
पहलगाम हमले के बाद पूरा भारत गुस्से में था. नरेंद्र मोदी सरकार पर ‘खून का बदला खून’ से लेने का दबाव है. लेकिन इस बार सरकार ने कहा कि मिलिट्री एक्शन भी होगा, मगर पहले पाकिस्तान की कमर तो तोड़ी जाए. इस बार न मिराज उड़ाए गए, न सर्जिकल स्ट्राइक हुई. भारत ने ऐसी जगह चोट की जहां पाकिस्तान सबसे कमजोर है – पानी, पैसा और वैश्विक समर्थन.
भारत के हाथ में पाकिस्तान की लाइफलाइन का रिमोट
भारत ने 1960 के सिंधु जल समझौते को ‘स्थगित’ कर दिया. यह समझौता पाकिस्तान की कृषि और पेयजल आपूर्ति की लाइफलाइन है. भारत ने इससे पहले कभी इस समझौते को हथियार नहीं बनाया था, लेकिन इस बार ‘खून और पानी साथ नहीं बह सकते’ वाली लाइन को असल में लागू कर दिया गया.
समझौते के तहत भारत को तीन पूर्वी नदियों – रावी, ब्यास और सतलज – का नियंत्रण मिला था. पाकिस्तान को पश्चिम की तीन नदियां – सिंधु, झेलम और चेनाब. भारत इन पश्चिमी नदियों का सीमित उपयोग ही कर सकता था. अब भारत इस सीमित उपयोग के नियमों को अधिकतम करने की ओर बढ़ रहा है, यानी बिना गोली चलाए पाकिस्तान की नसों (जनरल आसिम मुनीर के शब्दों में) पर दबाव बना रहा है.
पाकिस्तान हड़बड़ा गया. उसने शिमला समझौता तोड़ने की धमकी दी, भारतीय विमानों के लिए हवाई सीमा बंद की, वीजा रद्द किए. मिसाइलों से लेकर परमाणु जंग की धमकी तक दी. भारत ने संयम बनाए रखा. कोई भड़काऊ बयान नहीं, बस एक्शन.
PAK से बिना लड़े ही घुटनों पर लाने की तैयारी!
भारत ने अब आर्थिक मोर्चे पर घेराबंदी शुरू कर दी है. IMF, वर्ल्ड बैंक और एशियन डेवलपमेंट बैंक से पाकिस्तान को मिल रही फंडिंग पर भारत पुनर्विचार की मांग कर रहा है. साथ ही FATF से पाकिस्तान को दोबारा ‘ग्रे लिस्ट’ में डालने की मांग भी की जा रही है. अगर यह हुआ, तो पाकिस्तान को मिलने वाले अंतरराष्ट्रीय कर्ज पर लगाम लग जाएगी.
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पाकिस्तान की हालत वैसे भी खस्ता है. IMF से लिया गया बेलआउट पैकेज हो या हाल ही में मिला क्लाइमेट लोन, सबकुछ विदेशी पैसों पर टिका है. अगर यह नल बंद हुआ, तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था रसातल में जाएगी.
अब जो बात पाकिस्तान को सबसे ज्यादा डरा रही है, वो ये है कि भारत ने पाकिस्तान से सभी आयातों पर रोक लगा दी है – चाहे वो प्रत्यक्ष हो या अप्रत्यक्ष. अब भारत पाकिस्तान से कोई सामान नहीं खरीदेगा. भले ही ये व्यापार पहले से बहुत सीमित था, लेकिन इस प्रतिबंध ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत अब हर मोर्चे पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने पर आमादा है.
केंद्र सरकार ने शनिवार को हवाई और जमीनी मार्गों के जरिए पाकिस्तान से आने वाले मेल और पार्सल के आदान-प्रदान को भी निलंबित करने की घोषणा की. इससे पहले दिन में पाकिस्तानी झंडे वाले जहाजों को बंदरगाहों में प्रवेश करने से रोकने का आदेश भी जारी हुआ.
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रावलपिंडी में खलबली
पाकिस्तान की सेना भी अब आत्ममंथन के दौर में है. रिपोर्टों के मुताबिक, उसके पास युद्ध लायक गोला-बारूद केवल चार दिन का बचा है. 42,000 BM-21 रॉकेट, 60,000 हॉवित्जर शेल और 1.3 लाख रॉकेट बेचने से पाकिस्तान की हथियार इंडस्ट्री को तो मुनाफा हुआ, लेकिन उसकी सेना अब युद्ध में टिकने लायक नहीं रही. इसमें से 80 फीसदी मुनाफा सीधे रावलपिंडी के GHQ में गया. यानी पाकिस्तान ने अपनी सुरक्षा की कीमत पर फौज की जेबें भरीं.
और तो और, पाकिस्तान की जल-प्रणाली भी अब जवाब देने लगी है. उसके पास महज 14.10 MAF की जल भंडारण क्षमता है, जबकि जरूरत 40% स्टोरेज की होती है. भूजल भी तेजी से खत्म हो रहा है.
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पाकिस्तान की इस हालत का जिम्मेदार एक शख्स है: जनरल आसिम मुनीर. जब 2019 में पुलवामा हुआ, तब वो ISI के डायरेक्टर थे. अब पाकिस्तानी सेना के चीफ हैं. पहलगाम में हमले से चंद दिन पहले मुनीर के भाषण ने माहौल को और उकसाया. उन्होंने दो-राष्ट्र सिद्धांत की बात करते हुए कश्मीर को ‘शरीर की नस’ बताया. अब यही नस पाकिस्तान के गले की फांस बन गई है.
मुनीर की लोकप्रियता पाकिस्तान के अपने पंजाब प्रांत में भी गिर रही है. इमरान खान अब भी सबसे ज्यादा लोकप्रिय नेता बने हुए हैं, भले ही जेल में हों. और यही दबाव पाकिस्तान की सेना को बार-बार भारत को उकसाने की दिशा में धकेलता है.
पाकिस्तान भले ही लड़ाई की भाषा बोल रहा है, लेकिन उसकी बंदूकें खाली हैं, अर्थव्यवस्था जर्जर है और नैरेटिव भारत के हाथों में चला गया है. यही वो वजह है कि बिना एक गोली चले, इस्लामाबाद से लेकर रावलपिंडी तक सन्नाटा पसरा है. पाकिस्तान कराह रहा है, लेकिन उसकी करतूतों की गूंज इतनी तेज है कि अब उसकी आवाज कोई नहीं सुन रहा.
Deepak Verma
Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak’s journey began with print media and soon transitioned towards digital. He carries more than 10 years of experience in the field with focus on New media. He has previously worked with Dainik Jagran, Indian Express group, TV9 Bharatvarsh, Navbharat Times and Zee News Hindi. His interests include Science, Geopolitics, Economics and Current affairs.