
कांग्रेस नेता सांसद राहुल गांधी दोपहर में हरियाणा के करनाल पहुंचेंगे। यहां वे लेफ्टिनेंट विनय नरवाल के परिवार से मिलेंगे। नेवी लेफ्टिनेंट नरवाल की 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकियों ने हत्या कर दी थी।
शादी के 7वें दिन ही आतंकियों ने पत्नी हिमांशी के सामने उन्हें 3 गोलियां मारी थी। हालांकि लेफ्टिनेंट नरवाल की पत्नी हिमांशी ही वह महिला थी, जिसने सबसे पहले खुलासा किया कि आतंकियों ने नाम पूछकर टूरिस्टों को गोली मारी। इस हमले में 26 टूरिस्टों की मौत हुई थी।
22 अप्रैल को हत्या के बाद 23 अप्रैल को ही उनका अंतिम संस्कार किया गया था। इसके बाद 1 मई को उनके जन्मदिन को परिवार ने रक्तदान कैंप लगाकर बनाया। 4 मई को करनाल में उनकी रसम पगड़ी हुई थी।
वहीं हरियाणा सरकार ने लेफ्टिनेंट नरवाल के परिवार को 50 लाख की वित्तीय मदद और एक मेंबर को सरकारी नौकरी को भी कल कैबिनेट की मीटिंग में मंजूरी दे दी।

शादी के 7वें दिन हत्या, लेफ्टिनेंट नरवाल की कहानी
- दिल्ली से बीटेक की, परिवार आर्मी से जुड़ा हुआ: विनय नरवाल मूल रूप से करनाल के भुसली गांव के रहने वाले थे। मगर, 15 साल से उनका परिवार सेक्टर-7 में रह रहा है। उन्होंने दिल्ली से बीटेक किया। विनय का परिवार आर्मी से जुड़ा हुआ है। उनके नाना और ताऊजी आर्मी में थे। दादा हवा सिंह भी BSF में रहे।
- CDS में सिलेक्ट नहीं हुए तो SSB की तैयारी की: विनय ने स्कूल टाइम से कंबाइंड डिफेंस सर्विसेज (CDS) की तैयारी की, लेकिन सिलेक्शन नहीं हुआ। इसके बाद सशस्त्र सीमा बल (SSB) की तैयारी की। 3 साल पहले वे नेवी लेफ्टिनेंट भर्ती हो गए। उनकी ड्यूटी केरल के कोच्चि में थी।
- ETO की बेटी से रिश्ता, 16 अप्रैल को शादी हुई: 28 मार्च को विनय शादी के लिए छुट्टी लेकर कोच्चि से घर आए। 16 अप्रैल को मसूरी में डेस्टिनेशन वेडिंग हुई। इसके बाद उनका यूरोप में हनीमून का प्लान था। मगर, उन्हें नेवी से NOC नहीं मिली तो वे 21 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम चले गए। 22 अप्रैल को वे पत्नी संग घूमने निकले तो आतंकी हमला हो गया और पत्नी हिमांशी के सामने ही उनकी हत्या कर दी गई।

लेफ्टिनेंट विनय नरवाल और हिमांशी की शादी 16 अप्रैल को हुई थी। यह उनकी शादी के दिन की फोटो है।
- बर्थडे सेलिब्रेशन की जगह अंतिम विदाई दी: 1 मई को विनय का बर्थडे था। परिवार ने उनके हनीमून से लौटने पर पार्टी रखनी थी। मगर, उन्हें विनय को अंतिम विदाई देनी पड़ी। इसके बाद परिवार ने रक्तदान कैंप लगाकर विनय का जन्मदिन मनाते हुए श्रद्धांजलि दी।

लेफ्टिनेंट विनय नरवाल का परिवार।
लेफ्टिनेंट विनय की हत्या कैसे हुई, पत्नी हिमांशी ने बताया..

