से बीजेपी का युवा विंग के साथ साथ लोजपा और दूसरे दलों ने भी उम्मीदवार उतारे हैं. लेकिन, जेडीयू ने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं जो हैरान कर रहा है. वहीं, प्रशांत किशोर ने भी अपने उम्मीदवार उतार चुनाव को रोचक बना दिया है. अब समझिए क्यों यूनिवर्सिटी चुनाव राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण बन गया है. दरअसल, पटना यूनिवर्सिटी में बिहार के तमाम जिलों के छात्र छात्राए पढ़ते हैं, जो चुनाव में वोटर की भूमिका में रहेंगे. ऐसे में इनके वोट से जिन्हें जीत मिलेगी और जिन्हें हार इससे पता चलेगा की बिहार के युवाओं का मूड क्या है.
तेजस्वी के मुद्दों और बिहार सरकार की साख की चुनावी जंग!
एक तरफ तेजस्वी यादव युवाओं को रोजगार और डोमिसाइल नीति को लेकर अपने पाले में करने में लगे हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ एनडीए भी लगातार रोजगार देकर उन्हें लुभाने की कोशिश में लगा हुआ है. वहीं, प्रशांत किशोर भी युवाओं के पलायन का मुद्दा के साथ-साथ रोजगार सहित मुद्दों को उठाकर अपने पाले में करने में लगा हुआ है.जाहिर है युवाओं के ऊपर किसका मुद्दा चलता है और किसके वादों से वो प्रभावित होते हैं, ये बेहद महत्वपूर्ण है. इस बार युवा वोटर ही बिहार के चुनाव को प्रभावित करने वाले हैं और इसकी पहली तस्वीर पटना यूनिवर्सिटी चुनाव परिणाम से दिखने वाली है.जाहिर है राजनीतिक दलों की बेचैनी की वजह भी यही है.