
अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकनॉमिक जोन (एपीएसईजेड) के प्रबंध निदेशक करण अदाणी ने कहा है कि भारत की सबसे बड़ी निजी बंदरगाह परिचालक अपने समुद्री, लॉजिस्टिक और कृषि-लॉजिस्टिक कारोबार को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। अदाणी ने कहा कि अदाणी समूह की प्रमुख कंपनी एपीएसईजेड विड़िण्गम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह में दूसरे चरण में 13,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी, जिससे इस गहरे पानी वाले बंदरगाह की माल ढुलाई क्षमता मौजूदा 12 लाख टीईयू (बीस फुट समकक्ष इकाइयों) से बढ़कर 2028 तक लगभग 50 लाख टीईयू हो जाएगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो मई को विड़िण्गम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह का उद्घाटन किया, जिसका निर्माण 8,867 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से पूरा हुआ है।
हमारे पास तीन बड़े कारोबारी क्षेत्र
उन्होंने कहा कि एपीएसईजेड के भीतर, हमारे पास तीन बड़े कारोबारी क्षेत्र-समुद्री व्यवसाय, लॉजिस्टिक्स व्यवसाय और कृषि-लॉजिस्टिक्स व्यवसाय हैं, जिनपर हम काम कर रहे हैं।” उन्होंने इस बात की ओर इशारा किया कि एपीएसईज़ेड देश में समुद्री व्यापार में सबसे बड़ी संचालक है। अदाणी ने कहा, “अब विचार यह है कि भारत के भीतर और साथ ही भारत के बाहर भी उस (समुद्री व्यापार) व्यवसाय को बढ़ाया जाए।” लॉजिस्टिक्स के मामले में, अदाणी ने कहा कि एपीएसईज़ेड बहु-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क बनाने पर विचार कर रही है, जैसा अदाणी समूह ने बंदरगाहों में किया है। उन्होंने कहा, “हम बड़े, बहु-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क बनाना चाहते हैं, और फिर मात्रा बढ़ाने के साथ-साथ दक्षता बढ़ाने में मदद करना चाहते हैं।”
घरेलू माल और आयात-निर्यात माल का कारोबार
कृषि-लॉजिस्टिक्स कारोबार का उल्लेख करते हुए, अदाणी ने कहा कि आज भारत में जो अनाज संग्रहीत किया जाता है, उसका भंडारण उचित तरीके से नहीं किया जाता है। उन्होंने कहा, “इसलिए हम साइलो बनाने और उन्हें संग्रहीत करने पर विचार कर रहे हैं।” यह पूछे जाने पर कि विड़िण्गम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह एपीएसईजेड के अन्य बंदरगाहों से किस तरह अलग है, अदाणी ने बताया कि अदाणी समूह के बंदरगाह मुख्य रूप से घरेलू माल और आयात-निर्यात माल का कारोबार करते हैं, उनमें से कोई भी पारगमन वाली वस्तुओं का कारोबार नहीं करता है। उन्होंने कहा, “विड़िण्गम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह देश का पहला बंदरगाह है, जहां 100 प्रतिशत पारगमन कारोबार है। वर्तमान में हमारे बंदरगाहों से आने-जाने वाला सारा माल सिंगापुर और कोलंबो जा रहा है, यही वे (माल) हैं जिन्हें हम विड़िण्गम बंदरगाह पर लाने का लक्ष्य बना रहे हैं।” वर्तमान में, भारत के 75 प्रतिशत पारगमन माल का संचालन भारत के बाहर के बंदरगाहों पर किया जाता है और भारतीय बंदरगाहों को भारत से आने वाले/जाने वाले कार्गो के पारगमन संचालन पर प्रति वर्ष 20-22 करोड़ डॉलर तक के संभावित राजस्व का नुकसान होता है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करनी होगी
विड़िण्गम परियोजना का मुख्य उद्देश्य सिंगापुर, कोलंबो, सलालाह और दुबई के विदेशी बंदरगाहों पर वर्तमान में किए जा रहे भारतीय माल के पारगमन को स्वदेश वापस लाना है। पारगमन बंदरगाह एक प्रकार का ट्रांजिट हब है, जहां एक जहाज से माल को उसके अंतिम गंतव्य तक पहुंचने के रास्ते में दूसरे जहाज में स्थानांतरित किया जाता है। यह पूछे जाने पर कि शुल्क के मामले में विड़िण्गम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह कोलंबो और सिंगापुर बंदरगाहों के साथ कैसे प्रतिस्पर्धा करेगा, अदाणी ने कहा कि विड़िण्गम बंदरगाहों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करनी होगी। उन्होंने कहा, “इसलिए हमें सिर्फ शुल्क ही नहीं, बल्कि सभी पहलुओं पर प्रतिस्पर्धा करनी होगी। हमें दक्षता पर प्रतिस्पर्धा करनी होगी, हमें परिचालन के साथ-साथ उत्पादकता पर भी प्रतिस्पर्धा करनी होगी।” एपीएसईज़ेड की अंतरराष्ट्रीय अधिग्रहण योजना पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि दक्षिण पूर्व एशिया और पूर्वी अफ्रीका क्षेत्र एपीएसईज़ेड के लिए रुचि के क्षेत्र हैं।