
UN महासचिव एंटोनियो गुतेरेस ने भारत-पाक की UN शांति सेना में भूमिका की सराहना की, लेकिन पाकिस्तानी सेना पर रेप, तस्करी और धर्मांतरण जैसे गंभीर आरोप हैं. भारत की सेना जहां विश्वसनीय मानी जाती है, वहीं पाकिस्तान …और पढ़ें

हाइलाइट्स
- पाकिस्तानी सेना पर रेप, तस्करी और धर्मांतरण के गंभीर आरोप हैं
- भारत की सेना विश्वसनीय, पाकिस्तानी सेना बदनाम है
- UN में पाकिस्तानी सैनिकों पर कई अपराधों के आरोप लगे हैं
न्यूयॉर्क: संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुतेरेस ने भारत और पाकिस्तान से ‘संयम’ बरतने की अपील की है, साथ ही दोनों देशों की UN शांति सेना में योगदान की तारीफ की. उन्होंने शांति सेना में अपने सैनिकों को भेजने के लिए दोनों देशों का नाम लिया. लेकिन गुतेरेस को दो विपरीत सेनाओं का नाम नहीं लेना चाहिए था. ऐसा इसलिए कि जहां भारत की सेना दुनिया में सबसे प्रोफेशनल मानी जाती है तो वहीं पाकिस्तानी सेना काले कारनामे दुनिया भर में बदनाम है. लड़ाई के अलावा यह सारे काम करते हैं.
गुतेरेस ने कहा, ‘मुझे दोनों देशों की सरकारों और लोगों का गहरा सम्मान है, खासकर UN शांति मिशनों में उनके योगदान के लिए.’ लेकिन सवाल यह है कि क्या हिंदुस्तान की शांति सेना और पाकिस्तान की फौज, जिसका इतिहास घिनौने अपराधों से भरा है उसे एक ही तराजू में तौलना उचित है? पाकिस्तान में तो उसके काले कारनामे मशहूर ही हैं. इंटरनेशनल लेवल पर भी पाकिस्तान ने अपनी बेइज्जती कराने में कसर नहीं छोड़ी है. उसके ऊपर रेप और तस्करी जैसे आरोप लगे हैं.
क्या हैं पाक के काले कारनामे?
- लड़के से बलात्कार: BBC की रिपोर्ट के मुताबिक हैती में UN मिशन (MINUSTAH) में तैनात दो पाकिस्तानी सैनिकों ने 14 साल के लड़के के साथ बलात्कार किया. हद तो तब हो गई जब पाक फौज की ट्रिब्यूनल ने उन्हें सिर्फ एक साल की सजा दी और वापस भेज दिया. हैती के तत्कालीन न्याय मंत्री मिशेल ब्रुनाचे ने इसे ‘छोटा कदम’ बताया, लेकिन UN और पाकिस्तान सरकार से और सख्ती की उम्मीद जताई. पर ऐसा कुछ हुआ नहीं.
- कांगो में तस्करी: कांगो में UN मिशन (MONUC) में पाकिस्तानी सैनिकों पर हथियार और सोने की तस्करी के साथ-साथ नाबालिग लड़कियों के यौन शोषण के आरोप लगे. हालांकि सबूत सीमित थे, लेकिन UN की जांच में व्यक्तिगत स्तर पर गलतियां पाई गईं, जिन्हें पाकिस्तानी अधिकारियों को सौंपा गया.
- धर्मांतरण की कोशिश: 2021 में कांगो में तैनात पाकिस्तानी कर्नल साकिब मुश्ताकी पर UN कर्मचारियों पर इस्लाम धर्म अपनाने का दबाव डालने का आरोप लगाया गया. यह UN के निष्पक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन था. पाकिस्तानी सेना ने जांच शुरू की, लेकिन नतीजा आज तक अस्पष्ट है.
आरोपों का ढेर, सबूतों की कमी
पाकिस्तानी सैनिकों पर बलात्कार, यौन शोषण, तस्करी और धर्मांतरण जैसे आरोप तो कई बार लगे हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में सबूतों की कमी या पाकिस्तान की ओर से अपारदर्शी जांच ने इंसाफ को मुश्किल बना दिया. UN के पास सैनिकों पर सीधा अधिकार नहीं है, और पाकिस्तान जैसे देश हल्की सजा देकर मामले रफा-दफा कर देते हैं.