
तस्वीर तीन साल पहले की है। जब शिवानंद बाबा को पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
वाराणसी के 128 साल के योग गुरु स्वामी शिवानंद बाबा का शनिवार रात निधन हो गया। वह पिछले तीन दिनों से BHU के जेट्रिक वार्ड में एडमिट थे। सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। तीन साल पहले उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
शिवानंद बाबा के आधार कार्ड पर जन्मतिथि 8 अगस्त 1896 दर्ज है। उनका जन्म बंगाल के श्रीहट्टी जिले में हुआ था। भूख की वजह से उनके माता-पिता की मौत हो गई थी, जिसके बाद से बाबा आधा पेट भोजन ही करते थे। अब बाबा शिवानंद की कहानी को शुरुआत से जानते हैं…
6 साल के थे तब भूख से मां-बाप और बहन की मौत हो गई 8 अगस्त 1896. श्रीहट्ट जिले (अब बांग्लादेश में) के ग्राम हरिपुर में ब्राह्मण परिवार में एक लड़के का जन्म हुआ। नाम रखा शिवानंद। शिवानंद के परिवार में चार लोग थे। वो, उनके माता-पिता और एक बड़ी बहन। उनके माता-पिता भिक्षा मांगकर ही पूरे परिवार का गुजारा करते थे। कुछ वक्त तो जैसे-तैसे पूरे परिवार का गुजारा होता गया, लेकिन अब मुश्किलें बढ़ने लगीं थीं।
घर में खाने तक के पैसे नहीं थे इसलिए मां-बाप को शिवानंद की चिंता सताने लगी। जब वो 4 साल के हुए तो उन्हें बाबा श्री ओंकारनंद गोस्वामी को समर्पित कर दिया गया, ताकि वहां उनकी देखभाल हो सके। बचपन से ही शिवानंद ने गुरु के पास रहकर शिक्षा लेना शुरू कर दिया था।

4 साल की उम्र में शिवानंद बाबा श्री ओंकारनंद गोस्वामी के पास आ गए थे। यहीं पर शिवानंद ने शिक्षा ग्रहण की।
करीब दो साल बीते… एक दिन शिवानंद के माता-पिता और बहन भिक्षा मांगने निकले। वो जगह-जगह भटके लेकिन खाने को कुछ नहीं मिला। थक हारकर वो घर वापस आए। कुछ दिन यही सिलसिला चलता रहा। वो भिक्षा मांगने जाते पर खाली हाथ वापस लौट आते। पूरे परिवार की तबीयत खराब रहने लगी। आखिरकार एक दिन भूख की वजह से शिवानंद के माता-पिता और बहन की मौत हो गई।