विनय की हत्या के बाद हिमांशी का आतंकी हमले के बारे में बताते हुए वीडियो वायरल हुआ था।
- कुछ खा रहे थे, तभी फायरिंग की आवाज आई: विनय की हत्या को लेकर मीडिया से बातचीत में हिमांशी ने कहा ” हम पहलगाम से डेढ़ बजे के करीब बाइसरन के लिए निकले थे। करीब आधे घंटे का सफर तय कर दोपहर 2 बजे तक वहां पहुंच गए। यहां हम कुछ खा-पी रहे थे तभी मुझे फायरिंग की आवाज आई। मैंने विनय को बोला कि फायरिंग हो रही है।
- आतंकी ने कहा- ये मुस्लिम नहीं और विनय को गोली मार दी: हिमांशी ने आगे कहा- आतंकी ने विनय को देखकर बोला कि ये भी मुस्लिम नहीं है। उसने उसी वक्त विनय पर गोली चला दी, विनय नीचे गिर गए। फिर उस आदमी ने मुझे बोला- आप जाओ यहां से। मैं उस पर चिल्लाई, कई सवाल किए, लेकिन वह इंसान इसके बाद कुछ नहीं बोला और वहां से चला गया।
- कोई मदद के लिए नहीं आया: हिमांशी ने कहा- पुलिस को पहुंचने में कम से कम एक घंटा लगा। उस बीच कोई मदद को आगे नहीं आया। विनय को पहलगाम अस्पताल पहुंचाने में डेढ़ घंटा लगा होगा।

हमले के बदले पर हिमांशी ने क्या कहा…
- आतंकियों को जरूर सजा मिले: हिमांशी नरवाल ने कहा कि हम नहीं चाहते कि किसी और के साथ वैसा हो, जैसा हमारे साथ हुआ। हम सिर्फ शांति चाहते हैं। उन आतंकियों को सजा मिलनी चाहिए, जिन्होंने मासूमों को मारा। उन्हें सजा जरूर मिलनी चाहिए।
- मुस्लिम-कश्मीरियों पर नफरती बयान ठीक नहीं: उन्होंने मुस्लिम और कश्मीरियों के खिलाफ नफरत भरे बयानों पर आपत्ति जताई है। हिमांशी ने कहा कि यह सही नहीं है। हिमांशी से जब सवाल किया कि उनके पति ने देश सेवा का रास्ता चुना था, क्या वह भी इस पर आगे बढ़ेंगी तो उन्होंने हां में जबाव दिया। हिमांशी ने कहा कि अभी मैं यही चाहती हूं कि विनय को देश में सबसे ज्यादा ऑनर मिले।
भाई की हत्या के बाद इकलौती बहन सृष्टि ने क्या कहा था..

23 अप्रैल को अंतिम संस्कार के मौके पर CM नायब सैनी से बात करती विनय नरवाल की इकलौती बहन सृष्टि नरवाल।
- आर्मी आसपास होती तो विनय बच जाता: 23 अप्रैल को लेफ्टिनेंट के अंतिम संस्कार के दिन इकलौती बहन सृष्टि नरवाल का गुस्सा फूट पड़ा। CM नायब सैनी का हाथ पकड़कर सृष्टि ने कहा- डेढ़ घंटे तक कोई वहां नहीं आया। विनय उस वक्त तक जिंदा था। अगर वहां पर आसपास आर्मी होती तो विनय बच सकता था। मुझे इंसाफ चाहिए।
- विनय ने बोला- मैं मुसलमान नहीं, 3 गोलियां मारीं: बहन सृष्टि ने कहा- ”विनय ने सिर्फ इतना बोला था वह मुसलमान नहीं है और आतंकी ने 3 बार उन्हें गोली मारी। आई वांट जस्टिस। जिन्होंने मेरे भाई को मारा, मुझे उन्हें मुर्दा देखना है। मुझे बदला चाहिए।

