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नए वक्फ कानून के खिलाफ 8 अप्रैल को देश के कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन हुए थे।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने केंद्र पर वक्फ मामले में सुप्रीम कोर्ट में गलत डेटा पेश करने का आरोप लगाया। बोर्ड ने ‘झूठा हलफनामा’ दाखिल करने के लिए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की ओर से हलफनामा दायर करने वाले अधिकारी पर कार्रवाई की मांग की।
बोर्ड ने 1 मई को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर सरकार के 2013 के बाद वक्फ प्रॉपर्टी में 116% की बढ़ोतरी के दावे पर सवाल उठाया है।
केंद्र ने 25 अप्रैल को दायर अपने हलफनामे में कहा था कि 2013 तक कुल 18 लाख 29 हजार 163.896 एकड़ की वक्फ प्रॉपर्टी थी। लेकिन 2014 से 2025 के 11 साल इसमें 20 लाख 92 हजार 72.563 एकड़ बढ़ गई, यानी 2025 में कुल वक्फ प्रॉपर्टी 39 लाख एकड़ से ज्यादा हो गई।

बोर्ड ने केंद्र के हलफनामें को संदिग्ध बताया बोर्ड ने कहा- ऐसा लगता है केंद्र अपने हलफनामे में कह रहा है कि 2013 से पहले रजिस्टर्ड सभी वक्फ प्रॉपर्टियां वक्फ मैनेजमेंट पोर्टल के चालू होते ही तुरंत अपलोड कर दी गई थीं। हलफनामे के ‘2013 में वक्फ प्रॉपर्टियां’ वाले कॉलम में प्रॉपर्टियों की संख्या को ही रजिस्टर्ड संपत्तियां कहना शरारतभरा है।
मालूम होता है कि हलफनामा दायर करने वाले अधिकारी ने जानबूझकर यह नहीं बताया कि सभी प्रॉपर्टियों को 2013 में ही पोर्टल पर अपलोड किया गया था। हलफनामा दायर करने वाले अधिकारी को यह बताना चाहिए कि पोर्टल पर दिख रही सभी प्रॉपर्टियां 2013 में ही रजिस्टर हुई थीं। हलफनामे में यह अहम पहलू गायब है, इसलिए यह संदिग्ध है।
बोर्ड बोला- कलेक्टर की शक्तियों पर केंद्र चुप बोर्ड ने अपने हलफनामे में यह भी कहा है कि केंद्र कानून में कलेक्टर की शक्तियों के बारे में चुप है जबकि रजिस्ट्रेशन के महत्व पर 50 से ज्यादा पैराग्राफ हैं। इसके बावजूद केंद्र ने यह साफ नहीं किया कि नए कानून में ‘वक्फ बाय यूजर’ के कॉन्सेप्ट को हटाने की जरूरत क्यों पड़ी जबकि 1995 के वक्फ कानून धारा 36 के तहत रजिस्ट्रेशन करना पहले से ही जरूरी है।