
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने शुक्रवार को कहा कि विधानसभा चुनावों से पहले उन्होंने कृषि ऋण माफी का कोई आश्वासन नहीं दिया था।
उनकी यह टिप्पणी कांग्रेस द्वारा महायुति सरकार पर किसानों को ऋण राहत देने के वादे से मुकरने का आरोप लगाने के बाद आई है।
भाजपा, एकनाथ शिंदे नीत शिवसेना और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के महायुति गठबंधन ने नवंबर 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में 288 में से 230 सीटों पर जीत हासिल की थी।
पत्रकारों से बात करते हुए, वरिष्ठ कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट ने महायुति सरकार पर चुनावों से पहले किये गए वादों को पूरा नहीं करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, ‘‘किसान मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं और किसानों को कुछ राहत प्रदान करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। चुनावों से पहले सरकार ने कई वादे किये थे और आश्वासन दिए थे, लेकिन सत्ता में आने के बाद वह इस पर कुछ नहीं कर रही है। इसलिए, लोगों को लगता है कि उनके साथ धोखा हुआ है।’’
पूर्व मंत्री ने कहा, ‘‘सरकार कुछ क्षेत्रों में तो बहुत अधिक खर्च कर रही है, लेकिन किसानों की कर्जमाफी पर कोई फैसला नहीं लिया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य की मौजूदा सरकार किसानों को कोई राहत देने के लिए उत्सुक नहीं है।’’
बाद में, जब पत्रकारों ने वित्त विभाग का भी प्रभार संभाल रहे पवार से थोराट की टिप्पणी के बारे में पूछा, तो उन्होंने इसका सीधा जवाब देने से इनकार कर दिया।
उन्होंने सवाल का जवाब देते हुए कहा, ‘‘क्या मैंने चुनावों से पहले आपको रिण माफ का आश्वासन दिया था?’’
यह उल्लेख किये जाने पर कि यह आश्वासन महायुति गठबंधन ने दिया था, पवार ने जवाब दिया, ‘‘क्या मैंने यह आश्वासन दिया था? क्या मैंने दिया था?’’ इसके शीघ्र बाद बिना और कुछ बोले वह वहां से चले गए।
किसान नेता राजू शेट्टी ने भी राज्य सरकार की आलोचना की है और सोयाबीन एवं कपास जैसी मुख्य फसलों के लिए कम बाजार मूल्य सहित किसानों के मुद्दों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है।