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केंद्र सरकार ने इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) में भारत के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम को बर्खास्त कर दिया। इसके लिए 30 अप्रैल को नोटिस जारी किया गया था।
रिपोर्ट्स के मुताबिक IMF ने डॉ सुब्रमण्यम की कार्यशैली पर चिंता जताते हुए भारत से उन्हें वापस बुलाने का अनुरोध किया था। इसके चलते कार्यकाल खत्म होने से छह महीने पहले ही उन्हें पद से हटा दिया गया है।
नवंबर, 2022 में पद संभालने वाले सुब्रमण्यम ने भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका और भूटान का प्रतिनिधित्व किया। IMF ने अपनी वेबसाइट पर इस पद को 3 मई तक खाली बताया है। सुब्रमण्यम की बर्खास्तगी के कारणों में उनकी किताब ‘इंडिया@100’ के प्रचार के लिए अपने पद के गलत इस्तेमाल का आरोप भी शामिल है।
सूत्रों के मुताबिक माना जा रहा है कि सुब्रमण्यम ने IMF के डेटासेट पर सवाल उठाए थे, जिसे संस्था ने स्वीकार नहीं किया। सुब्रमण्यम ने 2018 से 2021 तक भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) के रूप में भी काम किया है। उन्होंने शिकागो विश्वविद्यालय के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस से फाइनेंस इकोनॉमी में पीएचडी की है।
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शिरडी साईं बाबा मंदिर को बम से उड़ाने की फर्जी धमकी मिली, मंदिर ट्रस्ट को ईमेल आया था

महाराष्ट्र के शिरडी साईं बाबा मंदिर को एक ईमेल के जरिए बम से उड़ाने की धमकी मिली। हालांकि खबर झूठी निकली। एक अधिकारी शनिवार को बताया कि शुक्रवार को मंदिर ट्रस्ट को ईमेल मिला था, जिसमें मंदिर को बम से उड़ाने की बात कही गई थी।
इसके बाद मंदिर की सुरक्षा बढ़ा दी गई। श्री शिरडी साईं बाबा संस्थान के सीईओ गोरक्ष गाडिलकर ने बताया, ‘ट्रस्ट के पास अपना सुरक्षा स्टाफ है। ईमेल मिलने के बाद हमारे स्टाफ ने पुलिस के साथ मिलकर तलाशी ली, लेकिन कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला।’
प्रियंका गांधी की केंद्र सरकार को चिट्ठी, वायनाड में सड़क-सिंचाई सुविधाओं की कमी का मुद्दा उठाया

कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर वायनाड के आदिवासी इलाकों में सड़क और सिंचाई सुविधाओं की कमी का मुद्दा उठाया। प्रियंका ने ग्रामीण विकास एवं कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को चिट्ठी लिखी है।
उन्होंने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना-IV के तहत अपने संसदीय क्षेत्र में 3200 से ज्यादा आदिवासी बस्तियों तक सड़क संपर्क को जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि योजना जिलों में आदिवासी बहुल गांवों के लिए कनेक्टिविटी को प्राथमिकता देती है।
हालांकि, कम से कम 500 की आबादी और 50% से ज्यादा अनुसूचित जनजातियों की जरूरी होने के मानदंड की वजह से अधिकतर बस्तियां योजना से बाहर हो जाती हैं। प्रियंका ने समुदायों के सामने आने वाली सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों को देखते हुए इन मानदंडों में ढील देने की अपील की है।