यह तस्वीर रसम पगड़ी के दिन की है, जिसमें ससुर राजेश बहू हिमांशी को दिलासा दे रहे हैं। साथ में लेफ्टिनेंट की बहन सृष्टि बैठी हुई हैं।
रसम पगड़ी के दिन बहन सृष्टि ने क्या कहा था…
- गोद में खिलाने वाले को कंधा देना पड़ा: बहन सृष्टि नरवाल ने कहा- आज यहां पहुंचे लोगों से पता चलता है कि आप लोग विनय से कितना प्यार करते हैं। पिछले 12-13 दिनों से हमारे घर पर बहुत लोगों का आना-जाना हो रहा है। जिससे परिवार को खूब हौसला मिल रहा है। विनय लेफ्टिनेंट होने से पहले वह मेरा बड़ा भाई रहा है। सृष्टि ने कहा- डिअर विनय, मेरे भैया, मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि जिस भाई ने पैदा होते ही मुझे अपनी गोद में खिलाया, मैं उसकी जिंदगी की अंतिम यात्रा में उसे कंधा दूंगी।
- जिसने आग के नजदीक न जाने दिया, उसे अग्नि दी: सृष्टि ने कहा- जिस भाई ने मुझे पटाखों के शोर से हमेशा बचाकर रखा। उसी भाई की शहादत की अंतिम सलामी की गूंज आज तक मेरे कानों में गूंज रही है। जिस भाई ने कभी मुझे आग के नजदीक तक नहीं आने दिया। उसी भाई को मैंने अपने हाथों से अग्नि दी। जो भाई मुझे कभी रोता हुआ नहीं देख सकता था, जिसे मुझे रोते देखकर उसे रोना आ जाता था, आज मैं रो रही हूं तो वह है ही नहीं मेरे आसपास, मुझे चुप कराने के लिए।
- अभी भी यकीन नहीं हो रहा: सृष्टि ने कहा- सच बोलूं तो अभी तक यकीन नहीं हो रहा, जो हमारे साथ हो गया। कैसे हुआ, क्यों हुआ, शायद परमात्मा की यही मर्जी थी। जब तक मैं रहूंगी, विनय रहेगा। वह अमर रहेगा। वह हम सबके अंदर है। पूरा देश जिसे उसकी वर्दी और शहादत से जानता है, उसे हम परिवार वाले उसके दिल से जानते हैं। जितना बड़ा उसका कद था 6 फीट, 3 इंच, उससे लाख गुना बड़ा उसका दिल था। एक निराला बचपना था। एक प्यारी सी मुस्कान थी।

श्रद्धांजलि सभा में विनय को उनके दादा और पत्नी हिमांशी ने सैल्यूट किया। सभा में बोलती बहन सृष्टि।
- ऐसा लग रहा, किसी ने मेरे शरीर का अंग निकाल लिया: सृष्टि ने कहा- उसके अंदर हमेशा कुछ बड़ा करने का जुनून था। मम्मी की जान, पापा का दुलारा और दादू-दादी की जीने की वजह, वह हमारा सब कुछ था। ऐसा लगता है, मेरे शरीर के अंदर से किसी ने मेरा अंग ही अलग कर दिया हो। मुझे एक बात याद आ रही है कि चूरमा उसका फेवरेट डिश होता था। जब हम छोटे होते थे तो मां चूरमा खिलाती थी। थोड़े बड़े हुए तो भाई हमें चूरमा बनाकर खिलाता था। मैं उसे हमेशा कहती थी कि भाई जब तेरे बच्चे होंगे तो मैं उन्हें चूरमा खिलाऊंगी।
- सरप्राइज देने का बहुत शौक था, 22 अप्रैल ने जिंदगी पलट दी: जब विनय कोच्चि से छुट्टी पर आता था तो दादू-दादी को कभी नहीं बताता था। रात को उनके बीच सो जाता और सुबह जब उनकी आंख खुलती तो विनय को बीच में पाते। उसे सरप्राइज करने का बहुत शौक था। हम पिछले कुछ महीनों से विनय और हिमांशी की शादी की तैयारियों में इतने खुश थे कि उसका कोई ठिकाना नहीं था। फिर एक पल में, 22 अप्रैल को हमारी जिंदगी पलट गई।
- कारगिल मूवी देखते थे, तिरंगे में लिपटकर आने की बात करते थे: जब वह छोटे थे तो बहुत बार LoC कारगिल मूवी देखते थे। यह भाई की फेवरेट मूवी थी। भाई मुझे कहते थे कि सृष्टि तेरा भाई भी एक दिन ऐसे ही तिरंगे में लिपटा हुआ आएगा। मैं उन्हें बहुत डांटती थी।