
इससे अलावा 7 मई को अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की बैठक प्रस्तावित है. अगर ब्याज दरों को लेकर इस बैठक में कोई फैसला लिया जाता है तो इसका सीधा असर शेयर बाजार पर देखने को मिल सकता है. बजाज ब्रोकिंग रिसर्च का कहना है कि इस हफ्ते बाजार में वैश्विक कारणों का अधिक असर देखने को मिल सकता है. इसका निवेशकों के सेंटीमेंट पर असर होगा.
पिछले हफ्ते हरे निशान में बंद हुआ बाजार
28 अप्रैल से 2 मई तक के कारोबारी सत्र में बाजार ने शानदार प्रदर्शन किया. निफ्टी 1.28 प्रतिशत की तेजी के साथ 24,346 और सेंसेक्स 1.70 प्रतिशत की बढ़त के साथ 80,501 पर बंद हुआ है. इस दौरान सेक्टोरल आधार पर ऑयल एंड गैस इंडेक्स का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा और इसमें करीब 4.38 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई. वहीं, मीडिया इंडेक्स में 1.71 प्रतिशत की गिरावट देखी गई.
शेयर बाजार में तेजी की वजह भारत-अमेरिका के बाच व्यापार समझौते को लेकर सकारात्मक अपडेट आना है. माना जा रहा है कि अमेरिका के साथ ट्रेड डील करने वाला भारत पहला देश हो सकता है. वहीं, अमेरिका-चीन के बीच तनाव कम होने से बाजार पर सकारात्मक असर हुआ है.
FII की खरीदारी जारी
बीते हफ्ते विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने खरीदारी जारी रखी और कैश सेगमेंट में 7,680 करोड़ रुपए का निवेश किया. वहीं, इस दौरान घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 9,269 करोड़ रुपए का निवेश किया. मास्टर ट्रस्ट ग्रुप के डायरेक्टर, पुनीत सिंघानिया ने कहा कि यह लगातार तीसरा हफ्ता था, जब शेयर बाजार तेजी के साथ बंद हुआ है, जो बाजार को लेकर निवेशकों के सकारात्मक रुझान को दिखाता है.
निफ्टी लगातार 24,000 के ऊपर बना हुआ है. ऐसे में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के इंडेक्स के लिए 24,000 अहम सपोर्ट है. अगर यह टूटता है तो 23,700 के स्तर भी देखने को मिल सकते हैं. उन्होंने आगे कहा कि तेजी की स्थिति में निफ्टी के लिए 24,600 और 25,000 एक अहम रुकावट का स्तर होगा. साथ ही बताया कि निवेशकों को गिरावट पर खरीदारी की रणनीति अपनानी चाहिए.