
<p style="text-align: justify;">दिल्ली हाईकोर्ट ने बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) से संबंधित एक महत्वपूर्ण मामले में केंद्र सरकार के रवैये पर सख्त नाराजगी जताई है. जस्टिस सौरभ बनर्जी की बेंच ने सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के वकील द्वारा मामले की सुनवाई बार बार टालने की मांग करने को न्याय प्रक्रिया के दुरुपयोग की संज्ञा देते हुए, 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया. यह राशि चार सप्ताह के भीतर आर्मी सेंट्रल वेलफेयर फंड में जमा कराई जानी है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>क्या है मामला ? </strong></p>
<p style="text-align: justify;">यह मामला नीरज गुप्ता बनाम कंट्रोलर ऑफ पेटेंट्स एंड डिज़ाइन्स से संबंधित है. याचिकाकर्ता नीरज गुप्ता ने एक वाणिज्यिक अपील दायर कर पेटेंट और डिजाइन नियंत्रक के एक आदेश को चुनौती दी थी. यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट की बौद्धिक संपदा प्रभाग (IPD) के समक्ष विचाराधीन है. केंद्र सरकार के वकील इस मामले में पेश हुए, जिन्होंने कोर्ट को बताया कि उन्होंने लिखित दलीलें दायर कर दी हैं, लेकिन अभी तक संबंधित सरकारी प्राधिकरण से उन्हें कोई विशेष निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं, अतः एक बार फिर सुनवाई टालने की मांग की जा रही है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>दिल्ली HC कोर्ट की नाराज़गी </strong></p>
<p style="text-align: justify;">जस्टिस सौरभ बनर्जी ने केंद्र सरकार के वकील की इस बात पर नाराजगी जताई कि यह चौथी बार है जब प्रतिवादी की ओर से एक ही कारण बताकर समय मांगा गया है. अदालत ने कहा कि बार-बार इसी तरह की सुनवाई टालने की मांग से न केवल न्यायिक समय की बर्बादी होती है, बल्कि याचिकाकर्ता के अधिकारों का भी हनन होता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>दिल्ली HC कोर्ट ने आदेश में कहा</strong></p>
<p style="text-align: justify;">चूंकि प्रतिवादी के वकील ने पिछले तीन अवसरों पर भी सुनवाई टालने की मांग की है. इसलिए न्याय के हित में यह मामला 06 अगस्त, 2025 को दोबारा सुनवाई के लिए लगाया जाता है, लेकिन 20,000 की लागत के भुगतान की शर्त पर, जो कि चार सप्ताह के भीतर आर्मी सेंट्रल वेलफेयर फंड में जमा कराना अनिवार्य है. इस मामले की अगली सुनवाई अब 6 अगस्त 2025 को होगी. देखना यह होगा कि क्या तब तक केंद्र सरकार पूरी तैयारी के साथ कोर्ट में पेश होगी या फिर एक और फटकार इंतजार कर रही होगी.</p>