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पश्चिम बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर जिले के दीघा में ममता बनर्जी ने 30 अप्रैल को जगन्नाथ मंदिर का उद्घाटन किया था। मंदिर को ‘जगन्नाथ धाम’ नाम दिया गया है।
पश्चिम बंगाल सरकार के दीघा मंदिर विवाद के बीच ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने शुक्रवार को श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (SJTA) से मामले की जांच करने को कहा।
मीडिया रिपोर्ट्स में सामने आया था कि पुरी जगन्नाथ मंदिर के सेवक दीघा मंदिर के समारोह में शामिल हुए थे। उन्होंने मूर्तियां बनाने के लिए मंदिर को 2015 के नवकलेवर से बची नीम की लकड़ी दी।
नवकलेवर हर 12 या 19 साल में होने वाला अनुष्ठान है। इसमें पुरी के मंदिर में भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ की लकड़ी की मूर्तियां बदली जाती हैं।
इसके अलावा पुजारियों, भक्तों, विद्वानों और पंडितों ने दीघा मंदिर को पश्चिम बंगाल सरकार के ‘जगन्नाथ धाम’ कहे जाने पर भी आपत्ति जताई है।
मंत्री ने अपनी चिट्ठी में लिखा, ‘इस घटना ने श्रद्धालुओं और ओडिशा के 4.5 करोड़ लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।’

बंगाल की CM ममता बनर्जी 29 अप्रैल को ही महायज्ञ में शामिल होने दीघा पहुंच गई थीं।
दीघा मंदिर के लिए मूर्तियां पुरी से गईं दीघा मंदिर को लकड़ी देने का आरोप सेवकों के एक समूह दैतापति निजोग के सचिव रामकृष्ण दासमोहपात्रा पर लगा है।
पुरी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दासमोहपात्रा ने कहा, ‘मैंने कभी नहीं कहा कि पुरी मंदिर की लकड़ी का इस्तेमाल दीघा में मूर्ति बनाने के लिए किया गया। मैंने मंदिर अधिकारियों से कहा था कि भगवान जगन्नाथ की पत्थर की मूर्तियों की पूजा नहीं की जा सकती।’
उन्होंने बताया, ‘इसके बाद प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के लिए मैं यहां (पुरी) से नीम की लकड़ी की मूर्ति ले गया। मैंने किसी टेलीविजन चैनल को ब्रह्म की स्थापना के बारे में भी कुछ नहीं बताया है। न ही मैंने मूर्ति पर ऐसी कोई सामग्री रखी है। मैंने पूजा के दौरान निर्धारित प्रक्रियाओं की निगरानी की है।’
‘ब्रह्म’ एक ऐसा पदार्थ है जिसे भगवान जगन्नाथ की आत्मा माना जाता है। इसे नवकलेवर अनुष्ठान के दौरान पुरानी मूर्ति से निकालकर नई मूर्ति में स्थापित किया जाता है।

मंदिर विवाद पर किसने क्या कहा…
सुदर्शन पटनायक, सैंड आर्टिस्ट: मैं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री से अनुरोध करता हूं कि वे दीघा मंदिर को धाम के रूप में पेश करने के लिए भगवान जगन्नाथ के लाखों भक्तों से माफी मांगें।
माधब महापात्र, श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंध समिति के पूर्व सदस्य: ममता बनर्जी झूठा दावा करने से बचें। यह जगन्नाथ धाम और सनातन धर्म के खिलाफ साजिश का हिस्सा प्रतीत होता है।
रामचंद्र दास महापात्र, वरिष्ठ सेवक: आदि शंकराचार्य ने भगवान जगन्नाथ के पुरी पीठ को धाम का दर्जा दिया था। दीघा धाम कैसे बन सकता है? कृपया लोगों को गुमराह न करें।
प्रियदर्शन पटनायक, श्री जगन्नाथ सेना के संयोजक: ममता बनर्जी बंगाल के लोगों को गुमराह न करें। बंगाल के लोग सच्चाई से वाकिफ हैं। उन्हें गुमराह नहीं किया जा सकता।

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